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सोमवार, 25 नवंबर 2019

पुस्तक समीक्षा: 'दृष्टि: अशोक जैन द्वारा सम्पादित लघुकथाओं की अर्धवार्षिक पत्रिका | सुधेन्दु ओझा

'दृष्टि' पत्रिका, भारत में हिंदी में लिखी जा रही लघुकथाओं का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बनती जा रही है।

नए सोपान पर पहुंचने पर ज़िम्मेदारी में भी खासी वृद्धि होती है।

'दृष्टि' को मैं उसके बचपन से जानता हूँ। यह अग्रज अशोक जी का बड़प्पन ही है कि उन्होंने मुझे पत्रिका से निरंतर जोड़े रखा है, हालांकि लघुकथा को लेकर मेरे विचार कुछ उत्साहजनक न थे।



वर्तमान अंक में विभिन्न विषयों पर लगभग 72 लघुकथाओं के साथ-साथ लेखक राजेश मोहन का विस्तृत साक्षात्कार तथा मेरे एक और अग्रज श्रीयुत श्री राम अरोरा के मित्र सिमर सदोष की लघुकथाओं को भी स्थान मिला है।

उपेंद्र राय, ऋचा वर्मा, कमलेश भारती, त्रिलोक सिंह ठकुरेला, नीना छिब्बर, माधव नागदा, लाजपत राय गर्ग, श्याम सुंदर, सुनीता प्रकाश, आभा सिंह, अशोक जैन, आशीष दलाल, कांता राय, तनु श्रीवास्तव, पवन जैन, प्रताप सिंह, प्रभात दुबे, प्रेरणा गुप्ता, भगवान वैद्य, मीरा जैन, डॉ. चंद्रेश छतलानी, मुकेश शर्मा, योगेंद्र नाथ शुक्ल, रामयतन, वाणी दवे, विजयानन्द, वेद हिमांशु, सविता मिश्रा, सुदर्शन रत्नाकर अशोक भाटिया जी तथा अन्य कथाकारों की रचनाएं रोचक एवम असर छोड़ने वाली हैं।

अन्य लेखकों के नाम मैं यहां नहीं दे पाया हूं उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।

पत्रिका अपने नाम के अनुरूप लघुकथा लेखन को नई दृष्टि प्रदान कर सके यही शुभकामना है।

श्री अशोक जैन जी को साधुवाद।

सादर,
सुधेन्दु ओझा
Editor-in-chief at Sampark Bhasha Bharati
Ex-Delhi Bureau Chief- ShikharVarta 

7701960982/9868108713

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (26-11-2019) को    "बिकते आज उसूल"   (चर्चा अंक 3531)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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