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सोमवार, 4 मार्च 2019

समीक्षा: "लघुकथा वृत्त" का जनवरी 2019 अंक | डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

लघुकथा का इकलौता मासिक समाचार पत्र "लघुकथा वृत्त" का जनवरी 2019 का अंक कल प्राप्त हुआ। एक पंक्ति में कहूँ तो यह अंक लघुकथा संबंधी बहुत सी विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण चीज़ें समेटे हुए है। गणित के अनुसार किसी भी वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात के बराबर जो संख्या होती है, उसका शुद्ध मान कभी भी ज्ञात नहीं किया जा सकता। इस अपरिमित संख्या को π  (पाई) कहा गया, जो 22/7 के बराबर होता है। आप सोच रहे होंगे कि कहाँ साहित्य और कहाँ गणित? लेकिन वृत्त तो है ही गणितीय शब्द। इसके अलावा जब पहली बार लघुकथा वृत्त का नाम पढ़ा था, तब पढ़ते ही दिमाग में सबसे पहले "वृत्त" ही गूंजा और उस वक्त वरिष्ठ लघुकथाकार श्री योगराज प्रभाकर द्वारा कही गयी एक बात भी याद आई थी कि "लघुकथा लेखक की दृष्टि 360 डिग्री की होनी चाहिए।" चूंकि वृत्त भी तो विभिन्न भागों से मिलकर 360 डिग्री का ही होता है। लघुकथा वृत्त भी लघुकथा के विभिन्न तत्व, समाचार, लेख, देसी-विदेशी लघुकथाएं आदि को एक साथ रखते हुए 360 डिग्री का समाचार पत्र है। यह तो खैर एक बात हुई, दूसरी बात है वृत्त की परिधि, π आदि की। परिधि का अर्थ है एक वृत्त का पूरा चक्कर लगाने पर जितनी दूरी हम तय करते हैं। इसके द्वारा हम वृत्त के बाहरी स्वरूप को जान पाते हैं। इसे समाचार पत्र से जोड़ें तो, किसी भी समाचार पत्र को पढ़ने के दो तरीके होते हैं, एक तो उसकी हेडलाइन्स को पढ़ लेना और दूसरे समाचारों, लेखों, संपादकीय आदि को पूरा पढ़ना। लघुकथा वृत्त के इस अंक की परिधि अर्थात हेडलाइन्स में आर्य स्मृति साहित्य सम्मान, रचनाकार डॉट ऑर्ग द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता, संपादकीय, इंडो-नेपाल लघुकथा सम्मेलन, लघुकथा शोध केंद्र द्वारा आयोजित लघुकथा गोष्ठी, डॉ. अशोक भाटिया और श्रीमती कांता रॉय को मिला सम्मान, मध्य प्रदेश की लघुकथाएं, धरोहर रूपी लघुकथाएं, विशिष्ट लघुकथा परिंदे में ज्योत्सना सिंह, लघुकथाएं विदेश से, श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय द्वारा लिखित "कलयुग का बेटा" पर आधारित फिल्म की शूटिंग पूर्ण, डॉ. उपमा शर्मा की दो पसंदीदा लघुकथाएं, मॉरीशस में लघुकथाएं, आंचलिक लघुकथाएं, स्व. श्री पारस दासोत द्वारा कहा गया लघुकथा का महत्व, वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. बलराम अग्रवाल का साक्षात्कार, वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. अशोक भाटिया कृत "परिंदे पूछते हैं" पुस्तक की श्री बद्री सिंह भाटिया द्वारा समीक्षा, डॉ. अशोक भाटिया द्वारा "समग्र" लघुकथा विशेषांक की समीक्षा, अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन (सिरसा) का प्रतिवेदन, श्री त्रिलोक सिंह ठकुरेला कृत समसामयिक हिन्दी लघुकथा की सुश्री भूपिंदर कौर द्वारा समीक्षा, श्री सदाशिव कौतुक कृत "संकल्प और सपने" की डॉ. विनीता राहुरिका द्वारा समीक्षा, सुश्री सुधा भार्गव कृत "टकराती रेत" पुस्तक की श्रीमती कांता रॉय द्वारा समीक्षा सहित कई अन्य समाचार और लेख मौजूद हैं।

निःसन्देह इस वृत्त की परिधि रोचक है – महत्वपूर्ण भी है, लेकिन केवल परिधि को ज्ञात करना ही वृत्त का उद्देश्य नहीं क्योंकि जिस किसी भी कारण से कोई भी वृत्त बनाया जाता है उसके पूर्ण क्षेत्रफल को मापना बहुत ज़रूरी है, तब कहीं जाकर वृत्त की संपूर्णता जान सकते हैं। क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए वृत्त की त्रिज्या, व्यास को भी मापने की जरूरत होती है जिसके लिए आपको वृत्त के केंद्र बिन्दु तक जाना होगा। इस लघुकथा वृत्त को पूरा पढ़ने हेतु आपको इसके केंद्र बिन्दु इसकी प्रधान संपादक श्रीमती कांता रॉय से संपर्क करना होगा। आपकी सुविधा के लिए उनका ईमेल आईडी बता देता हूँ - roy.kanta69@gmail.com

अब यदि बात करें π (पाई) की, जो कि साहित्य को गणित से जोड़ देती है। वैसे तो लघुकथाकार का कार्य ही पाई-पाई के हिसाब अर्थात लघुत्तम के महत्व को उभार कर दर्शाना है, π का यह आधारभूत मानक साहित्य के विकास की तरह ही अपरिमित है और लघुकथा में नित नए हो रहे प्रयोगों को इंगित कर रहा है। शायद इसे ही ध्यान में रखते हुए अपने संपादकीय में श्रीमती कांता रॉय ने कहा भी है कि "साहित्य नए दृष्टिकोण देते हुए जीवन मूल्यों का सृजन करता है।" तथा "नव निर्माण और नव चेतना जागृत करना भी लघुकथा लेखन का एक उद्देश्य हो।"

यह समाचार पत्र मासिक है अर्थात वर्ष में 12 बार आप इसका लुत्फ उठा सकते हैं। एक (वृत्तनुमा) घड़ी के 30-30 डिग्री के 12 अंश इसे 360 डिग्री का पूर्णत्व प्रदान करते हैं। यानी कि वर्ष के बारह अंकों में पाठक यह उम्मीद रख सकते हैं कि लघुकथा के लगभग सभी मुख्य भागों को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाएगा। उम्मीद यह भी है कि लघुकथा वृत्त के अगले 330 डिग्री के अंक भी 30 डिग्री के इसी अंक की तरह ही रोचक होंगे।


- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही शानदार समीक्षा के साथ आपने आज एक नइ चीज़ बताई। हिन्दी साहित्य की समीक्षा गणित से की जा सकती है। याने लघुकथा का संपूर्ण गणित बता दिया। 360 अंश का पर्याय होता है। पूर्णता को प्राप्त करना। और जब कोई वस्तु पूर्णता को प्राप्त कर लेती है। तो वह पूर्णस्य पूर्णमादाय पुर्णमेव विशिष्यते।
    पूर्ण में से पूर्ण लेने पर भी जो पूर्ण बच जाता है। वहीं पूर्ण है। अक्षर पूर्ण ब्रह्म है। जो लघु से अनन्त है। वृत की परिधि में है। एक उत्कृष्ट समीक्षा की बधाई।

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    1. बहुत सही कहा आपने विजय जी सर कि अक्षर पूर्ण ब्रह्म है। जो लघु से अनन्त है। अन्तरिक्ष में गूंज रहे नाद - ब्रह्म नाद द्वारा ही प्रथम वेदों से लेकर आज तक के हर एक अक्षर - शब्द - पंक्ति - अनुच्छेद - पुस्तक तक की रचना हुई है। समीक्षा का यह प्रयास आपको ठीक लगा इस हेतु हार्दिक आभारी हूँ।

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  2. बहुत बढ़िया विश्लेषण किया। इस अखबार का भी और लघुकथा विधा का भी आपने खूब सूक्ष्म विवेचन किया। प्रकाशक और सम्पादक दोनों प्रंशशनिय कार्य कर रहे। इस समय बहुत तेजी से इस विधा में काम हुआ है। आयोजन भी हो रहे है। बस ग्रुप वाद न आ जाये लघुकथा मेअन्यथा विकास में बाधा आएगी।

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  3. बहुत सुन्दर आलेख , सभी गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए लघुकथा के लिए उत्तोरोत्तर विकास की कामना सफल हो .

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    1. बहुत-बहुत आभार आदरणीय केदारनाथ जी सर।

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  4. आनन्द श्रीवास्तव4 मार्च 2019 को 5:37 pm बजे

    अद्वितीय समीक्षा। पहली बार ही शायद किसी ने साहित्य की समीक्षा गणित से की होगी।

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  5. अनुपम समीक्षा। जय हो आदरणीय चन्द्रेश भाई सा

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    1. सादर आभार आदरणीय भाई जी सतविन्द्र कुमार राणा सा।

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  6. गजब की समीक्षा. बधाई भाई.

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