हरियाणा - 'आधुनिक हिंदी लघुकथा' के प्रतिष्ठित केंद्रों में एक है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पहली महिला लघुकथा-लेखिका भी हरियाणा से ही रही हैं। जी हां, यहां हरियाणा के फतेहाबाद में 12नवम्बर 1913 को जन्मी लेखिका श्रीमती इंद्रा स्वप्न की बात की जा रही है। इन्होंने सत्तर के दशक में दर्जनों बढ़िया लघुकथाएं लिखी थीं। इनमें अनेक तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई। ग्रामीण परिवेश की आम गृहिणी होते हुए इन्होंने बाईस उपन्यास, तीन कहानी- संग्रह तथा चालीस से अधिक बालसाहित्य की कृतियों की भी रचना की थी।
इनका पहला लघुकथा-संग्रह इनकी मृत्यु के बीस वर्ष के पश्चात वर्ष 2017 में, जानेमाने साहित्यकार डॉ मधुकांत के साथ संयुक्त रूप में "101 प्रतिनिधि लघुकथाएं" शीर्षक से प्रकाशित हुआ। इसमें इंद्रा जी की पचास लघुकथाएं शामिल हैं।
पाठकों के संदर्भ के लिए यहां, इनकी एक लघुकथा प्रस्तुत की जा रही है।
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_लघुकथा _
शिक्षा
*इंद्रा स्वप्न
"देखो बेटा, सिगरेट पीना बहुत बुरा है..अच्छे बच्चे ऐसी गंदी वस्तुओं को हाथ नहीं लगाते।" हरीश ने अपने भतीजे बब्बू को समझातेे हुए कहा, " मैंने तुम्हें कभी सिगरेट पीते देखा तो अच्छा नहीं होगा।"
"समझ गया चाचाजी, सचमुच गंदे मनुष्य ही सिगरेट पीते हैं।" कहते बब्बू चला गया।
दूसरे दिन हरीश सिगरेट पीने अपने कमरे में पहुंचा, मेज पर सिगरेट की डिब्बी नहीं थी। एक कागज का टुकड़ा पड़ा था, जिसपर लिखा था "चाचाजी, सिगरेट गंदे मनुष्य पीते हैं अच्छे नहीं..इसलिए आपकी सिगरेट की डिब्बी सिगरेटों सहित कूड़ेदान में फेंक दी है।"
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आधुनिक हिंदी लघुकथा शोधपीठ, नई दिल्ली के सौजन्य से प्रस्तुत। संपर्क : अनिल शूर आज़ाद - 9871357136
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वाह, सुन्दर रचना
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