Dainik Bhaskar | Feb 18, 2019
आरकेएसडी कॉलेज शिक्षण महाविद्यालय में आज साहित्य सभा कैथल एवं हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच की कैथल इकाई के संयुक्त तत्वावधान में एक कविता एवं लघुकथा गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें सिरसा से पधारे साहित्यकार रूप देवगुण ने बतौर मुख्य अतिथि, कुरुक्षेत्र से पधारे साहित्यकार रामकुमार अत्रे ने अध्यक्ष रूप में एवं डॉ कमलेश संधू ने विशिष्ट अतिथि की भूमिका निभाई। गोष्ठी का संचालन रिसाल जांगड़ा एवं डॉ प्रदुम्न भल्ला ने संयुक्त रूप से किया। साहित्य की सशक्त विधा लघुकथा एवं कविता को समर्पित इस गोष्ठी में 12 लघुकथा लेखकों ने अपनी लघुकथाओं का पाठ किया। जिन पर वरिष्ठ समीक्षक रूप देवगुण, रामकुमार आत्रेय, अमृत लाल मदान ने संक्षिप्त टिप्पणियां की। इनके अतिरिक्त रूप देवगुण की दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। जिसमें एक पुस्तक उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित, रूप देवगुण को जैसा हमने जाना एवं दूसरी पुस्तक हरियाणा की प्रतिनिधि लघु कविता, संपादन रूप देवगुण शामिल थी। काव्य गोष्ठी का आरंभ राजेश भारती की कविता मां जादूगर से हुआ। रामफल गौड़ ने अपनी पंक्तियों के माध्यम से सबका ध्यान खींचा, चाल है हर दम नारी, फिर भी जीना से लाचारी जीना से लाचारी। शमशेर कैंदल ने कहा, राजनीति विकराल हो गई, जोड़-तोड़ का जंजाल हो गई। गुहला से पधारे चेतन चौहान ने कहा हमको यही सिला मिला है बातचीत का, ताबूत फिर आ गया है घर पे मीत का। डा. प्रदुम्न भल्ला ने कहा नहीं भूलती हैं तुम्हारी वफाएं, बख्शी हैं तुमने हमारी खताएं। रामकुमार अत्रे के शब्द कुछ यूं रहे, लड़कियां अंधेरे तहखानों में खुलती खिड़कियां होती हैं। डा. कमलेश संधू ने कहा सरहदों की आंधी, चिरागों को बुझा रही है।
News Source:
https://www.bhaskar.com/harayana/kaithal/news/haryana-news-39we-have-got-this-bag-the-coffin-of-the-conversation-has-come-again39-024053-3928610.html
आरकेएसडी कॉलेज शिक्षण महाविद्यालय में आज साहित्य सभा कैथल एवं हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच की कैथल इकाई के संयुक्त तत्वावधान में एक कविता एवं लघुकथा गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें सिरसा से पधारे साहित्यकार रूप देवगुण ने बतौर मुख्य अतिथि, कुरुक्षेत्र से पधारे साहित्यकार रामकुमार अत्रे ने अध्यक्ष रूप में एवं डॉ कमलेश संधू ने विशिष्ट अतिथि की भूमिका निभाई। गोष्ठी का संचालन रिसाल जांगड़ा एवं डॉ प्रदुम्न भल्ला ने संयुक्त रूप से किया। साहित्य की सशक्त विधा लघुकथा एवं कविता को समर्पित इस गोष्ठी में 12 लघुकथा लेखकों ने अपनी लघुकथाओं का पाठ किया। जिन पर वरिष्ठ समीक्षक रूप देवगुण, रामकुमार आत्रेय, अमृत लाल मदान ने संक्षिप्त टिप्पणियां की। इनके अतिरिक्त रूप देवगुण की दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। जिसमें एक पुस्तक उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित, रूप देवगुण को जैसा हमने जाना एवं दूसरी पुस्तक हरियाणा की प्रतिनिधि लघु कविता, संपादन रूप देवगुण शामिल थी। काव्य गोष्ठी का आरंभ राजेश भारती की कविता मां जादूगर से हुआ। रामफल गौड़ ने अपनी पंक्तियों के माध्यम से सबका ध्यान खींचा, चाल है हर दम नारी, फिर भी जीना से लाचारी जीना से लाचारी। शमशेर कैंदल ने कहा, राजनीति विकराल हो गई, जोड़-तोड़ का जंजाल हो गई। गुहला से पधारे चेतन चौहान ने कहा हमको यही सिला मिला है बातचीत का, ताबूत फिर आ गया है घर पे मीत का। डा. प्रदुम्न भल्ला ने कहा नहीं भूलती हैं तुम्हारी वफाएं, बख्शी हैं तुमने हमारी खताएं। रामकुमार अत्रे के शब्द कुछ यूं रहे, लड़कियां अंधेरे तहखानों में खुलती खिड़कियां होती हैं। डा. कमलेश संधू ने कहा सरहदों की आंधी, चिरागों को बुझा रही है।
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https://www.bhaskar.com/harayana/kaithal/news/haryana-news-39we-have-got-this-bag-the-coffin-of-the-conversation-has-come-again39-024053-3928610.html