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मंगलवार, 7 सितंबर 2021

फेसबुक समूह साहित्य संवेद में लघुकथा प्रतियोगिता की घोषणा

नमस्कार साथियो,

आपका अपना समूह #साहित्य_संवेद साहित्यिक आयोजन के प्रति सतत कटिबद्ध  है। इसी कड़ी को आगे बढाते हुए एक लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन  सुनिश्चित हुआ है जो कि आम लघुकथा प्रतियोगिताओं से भिन्न है । इसमें प्रतिभागियों को अपनी रचना न भेजकर किसी अन्य लेखक की लघुकथा विस्तृत टिप्पणी के साथ साझा करनी है। प्रतियोगिता को सुचारू बनाने हेतु कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। सभी सदस्यों से अनुरोध है कि प्रतियोगिता को सफल बनाने के लिए दिये गए नियमों का पालन करें।

प्रतियोगिता के नियम इस प्रकार हैं:

1. लघुकथा किसी भी अन्य लघुकथाकार की हो सकती है। ऐसी लघुकथा का चयन हो जो सामान्य से भिन्न हो। कथानक, कथ्य, शिल्प के स्तर पर प्रभावित करे।

2. एक प्रतिभागी अधिकतम दो(एक/दो) प्रविष्टि प्रतियोगिता में भेज सकते हैं।

3.लघुकथा पर अपनी टिप्पणी न्यूनतम 200(अधिकतम की कोई सीमा नहीं है) शब्दों में दें।

कथा के सकारात्मक पक्षों के अतिरिक्त त्रुटियों और  आलोचनात्मक पक्षों पर भी प्रतिभागियों की नज़र जाय, यह अपेक्षा जरूर है। केवल प्रशंसा हेतु यह प्रतियोगिता कतई नहीं है। और केवल कथा की कमियों और त्रुटियों पर भी केंद्रित रहना उचित नहीं है।

4. भाषायी शुद्धता का ध्यान रखें। रचना भेजने से पहले अशुद्धियों को ठीक कर लें। पोस्ट करने के बाद संपादित (एडिट) करना अमान्य होगा।

5. कृपया रचना के शीर्ष में #साहित्य_संवेद_लघुकथा_प्रतियोगिता_सितम्बर_2021 अवश्य अंकित करें।

6. रचनाएं साहित्य संवेद में ही  29 सितम्बर 2021 सुबह 7 बजे से 30सितम्बर

रात 11 बजे तक(भारतीय समयानुसार) पोस्ट करें।

प्रथम तीन प्रविष्टियों को पुरस्कार स्वरूप पुस्तक प्रदान की जाएगी।

* प्रथम पुरस्कार - हिंदी लघुकथा:मर्म की तलाश(सम्पादक:मिथिलेश दीक्षित)+ Chandresh Kumar Chhatlani रचित लघुकथा संग्रह 'बदलते हुए'

*द्वितीय पुरस्कार -लघुकथा:प्रासंगिकता एवं प्रयोजन(सम्पादक:मिथिलेश दीक्षित)

*तृतीय पुरस्कार -लघुकथा:प्रासंगिकता एवं प्रयोजन(सम्पादक:मिथिलेश दीक्षित)

आप सबसे विनम्र निवेदन है कि अपने साथियों की प्रविष्टियों पर अपनी बहुमूल्य  टिप्पणी भी अवश्य दें। एडमिनगण पुरस्कार से पृथक रहकर प्रतियोगिता का हिस्सा बन सकते हैं।

■यह प्रतियोगिता सामान्य से भिन्न है तो वरिष्ठजनों से भी भागीदारी की स्वाभविक अपेक्षा रहेगी।

■■अगर कोई लेखक चाहते हैं कि उनकी रचनाओं पर कोई आलोचनात्मक टिप्पणी न दें तो कमेंट बॉक्स में अथवा इनबॉक्स में सूचित कर सकते हैं।

■■■मित्रों से आग्रह है कि इस सूचना को अपने वाल पर स्थान दें ताकि अधिकाधिक लघुकथाकार इसमें सम्मिलित हो सकें।

■■■■सुझाव का भी स्वागत है।

सधन्यवाद,

दिव्या राकेश शर्मा Vandana Gupta Archana Rai स्वाति कमल उपाध्याय Shobhit Gupta और मृणाल आशुतोष

 





Source:

https://www.facebook.com/groups/437133820382776/?multi_permalinks=1013122789450540&notif_id=1630845272595108&notif_t=feedback_reaction_generic_tagged&ref=notif


सोमवार, 6 सितंबर 2021

‘स्वर्ण जयंती लघुकथाएँ’ | वाचन: श्री उमेश महादोषी | श्री भगीरथ परिहार की ‘दर्द का धुआँ हो जाना’ तथा श्री कुमार गौरव की लघुकथा ‘निष्ठुर’


 

हिन्दी की चुनिन्दा लघुकथाएँ, खण्ड-1

 मधुदीप गुप्ता जी की फेसबुक वॉल से।


योजना: हिन्दी की चुनिन्दा लघुकथाएँ, खण्ड-1


इस योजना के अन्तर्गत हिन्दी की श्रेष्ठ चुनिन्दा लघुकथाओं के 3 या 5 खण्ड सम्पादित करने का विचार है । प्रत्येक खण्ड में 200 लघुकथाएँ शामिल की जायेंगी। एक लघुकथाकार की एक खण्ड में एक ही लघुकथा शामिल की जायेगी । दूसरे खण्ड में उसी लघुकथाकार की अन्य लघुकथा भी ली जा सकती है ।

जो लघुकथाकार इस योजना का हिस्सा बनना चाहते हैं वे अपनी 5 चुनिन्दा लघुकथाएँ मुझे नीचे लिखे पते पर भेज सकते हैं । रचना का अप्रकाशित होना आवश्यक कतई नहीं है । कोई भी साथी अपनी रचना अस्वीकृत होने पर नाराज न हो, इसमें सम्पादक का अपना विवेक ही अन्तिम निर्णय करेगा ।

प्रकाशित संकलन की प्रति मैं लघुकथाकार को लेखकीय प्रति के रूप में नि:शुल्क नहीं दे सकूँगा । यह संकलन नेट पर नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जायेगा जैसाकि पड़ाव और पड़ताल के सभी 31 खण्ड करवाये जा चुके हैं । यदि शामिल लघुकथाकारों का पुस्तक लेने का आग्रह ही हुआ तो वह उन्हें उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने का प्रयास रहेगा ।

लघुकथाएँ भेजते समय प्रकाशन के लिए अपनी सहमति, मौलिकता विषयक अपना कथन भी भेजना होगा ।

लघुकथाएँ हार्ड कॉपी में रजिस्टर्ड डाक या कोरीयर से भेजें , सॉफ्ट कॉपी में मेल से नहीं । अन्तिम तिथि 30 सितम्बर है ।

कोई भी अन्य जानकारी इसी पोस्ट पर लिखकर प्राप्त की जा सकती है ।

पता ---

मधुदीप, ( दिशा प्रकाशन ),

138/16, ओंकारनगर-बी, त्रिनगर,

दिल्ली-110035

मोबाइल  8130070928

यह शृंखला शकुन्तदीप की स्मृति को समर्पित रहेगी ।

रविवार, 5 सितंबर 2021

लघुकथा: शक्तिहीन | लेखक: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी | राजस्थान पत्रिका

वह मीठे पानी की नदी थी। अपने रास्ते पर प्रवाहित होकर दूसरी नदियों की तरह ही वह भी समुद्र से जा मिलती थी। एक बार उस नदी की एक मछली भी पानी के साथ-साथ बहते हुए समुद्र में पहुँच गई। वहां जाकर वह परेशान हो गई, समुद्र की एक दूसरी मछली ने उसे देखा तो वह उसके पास गई और पूछा, “क्या बात है, परेशान सी क्यों लग रही हो?

नदी की मछली ने उत्तर दिया, “हाँ! मैं परेशान हूँ क्योंकि यह पानी कितना खारा है, मैं इसमें कैसे जियूंगी?”

समुद्र की मछली ने हँसते हुए कहा, “पानी का स्वाद तो ऐसा ही होता है।”

“नहीं-नहीं!” नदी की मछली ने बात काटते हुए उत्तर दिया, “पानी तो मीठा भी होता है।“

“पानी और मीठा! कहाँ पर?” समुद्र की मछली आश्चर्यचकित थी।

“वहाँ, उस तरफ। वहीं से मैं आई हूँ।“ कहते हुए नदी की मछली ने नदी की दिशा की ओर इशारा किया।

“अच्छा! चलो चल कर देखते हैं।“ समुद्र की मछली ने उत्सुकता से कहा।

“हाँ-हाँ चलो, मैं वहीं ज़िंदा रह पाऊंगी, लेकिन क्या तुम मुझे वहां तक ले चलोगी?“

“हाँ ज़रूर, लेकिन तुम क्यों नहीं तैर पा रही?”

नदी की मछली ने समुद्र की मछली को थामते हुए उत्तर दिया,

“क्योंकि नदी की धारा के साथ बहते-बहते मुझमें अब विपरीत धारा में तैरने की शक्ति नहीं बची।“


- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी 

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यह लघुकथा राजस्थान पत्रिका में भी प्रकाशित हुई है. (11 जुलाई 2021)




शनिवार, 4 सितंबर 2021

लघुकथा समाचार: अदारा 'मिनी' की भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा

वरिष्ठ लघुकथाकार श्री जगदीश राय कुलरियन की फेसबुक पोस्ट से

अदारा 'मिनी' की भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा

ट्राइमेस्टर के संपादक ' मिनी ' परिवार की संक्षिप्त बैठक रविवार 29.8.2021 को बरनाला में की गई, जिसमें डॉ श्याम सुंदर दीप्ति, श्रीमती उषा जी दीपाती, हरभजन सिंह खेमकर्णी, जगदीश राय कुलरियन, भूपेंद्र सिंह मान, एडवोकेट गुरसेवक सिंह रोड़की, बीर इंदर सिंह बनभोरी और कुलविंदर कौशल शामिल हुए । इस बैठक के दौरान निम्न मुद्दों पर चर्चा हुई और आपसी कार्यों का वितरण किया गया ।

1. मिनी कहानी प्रतियोगिता :- कुलविंदर कौशल को अब हरभजन सिंह खेमकर्णी जी के संयोजक के तहत मिनी स्टोरी फोरम पंजाब, अमृतसर द्वारा आयोजित 'मिनी स्टोरी मैच' की जिम्मेदारी दी गई है । बाकी साथी पहले की तरह सहयोग करेंगे । प्रतियोगिता रचनाओं को 30 सितम्बर 2021 तक भेजा जा सकता है । पूर्ण विवरण और नियम जल्द ही साझा किए जाएंगे ।

2. मिनी पत्रिका :- मिनी पत्रिका ने अब रचना के साथ लेखक की फोटो पर फोन नंबर छपवाने का निर्णय लिया है ।

3. विशेष अंक: तिमाही ' मिनी ' का जनवरी-मार्च 2022 अंक ' शिक्षण विश्व संकट पर आधारित होगा । इस संकट के विभिन्न फैलाव और विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाली मिनी कहानियां 2021 अक्टूबर 31 तक भेजी जा सकती हैं ।

4. वेबसाइट :- अदारा त्रिमासिक 'मिनी' की वेबसाइट बनाने का निर्णय लिया गया है । इसकी जिम्मेदारी मिनी परिवार के सहायक महेन्द्रपाल मिंडा जी को सौंपी गई है । अक्टूबर 2021 के अंतरराज्यीय / वार्षिक आयोजन में पाठकों को सौंपने का प्रयास किया जाएगा । इस वेबसाइट पर मिनी-स्टोरी से जुड़े सभी मिनी के बिंदुओं, अंतरराज्यीय और त्रिमासिक घटनाओं और शोध पत्रों को पढ़ सकते हैं ।

5. How to Write Mini Story :- इस विषय के तहत स्कूली छात्रों को जोड़ने और गुणवत्तापूर्ण मिनी कहानियों को उन तक पहुंचाने के लिए स्कूल और कॉलेजों को सुलभ किया जाएगा । यह पूरा अवलोकन है और स्कूलों / कॉलेजों में इस विधि कार्यशालाओं को समेकित करने की जिम्मेदारी मिनी परिवार के सहायक बहुपक्षीय लेखक भूपेंद्र सिंह मान जी को सौंपी गई है ।

6. मीडिया समन्वय :- समाचार पत्रों / पत्रिकाओं के संपादकों के साथ समन्वय करने की जिम्मेदारी और इस विधि के प्रचार के लिए मीडिया के समन्वय के बारे में गुणवत्तापूर्ण मिनी कहानियों के बारे में मीडिया को समन्वय बनाने की जिम्मेदारी, पासार और मिनी कहानीकार बीर इंदर बनभौरी जी को सौंपी गई है ।

7. शैक्षणिक संस्थानों के साथ समन्वय: एडवोकेट गुरसेवक सिंह रोड़की को विश्वविद्यालयों और अन्य शिक्षण संस्थानों के माध्यम से मिनी कहानी पद्धतियों के प्रचार और निष्कासन की जिम्मेदारी दी गई है ।

8. पुरस्कार / सम्मान :- अदारा तिमाही मिनी और मिनी कहानी लेखक मंच पंजाब ने अंतरराज्यीय / वार्षिक कार्यक्रम में चार सम्मान देने का फैसला किया है । इन सम्मानों में सर्वश्रेष्ठ मिनी स्टोरी बुक ऑफ द ईयर अवार्ड, मिनी स्टोरी पद्धति से जुड़े आलोचकों, मिनी स्टोरी नए लेखक का सम्मान और पंजाबी मिनी स्टोरी का प्रमोशन, हिंदी लघु कथाकार को सम्मानित किया जाएगा । सम्मान के नाम पर जल्द ही चुनावी पद्धति साझा करेंगे । यह सम्मान मिनी परिवार से जुड़े विभिन्न लेखकों द्वारा अपने असली रिश्तेदारों की याद में दिया जाएगा ।

9. इंटरस्टेट इवेंट: पिंगलवाड़ा अक्टूबर 2021 में अमृतसर में होगा । रजिस्ट्रेशन फीस होगी । कार्यक्रम में भाग लेने वाले लेखकों के लिए 300 घटना का पूरा विवरण जल्द ही साझा किया जाएगा ।

10. आप सभी के सहयोग से ये सभी कार्यक्रम संपन्न होंगे । जिन साथियों को विभिन्न कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है उनके सहयोग के लिए हम अन्य सदस्यों को भी जोड़ेंगे ।
आपकी प्रतिक्रिया और सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी ।
पूरा मिनी परिवार

Source
https://www.facebook.com/100000874623660/posts/4610380029001106/

गुरुवार, 2 सितंबर 2021

लघुकथा वीडियो | लघुकथा: फर्क | विष्णु प्रभाकर



उस दिन उसके मन में इच्छा हुई कि भारत और पाक के बीच की सीमारेखा को देखा जाए, जो कभी एक देश था, वह अब दो होकर कैसा लगता है? दो थे तो दोनों एक-दूसरे के प्रति शंकालु थे. दोनों ओर पहरा था. बीच में कुछ भूमि होती है जिस पर किसी का अधिकार नहीं होता. दोनों उस पर खड़े हो सकते हैं. वह वहीं खड़ा था, लेकिन अकेला नहीं था-पत्नी थी और थे अठारह सशस्त्र सैनिक और उनका कमाण्डर भी. दूसरे देश के सैनिकों के सामने वे उसे अकेला कैसे छोड़ सकते थे! इतना ही नहीं, कमाण्डर ने उसके कान में कहा, ‘उधर के सैनिक आपको चाय के लिए बुला सकते हैं, जाइएगा नहीं. पता नहीं क्या हो जाए? आपकी पत्नी साथ में है और फिर कल हमने उनके छह तस्कर मार डाले थे.’

उसने उत्तर दिया, ‘जी नहीं, मैं उधर कैसे जा सकता हूं?’ और मन ही मन कहा-मुझे आप इतना मूर्ख कैसे समझते हैं? मैं इंसान, अपने-पराए में भेद करना मैं जानता हूं. इतना विवेक मुझ में है.

वह यह सब सोच रहा था कि सचमुच उधर के सैनिक वहां आ पहुंचे. रौबीले पठान थे. बड़े तपाक से हाथ मिलाया.

उस दिन ईद थी. उसने उन्हें ‘मुबारकबाद’ कहा. बड़ी गरमजोशी के साथ एक बार फिर हाथ मिलाकर वे बोले, ‘इधर तशरीफ़ लाइए. हम लोगों के साथ एक प्याला चाय पीजिए.’

इसका उत्तर उसके पास तैयार था. अत्यन्त विनम्रता से मुस्कराकर उसने कहा, ‘बहुत-बहुत शुक्रिया. बड़ी ख़ुशी होती आपके साथ बैठकर, लेकिन मुझे आज ही वापस लौटना है और वक़्त बहुत कम है. आज तो माफ़ी चाहता हूं.’

इसी प्रकार शिष्टाचार की कुछ बातें हुई कि पाकिस्तान की ओर से कुलांचें भरता हुआ बकरियों का एक दल, उनके पास से गुज़रा और भारत की सीमा में दाखिल हो गया. एक-साथ सबने उनकी ओर देखा. एक क्षण बाद उसने पूछा, ‘ये आपकी हैं?’

उनमें से एक सैनिक ने गहरी मुस्कराहट के साथ उत्तर दिया, ‘जी हां, जनाब! हमारी हैं. जानवर हैं, फ़र्क़ करना नहीं जानते.’

-- विष्णु प्रभाकर,
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