लघुकथा शोध केंद्र भोपाल मध्यप्रदेश की मासिक गोष्ठी। (22 दिसंबर 2018)
- श्रीमती कान्ता रॉय जी
लघुकथा शोधकेन्द्र, भोपाल द्वारा लघुकथा गोष्ठी का आयोजन दिनांक 22 दिसंबर को मानस भवन में किया गया। कॉर्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा देवेंद्र दीपक ने की।
मुख्य अतिथि: से.न. प्रो. डॉ. विनय राजाराम एवं मुख्य समीक्षक के रूप में श्री युगेश शर्मा मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शशि बंसल ने किया श्रीमती महिमा वर्मा द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुति पश्चात् कॉर्यक्रम का शुभारंभ हुआ। लघुकथा शोध केंद्र की अध्यक्षा श्रीमती कांता राय के स्वागत भाषण पश्चात् लघुकथा वाचन उषा सोनी, डॉ. मौसमी परिहार, नीना सोलंकी, शोभा शर्मा, विनोद जैन द्वारा किया गया जिनकी समीक्षा गोकुल सोनी, सुनीता प्रकाश, डॉ. वर्षा ढोबले, किरण खोड़के, मधुलिका सक्सेना, मृदुला त्यागी, रंजना शर्मा, सरिता बाघेला, कान्ता राय, एवम सतीश श्रीवास्तव ने की।
अपने विशेष उद्बोधन में डा देवेंद्र दीपक ने कहा की लघुकथा एक तुलसीदल के समान है जो अपने आकार में छोटी होते हुए विशेष संप्रेषण शीलता से युक्त होती है। डा विनय राजाराम ने कहा कि साहित्यकार कागज पर अपनी रचना उतारने के पूर्व अपने मन में पटकथा लिख चुका होता। अंत में श्री मुजफ्फर सिद्दीकी ने आभार व्यक्त किया।
Source:
https://www.facebook.com/kanta.roy.12/posts/2711892289035307
- श्रीमती कान्ता रॉय जी
लघुकथा शोधकेन्द्र, भोपाल द्वारा लघुकथा गोष्ठी का आयोजन दिनांक 22 दिसंबर को मानस भवन में किया गया। कॉर्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा देवेंद्र दीपक ने की।
मुख्य अतिथि: से.न. प्रो. डॉ. विनय राजाराम एवं मुख्य समीक्षक के रूप में श्री युगेश शर्मा मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शशि बंसल ने किया श्रीमती महिमा वर्मा द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुति पश्चात् कॉर्यक्रम का शुभारंभ हुआ। लघुकथा शोध केंद्र की अध्यक्षा श्रीमती कांता राय के स्वागत भाषण पश्चात् लघुकथा वाचन उषा सोनी, डॉ. मौसमी परिहार, नीना सोलंकी, शोभा शर्मा, विनोद जैन द्वारा किया गया जिनकी समीक्षा गोकुल सोनी, सुनीता प्रकाश, डॉ. वर्षा ढोबले, किरण खोड़के, मधुलिका सक्सेना, मृदुला त्यागी, रंजना शर्मा, सरिता बाघेला, कान्ता राय, एवम सतीश श्रीवास्तव ने की।
अपने विशेष उद्बोधन में डा देवेंद्र दीपक ने कहा की लघुकथा एक तुलसीदल के समान है जो अपने आकार में छोटी होते हुए विशेष संप्रेषण शीलता से युक्त होती है। डा विनय राजाराम ने कहा कि साहित्यकार कागज पर अपनी रचना उतारने के पूर्व अपने मन में पटकथा लिख चुका होता। अंत में श्री मुजफ्फर सिद्दीकी ने आभार व्यक्त किया।
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