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शनिवार, 8 जून 2019

आलेख: लघुकथा समीक्षा भाग-1 | डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

हमारे देश में बहुत सारे शिक्षण संस्थान हैं। उनमें से कई संस्थान विशिष्ट भी हैं जैसे केंद्रीय विद्यालय, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम, आईआईआईटी, आदि। इन संस्थानों के अतिरिक्त कई संस्थाएं भी हैं जो अति विशिष्ट की श्रेणी में आती हैं उनके नामों का उल्लेख करें तो आई-ट्रिपल-ई, सीएसआई, आईएमएस, आदि। हालांकि अभी मुझे जो बात कहनी है उसके मद्देनजर श्रेणियाँ अभी खत्म नहीं हुई। इनके आगे कई सरकारी संस्थान हैं यथा डीएसटी, आईसीएसएसआर, आईसीएआर, एआईसीटीआई आदि-आदि। इन सभी पर नियंत्रण के लिए भी यूजीसी है, बोर्ड्स हैं और सबसे ऊपर मानव संसाधन विकास मंत्रालय है। यह वर्गीकरण मैंने अनुक्रम में नहीं किया है लेकिन फिर भी एक बात जो सबसे ज़रूरी है कि इतनी विशाल सरंचना और बुद्धिजीवियों से भरपूर हजारों समितियों के बावजूद भी हमारे देश के विश्वविद्यालय दुनिया के प्रथम 200 में भी स्थान नहीं रखते। (Source: https://www.timeshighereducation.com/student/best-universities/best-universities-world)। यह हमारी शिक्षा नीति की विफलता है या फिर हमारी अपनी, यह जानना भी ज़रूरी है। मैंने कितने ही आचार्यों को देखा है कि पीएचडी शोध ग्रंथ का मूल्यांकन करते समय केवल उसकी अनुक्रमणिका को ही पढ़ कर विवरण बना लेते हैं। यह दुख का विषय है कि ईमानदारी की कमी है, जिससे हम वैश्विक स्तर पर पिछड़ रहे हैं। साथ ही यह भी दुख का विषय है कि बहुत सारी साहित्यिक समीक्षाएं भी अनुक्रमणिका को देख कर लिख लेने का सामर्थ्य भी कितने ही साहित्य के आचार्यों में है। एक पत्रिका की समीक्षा लिखने से पूर्व उस पत्रिका को पूरा पढ़ना फिर समझना और आत्मसात करना आवश्यक है लेकिन कई बार समीक्षाएं पढ़ कर ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ भी ईमानदारी की कमी है - लिखना जो ज़रूरी है। "लघुकथा कलश" नामक एक पत्रिका की समीक्षा करते समय ‘विभा रानी श्रीवास्तव’ जी के शब्दों मे, "लघुकथा-कलश के तीसरे महाविशेषांक का अध्ययन करने में मुझे लगभग तीन माह से अधिक का समय लगा।" मेरे अनुसार भी इतना धैर्य, संयम और इच्छा शक्ति होनी चाहिए, तब जाकर समीक्षा में सत्य का तड़का और तथ्यों के मसाले का सही अनुपात आ सकता है। एक लघुकथा लिखने में कई जितने समय की आवश्यकता होती है उसे पढ़ कर समीक्षा करने के लिए कितने अध्ययन की आवश्यकता होगी? मेरे अनुसार यह एक विचारणीय प्रश्न है। हाँ! हम हमारी पाठकीय प्रतिक्रिया तो तुरंत दे सकते हैं।

क्रमशः

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