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शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

लघुकथा: खबर | मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा जी की व्यंग्य शैली में कही गयी यह रचना एकांगी भी है और एक विशेष विसंगति को दर्शा रही है। यह प्रभावी भी बनी है। शीर्षक पर मेरे अनुसार कुछ और कार्य करने की ज़रूरत है। आइये पढ़ते हैं, मुकेश कुमार ऋषि वर्मा जी की लघुकथा 'खबर'।


मंत्रीजी घंटा बजाकर अपने पूजागृह से एक हाथ लम्बा तिलक लगाकर बाहर आये ही थे कि उनका सहायक हाँफता हुआ उनके सामने आ गया ।

‘अरे! काहे हाँफत हो... आसमान फट गया क्या?’

‘साब जी - साब जी... बड़ा अनर्थ हो गया । जनपद में पुलिस ने बड़ी बर्बरता से बेचारे अनशन पर बैठे किसानों पर लाठीचार्ज किया है और सुनने में आ रहा कि फाइरिंग भी की है ।’

‘तो क्या हुआ? वो तो हमने ही आदेश दिया था ।’

मंत्रीजी का जवाब सुनकर सहायक आश्चर्यचकित रह गया । वो मन ही मन सोच रहा था, ये वही पुलिस है जिसकी गुंडों से मुठभेड़ होती है तो बंदूक से गोली नहीं निकलती मुँह से ही ठाँय-ठाँय की आवाज निकालकर काम चलाना पड़ता है ।

‘सुनो!  ये किसानों वाली न्यूज टीवी पर आ रही है क्या?’ मंत्रीजी ने सहायक से पूछा ।

‘नहीं, किसी भी न्यूज चैनल पर नहीं आ रही सिर्फ सोशल मीडिया पर ही दिखाई दे रही है । लगता है हुजूर ने सभी चैनल वालों का मुँह बंद कर दिया है, इसीलिए पाकिस्तान - पाकिस्तान खेल रहे हैं सभी चैनल वाले ।’ सहायक पिलपिला सा मुँह बनाकर चमचे वाले लहजे में धीरे से बोल गया ।

‘तुमने कुछ कहा’....

‘नहीं...  महाराज जी मैं तो कह रहा था कि गायों को गुड़ खिलाने का समय हो गया है ।’ सहायक बात बनाते हुए अपना बचाव कर गया ।

मंत्रीजी समय का विशेष ध्यान रखते हुए गायों को गुड़ खिलाने के लिए चल पड़े । दोपहर को लाइव और शाम से देर रात तक प्रमुख रही गायों को गुड़ खिलाने की खबर ।

- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 
ग्राम रिहावली, डाक तारौली, 
फतेहाबाद, आगरा, 283111

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 22 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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