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गुरुवार, 16 मई 2019

लघुकथा प्रतियोगिता : फेसबुक समूह साहित्य संवेद द्वारा प्रस्तावित

फेसबुक समूह साहित्य संवेद में दिव्या राकेश शर्मा की पोस्ट से 

नमस्कार साथियों,

फेसबुक समूह साहित्य संवेद  लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन करवा रहा है। प्रतिभागियों से नवीन व ज्वलंत विषयों पर लेखनी चलानी की अपेक्षा है और हमें विश्वास है कि हमारी यह अपेक्षा व्यर्थ नहीं जायेगी।
प्रतियोगिता के नियम इस प्रकार हैं:
1. रचना मौलिक, स्वरचित और पूर्णतः अप्रकाशित (न केवल पत्र-पत्रिका वरन व्हाट्सएप और फेसबुक पर भी प्रकाशित न हो) होनी चाहिए।
2. एक प्रतिभागी एक और केवल एक रचना ही प्रतियोगिता में भेज सकता है।
3. भाषा की शुद्धता का ध्यान रखें। रचना भेजने से पहले अशुद्धियों को ठीक कर लें। पोस्ट करने के बाद संपादित (एडिट) करना अमान्य होगा।
4 . समीक्षक दो वरिष्ठ साहित्यकार होंगे।
आप सबसे अनुरोध है कि लघुकथा विधा में अपनी कल्पना को उड़ान दें और अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना के साथ इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता का हिस्सा बनें।
5. आप सबसे विनम्र निवेदन है कि अपने साथियों की रचनाओं पर अपनी बहुमूल्य समीक्षात्मक टिप्पणी भी जरूर दें। एडमिनगण इस प्रतियोगिता से दूर रहेंगे।
इस प्रतियोगिता हेतु किसी भी सुझाव का हार्दिक स्वागत है। निस्संकोच अभिव्यक्त करें।
समय सीमा: शनिवार 25/05/19 प्रातः 7 बजे से रविवार 26/05/19 सायं 10 बजे तक।
इस अवधि में प्रतियोगिता से इतर अन्य रचना पूर्णतः वर्जित होगी।आशा है कि सभी सदस्यगण इसका विशेष ध्यान रखेंगे।
(आप सब तो प्रतियोगिता में शामिल हैं ही, साथ में अपने मित्रों को भी शामिल होने के लिये प्रेरित करें।)

अतुल मल्लिक 'अनजान' जी की तरफ से इस प्रतियोगिता हेतु घोषणा

निर्णायक मंडल द्वारा चयनित प्रथम लघुकथा को मैं अपनी साहित्यिक पत्रिका #देहाती_दर्शन में प्रकाशित भी करूंगा, प्रकाशित होने के बाद दो प्रति रजिस्टर डाक से भेजूंगा भी।




मंगलवार, 7 मई 2019

लघुकथा: करामात: सआदत हसन मंटो (Manto Saadat Hasan)


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लूटा हुआ माल बरामद करने के लिए पुलिस ने छापे मारने शुरु किए।

लोग डर के मारे लूटा हुआ माल रात के अंधेरे में बाहर फेंकने लगे,कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपना माल भी मौक़ा पाकर अपने से अलहदा कर दिया, ताकि क़ानूनी गिरफ़्त से बचे रहें।

एक आदमी को बहुत दिक़्कत पेश आई। उसके पास शक्कर की दो बोरियाँ थी जो उसने पंसारी की दूकान से लूटी थीं। एक तो वह जूँ-तूँ रात के अंधेरे में पास वाले कुएँ में फेंक आया, लेकिन जब दूसरी उसमें डालने लगा ख़ुद भी साथ चला गया।
शोर सुनकर लोग इकट्ठे हो गये। कुएँ में रस्सियाँ डाली गईं।

जवान नीचे उतरे और उस आदमी को बाहर निकाल लिया गया।
लेकिन वह चंद घंटो के बाद मर गया।

दूसरे दिन जब लोगों ने इस्तेमाल के लिए उस कुएँ में से पानी निकाला तो वह मीठा था।
उसी रात उस आदमी की क़ब्र पर दीए जल रहे थे।

रविवार, 5 मई 2019

लघुकथा समाचार: न्यूज़ीलैंड में हिन्दी लघुकथा लेखकों की दस्तक

श्री मुकेश शर्मा की फेसबुक वॉल से


न्यूज़ीलैंड में हिन्दी लघुकथा लेखकों की दस्तक

न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित पहले हिन्दी अखबार 'अपना भारत' का पहला 'लघुकथा-परिशिष्ट' पाठकों को सौंपते हुए हमें अत्यंत हर्ष महसूस हो रहा है।

साहित्य के इस पृष्ठ के माध्यम से प्रयास रहेगा कि यह भारत,न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, जर्मनी आदि देशों के लेखकों का एक संयुक्त मंच बन पाये।

आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

- मुकेश शर्मा, वरिष्ठ सम्पादक



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ईबुक | मेरा पहला शतक : लघु कथा संग्रह | लेखक: राकेश तिवारी 'बंटी' | गूगल बुक्स पर कुछ पृष्ठ