लूटा हुआ माल बरामद करने के लिए पुलिस ने छापे मारने शुरु किए।
लोग डर के मारे लूटा हुआ माल रात के अंधेरे में बाहर फेंकने लगे,कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपना माल भी मौक़ा पाकर अपने से अलहदा कर दिया, ताकि क़ानूनी गिरफ़्त से बचे रहें।
एक आदमी को बहुत दिक़्कत पेश आई। उसके पास शक्कर की दो बोरियाँ थी जो उसने पंसारी की दूकान से लूटी थीं। एक तो वह जूँ-तूँ रात के अंधेरे में पास वाले कुएँ में फेंक आया, लेकिन जब दूसरी उसमें डालने लगा ख़ुद भी साथ चला गया।
शोर सुनकर लोग इकट्ठे हो गये। कुएँ में रस्सियाँ डाली गईं।
जवान नीचे उतरे और उस आदमी को बाहर निकाल लिया गया।
लेकिन वह चंद घंटो के बाद मर गया।
दूसरे दिन जब लोगों ने इस्तेमाल के लिए उस कुएँ में से पानी निकाला तो वह मीठा था।
उसी रात उस आदमी की क़ब्र पर दीए जल रहे थे।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (08-05-2019) को "मेधावी कितने विशिष्ट हैं" (चर्चा अंक-3329) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'