यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 13 जनवरी 2019

सोमवार, 7 जनवरी 2019

लघुकथा समाचार

जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली व नागौर के मूल निवासी लघुकथाकारों हेतु एक संकलन की योजना 

जोधपुर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास) जोधपुर की ओर से राजभाषा के प्रति जागरूकता व इसे बढ़ावा देने में विशिष्ट योगदान देने वाले स्थानीय व प्रादेशिक साहित्यकारों से उनकी गद्य, पद्य और कथेतर रचनाओं का संकलन प्रकाशित किया जाएगा। इस साझा पुस्तक का विमोचन देश के विख्यात साहित्यकारों की मौजूदगी में वार्षिक राजभाषा समारोह जून में किया जाएगा। नराकास के अध्यक्ष केसी पाठक के अनुसार इस पुस्तक में अपनी रचनाएं प्रकाशित कराने के इच्छुक साहित्यकार 20 जनवरी तक ईमेल से tolic.bobjodhpur@gmail.com पर भेज सकते हैं। समिति की संयोजक बैंक ऑफ बड़ौदा है। पाठक के अनुसार रचनाकार अपनी गद्य कहानी या लघुकथा को अधिकतम 4 पृष्ठ में दो हजार शब्द, पद्य कविता अधिकतम एक पृष्ठ पर 300 शब्द और कथेतर निबंध, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, यात्रावृत्त एवं डायरी अधिकतम तीन पृष्ठ में 1500 शब्द की सीमा में भेज सकते हैं। रचनाएं भेजने वाले साहित्यकार जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली व नागौर के मूल निवासी होने चाहिए। रचनाएं और परिचय एक ही फाइल में भेजनी होगी। अधिक जानकारी के लिए बैंक नराकास सचिव ओमप्रकाश बैरवा से संपर्क किया जा सकता है।

News Source:
https://www.bhaskar.com/rajasthan/jodhpur/news/the-compositions-are-invited-for-publication-in-39contemporary-creation39-book-044032-3572351.html

बुधवार, 2 जनवरी 2019

लघुकथा समाचार: मुकेश तिवारी जी के लघुकथा संग्रह "प्रथम पुष्प' का लोकार्पण



मुकेश तिवारी जी के लघुकथा संग्रह "प्रथम पुष्प' का लोकार्पण 

Indore News - five litterateur of the city honoredसाहित्यकार डॉ एस.एन. तिवारी की स्मृति में श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में इंदौर के पांच साहित्यकारों का सम्मान किया गया। इसमें पदमा राजेंद्र, सुषमा दुबे, देवेंद्रसिंह सिसौदिया, डॉ. दीपा व्यास और विजयसिंह चौहान शामिल हैं। दैनिक भास्कर के पत्रकार विकास सिंह राठौर का भी सम्मान किया गया। लेखक मुकेश तिवारी के लघुकथा संग्रह "प्रथम पुष्प' का लोकार्पण भी किया गया। अध्यक्षता साहित्यकार डॉ. योगेंद्रनाथ शुक्ल ने की। मुख्य अतिथि प्रो. कमल दीक्षित और विशेष अतिथि डॉ. वंदना अग्निहोत्री थे। डॉ. योगेंद्रनाथ शुक्ल ने कहा कि वर्तमान युग तकनीकी का है और इस युग में लोगों को लंबे-लंबे ग्रंथ पढ़ने का समय नहीं है, ऐसे में लघुकथाएं गागर में सागर का काम करती हैं। एक अच्छी लघुकथा पाठक के दिमाग पर प्रहार करती हैं और कहानी पढ़ने के बाद घंटों सोचने पर मजबूर कर देती है। संचालन नियोति दुबे ने किया। 

कार्यक्रम में पदमा राजेंद्र, सुषमा दुबे, देवेंद्रसिंह सिसौदिया, डॉ. दीपा व्यास और विजयसिंह चौहान को सम्मानित किया गया। 

News Source:

https://www.bhaskar.com/mp/indore/news/five-litterateur-of-the-city-honored-033117-3554250.html

गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

लघुकथा विधा पर हाइकु

स्वर्गीय श्री पारस दासोत ने  लघुकथा विधा पर हाइकु रच कर नए प्रयोग किए थे।  प्रस्तुत है उनके द्वारा कहे गए लघुकथा विधा पर कुछ हाइकु:


लघुकथा में,
है चली कथा, तार
शोर न मचा।
स्याही सोख है
है लघुकथा कथा
, बूँद डाल।
लघुकथा है,
है अपना पैमाना
लघुकथा में।

घटना डूबी
निकली लघुकथा
आइना बन। .

बूँद है कथा
तू ढूंढ ले सागर
है लघुकथा।

है लघुकथा,
तेरी मेरी उसकी
बात की कथा।


करती कथा
लघुकथा घर में
कथा संघर्ष।


पैसा नहीं है
है यह लघुकथा,
इसे न फैला।


निगाहें उठा,
आखों से खूँ बहाना
है लघुकथा।


लघु है कथा
फालतू न लिख तू
शब्द, अक्षर।

प्रयोग  तेरे
है लघुकथा तेरी
तेरी कहानी।

सोमवार, 24 दिसंबर 2018

मेरा सांता

रात गहरा गयी थी, हल्की सी आहट हुई, सुनते ही उसने आँखें खोल दीं, उसके कानों में माँ के कहे शब्द गूँज रहे थे,
"सफ़ेद कॉलर और कफ़ वाले लाल कोट के साथ चमड़े की काली बेल्ट और बूट पहने सफ़ेद दाढ़ी वाला सांता क्लॉज़ आकर तेरे लिये आज उपहार ज़रूर लायेगा।"

रात को सोते समय उसके द्वारा दवाई के लिए आनाकानी करने पर माँ के यह कहते ही उसकी नज़र अलमारी में टंगे अपने पिता के लाल कोट की तरफ चली गयी थी, जिसे माँ ने आज ही साफ़ किया था और उसने ठान लिया कि वह रात को सोएगी नहीं, उसे यह जानना था कि सांता क्लॉज़ उसके पिता ही हैं अथवा कोई और?

"अगर पापा होंगे तो पता चल जायेगा कि पापा सच बोलते हैं कि झूठ, उनके पास रूपये हैं कि नहीं?" यही सोचते-सोचते उसकी आँख लग गयी थी, लेकिन आहट होते ही नींद खुल गयी।

उसने देखा, उसके तकिये के पास कुछ खिलौने और एक केक रखा हुआ है। वह तब मुस्कुरा उठी, जब यह भी उसने देखा कि उसके पिता ही दबे क़दमों से कमरे से बाहर जा रहे थे, लेकिन जैसी उसे उम्मीद थी, उन्होंने सांता क्लॉज़ जैसे अपना लाल कोट नहीं पहना हुआ था।

सहसा उसकी नज़र खुली हुई अलमारी पर पड़ी, और  वह चौंक उठी, उसके पिता का लाल कोट तो उसमें भी नहीं था।

वास्तव में, लाल कोट अपना रूप बदलकर खिलौने और केक बन चुका था।


- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

रविवार, 23 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

लघुकथा शोध केंद्र भोपाल मध्यप्रदेश की मासिक गोष्ठी। (22 दिसंबर 2018)
- श्रीमती कान्ता रॉय जी 

लघुकथा शोधकेन्द्र, भोपाल द्वारा लघुकथा गोष्ठी का आयोजन दिनांक 22 दिसंबर को मानस भवन में किया गया। कॉर्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा देवेंद्र दीपक ने की।

मुख्य अतिथि: से.न. प्रो. डॉ. विनय राजाराम एवं मुख्य समीक्षक के रूप में श्री युगेश शर्मा मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शशि बंसल ने किया श्रीमती महिमा वर्मा द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुति पश्चात् कॉर्यक्रम का शुभारंभ हुआ। लघुकथा शोध केंद्र की अध्यक्षा श्रीमती कांता राय के स्वागत भाषण पश्चात् लघुकथा वाचन उषा सोनी, डॉ. मौसमी परिहार, नीना सोलंकी, शोभा शर्मा, विनोद जैन द्वारा किया गया जिनकी समीक्षा गोकुल सोनी, सुनीता प्रकाश, डॉ. वर्षा ढोबले, किरण खोड़के, मधुलिका सक्सेना, मृदुला त्यागी, रंजना शर्मा, सरिता बाघेला, कान्ता राय, एवम सतीश श्रीवास्तव ने की।

अपने विशेष उद्बोधन में डा देवेंद्र दीपक ने कहा की लघुकथा एक तुलसीदल के समान है जो अपने आकार में छोटी होते हुए विशेष संप्रेषण शीलता से युक्त होती है। डा विनय राजाराम ने कहा कि साहित्यकार कागज पर अपनी रचना उतारने के पूर्व अपने मन में पटकथा लिख चुका होता। अंत में श्री मुजफ्फर सिद्दीकी ने आभार व्यक्त किया।

Source:
https://www.facebook.com/kanta.roy.12/posts/2711892289035307