जब किसी रचनाकार को सम्मान दिया जाता है यह उसको और बेहतर लिखने की प्रेरणा तो देता ही है, वह रचनाकार का दायित्व भी बढ़ा देता है कि वह लगातार अच्छी रचता रहे। लघुकथा लिखना आसान नहीं है। लघुकथा लिखना उपन्यास लिखने जैसा ही कठिन रचनाकर्म है। लघुकथा आकार में भले लघु हो पर दीर्घ प्रभाव छोड़ती है। यह बात देवास के कहानीकार मनीष वैद्य ने कही। वे श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में वरिष्ठ शिक्षक और लेखक स्व. डॉ.एस.एन. तिवारी के पुण्य स्मरण दिवस पर रचनाकारों के सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम में मुकेश तिवारी के लघुकथा संग्रह आम के पत्ते का लोकार्पण भी किया गया।
इन्हें किया गया सम्मानित
इसमें इंदौर के कांतिलाल ठाकरे, धार के नरेंद्र मांडलिक और एकता शर्मा,, भोपाल के कमल किशोर दुबे, इंदौर की संध्या रायचौधरी और अदिति सिंह भदौरिया, अमर कौर चड्ढा, कोटा की माधुरी शुक्ला सम्मानित किया गया। आभार डॉ पूजा मिश्रा ने माना। दूसरे सत्र में लघुकथा पाठ कियागया। लघुकथाकार डॉ योगेन्द्रनाथ शुक्ला ने कहा कि लघुकथा एक अलग-सा तेवर रखने वाली विधा है। अच्छा लिखने से पहले अच्छा पढ़ना भी बहुत ज़रूरी है। डॉ. पद्मा सिंह ने कहा कि अगर लघुकथा लिखी जा रही है तो वह लघु ही होना चाहिए। लेखन ऐसा हो जो पाठकों के दिल को छू जाए। विशेष अतिथि मीरा जैन और देवेन्द्र सिंह सिसौदिया ने लघुकथा लेखन की बारीकियों बताईं। संचालन डॉ. दीपा मनीष व्यास ने किया।
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https://www.bhaskar.com/news/mp-news-honor-gives-encouragement-to-the-creator-and-also-responsibility-153552-6291565.html
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