स्वर्गीय श्री पारस दासोत ने लघुकथा विधा पर हाइकु रच कर नए प्रयोग किए थे। प्रस्तुत है उनके द्वारा कहे गए लघुकथा विधा पर कुछ हाइकु:
लघुकथा में,
है चली कथा, तार
शोर न मचा।
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स्याही सोख है
है लघुकथा कथा
आ, बूँद डाल।
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लघुकथा है,
है अपना पैमाना
लघुकथा में।
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घटना डूबी
निकली लघुकथा
आइना बन। .
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बूँद है कथा
तू ढूंढ ले सागर
है लघुकथा।
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है लघुकथा,
तेरी मेरी उसकी
बात की कथा।
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करती कथा
लघुकथा घर में
कथा संघर्ष।
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पैसा नहीं है
है यह लघुकथा,
इसे न फैला।
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निगाहें उठा,
आखों से खूँ बहाना
है लघुकथा।
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लघु है कथा
फालतू न लिख तू
शब्द, अक्षर।
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प्रयोग तेरे
है लघुकथा तेरी
तेरी कहानी।
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