लघुकथाएँ :
जिंदादिल / डाॅ. मधुकांत जी
तस्वीर देखकर / सुश्री अनिता रश्मि
लघुकथाएँ :
जिंदादिल / डाॅ. मधुकांत जी
तस्वीर देखकर / सुश्री अनिता रश्मि
श्री मृणाल आशुतोष की फेसबुक वॉल से
नमस्कार साथियो!
कुसुमाकर दुबे स्मृति लघुकथा प्रतियोगिता परिणाम के साथ आप सबके समक्ष उपस्थित हूँ।
सर्वप्रथम परिणाम हुए अतिशय विलम्ब के लिये क्षमायाचित हूँ। दूबे सर आज होते तो मेरी डाँट लगाते हुए कहते कि 'सब काम मे तोरा लेटे भ जाय छ(सब काम में आपको देर ही हो जाती है।)। कारण जो भी रहे हों, जिम्मेदारी केवल और केवल मेरी है। प्रतियोगिता में सहभागी आप सभी लघुकथाकारों एवं मुख्य निर्णायक लघुकथा मर्मज्ञ श्री भगीरथ का हम आयोजन समिति के सदस्य हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। निर्णय में आयोजन समिति के सदस्यों(कुमार गौरव, दिव्या राकेश शर्मा, पूजा अग्निहोत्री और मृणाल आशुतोष।) ने भी अपना अंशदान दिया है।
जिन लघुकथाकारों की रचना विजेता हुई हैं, उन्हें हार्दिक बधाई। आपकी लेखनी यूँ ही निरन्तर बेहतर करती रहे।
जिन लघुकथाकारों की रचना प्रथम दस में स्थान नहीं बना सकीं, वह भी अच्छी थीं। आप सभी और बेहतर करने का प्रयास करें। हार्दिक शुभकामनाएं।
विजेता इस प्रकार हैं:
■प्रथम पुरस्कार:छटपटाहट-संगीता चौरसिया [1100₹+कुसुमाकर दुबे रचित 'मृगतृष्णा'+ #सेतु_कथ्य से तत्व तक'(सम्पादक:शोभना श्याम एवं मृणाल आशुतोष)+ कमल कपूर रचित लघुकथा संग्रह 'आँगन-आँगन हरसिंगार' एवं उपन्यास 'अस्मि']
■द्वितीय पुरस्कार-कायजा -उपमा शर्मा[500₹+'मृगतृष्णा'+ #सेतु_कथ्य_से_तत्व_तक+कमल कपूर रचित 'आँगन-आँगन हरसिंगार' एवं उपन्यास 'आखिरी साँस तक']
■तृतीय पुरस्कार:'कान्हा एक यशोदा अनेक' -प्रतिभा द्विवेदी['मृगतृष्णा'+ #सेतु_कथ्य_से_तत्व_तक+आँगन-आँगन हरसिंगार' एवं उपन्यास 'आखिरी साँस तक']
■प्रोत्साहन पुरस्कार(आप सभी को मृगतृष्णा' प्रदान की जाएगी।)
'मूक हुई वाचाल'-लक्ष्मी मित्तल
'मैं हूं ना'-तेजवीर सिंह
'मुहब्बत कभी नहीं मरती' -पदम गोधा
'पुश्तैनी पेशा'-निर्मल कुमार दे
'पीर' -अंजू खरबंदा
'अक्स' - कनक हरलालका
'अंधेर नगरी'- मनन सिंह।
एक बार पुनः आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
निर्णायक श्री परिहार ने विजेता रचनाओं(प्रथम सात) पर टिप्पणी भी दी है जिससे हम सभी सीख सकते हैं।
अंतिम तीन रचनाओं पर हमने भी टिप्पणी देने का प्रयास किया है।
◆1 छटपटाहट- संगीता चौरसिया कोरोना पीरियड के दर्द को बयां करती अनुभवजन्य भावनात्मक कथा जो पाठक को विचलित करने की सामर्थ्य रखती है. सुमन का कोरोना पीड़ित पति गोविन्द अस्पताल में वेंटीलेटर पर था वह पति से मिलना चाहती थी लेकिन अस्पताल और घरवालों ने मना कर दिया. दर्द,भय और अकेलेपन ने गोविन्द को तोड़ दिया. सुमन को मिलाने गाड़ी अस्पताल न जाकर सीधे श्मशान ले गई.
◆2 कायजा –उपमा शर्मा सरकार विकास देती है और लोग रोटी मांग रहे है इस अंतर्द्वंद्व को दर्शाया गया है. स्थितियों का विरोधाभास ही व्यंग्य करता है. कथा का आरम्भ उत्कर्ष और अंत अच्छा बन पड़ा है. वार्तालाप कथा को आगे बढ़ाते-बढ़ाते अंत तक ले जाते हैं संवाद शैली की कथा के अंत के संवाद व्यंग्य को उभारने में सक्षम है.
◆3.कान्हा एक यशोदा अनेक -प्रतिभा द्विवेदी. नया विषय कथा का आरम्भ और उत्कर्ष अंत अच्छा है. सिस्टर के रोकते रोकते दादाजी प्रसूति कक्ष में चले गए और अपने पोते के लिए आधे चम्मच दूध की भीख मांगने लगे. पहले गाँव की चंदो ने फिर बहुत सी नव प्रसूता ने दूध देने की हामी भरी.
◆मूक हुई वाचाल- लक्ष्मी मित्तल सामान्य विषय [बस में पुरुष का स्त्री से चिपकना] का ट्रीटमेंट अच्छा है. दृश्यात्मक विश्लेष्णात्मक विवरण ध्यान खींचता है और कथा का अंत भी सटीक है स्त्री प्रतिकार कर उसे सबक सिखा देती है.
◆मैं हूँ ना- – तेजवीर सिंह
दादा पोते के संवाद से बुनी प्रेरणादायक कथा. पोते के पिता की कोरोना से मृत्यु जैसी विषम और चुनौती पूर्ण परिस्थितियां एक दस वर्ष के बालक को भी स्ट्रोंग बना देती है. पोता दादा को हिम्मत देता है ‘आप दुकान खोलो मैं आपके साथ हूँ आपके मार्गदर्शन में मैं सब कर लूँगा.’
◆मुहब्बत कभी नहीं मरती- पदम गोधा.
इंसानियत और मुहब्बत का जज्बा दंगों के बाद भी बना रहता है तभी तो थोड़े दिनों बाद जीवन सामान्य होने लगता है. जीवन मूल्यों को रेखांकित करतीलघुकथा. कुछ पञ्च वाक्य भी ध्यान देने योग्य है. नाम लेते ही व्यक्ति जाति धर्म में बदल जाता है फिर वह इन्सान नहीं रहता. ‘साहब इंसानियत को कौन मार सका है इसी दंगाग्रस्त बस्ती में फिर से मंदिर में घंटे बजेगे और मस्जिद में अजान ! गुरुद्वारे में गुरुवाणी सुनाई देगी ! नफ़रत ही हारती है साहब मुहब्बत कभी भी नहीं मरती !"
◆पुश्तैनी पेशा- निर्मल कुमार दे एक तार्किक कथा जो जातिवादी व्यक्ति की मानसिकता को उजागर करती है. जाति न बताने पर पुश्तैनी धंधा पूछता है लेकिन उसके जबाब भी इतने सटीक की वह आखिर चुप हो जाता है. लेकिन जाति का कीड़ा उसके मस्तिष्क में फिर भी कुलबलाता है।
◆पीर: कथ्य का चयन शानदार है। पहाड़ पर हम सभी आनंद उठाने जाते हैं पर पहाड़ के दर्द को नहीं महसूस कर पाते। हमारी मस्ती उसके दुख का कारण बन रही है। लापरवाही मस्ती से अधिक उपयुक्त होगा।
अब हम हमारे आने से खुश नहीं होते।प्रकृति के प्रति सजगता को आकृष्ट करती अच्छी रचना है।
◆अक्स: कथ्य का चयन अच्छा है। शिल्प भी प्रभावित करती है। अंतिम पंक्ति काफी कुछ कह कर रही है।
◆अंधेर नगरी-शीर्षक शानदार है और उसी अनुरूप कथा का निर्वहन भी हुआ है। वर्तमान स्थिति पर करारा कटाक्ष करने में लेखक ने सफलता प्राप्त की है।
आप सभी विजेताओं से निवेदन है कि अपना पूरा पता पिन कोड के साथ और मोबाईल नम्बर मुझे मैसेंजर पर भेज दें।
संगीता चौरसिया जी और उपमा शर्मा जी
अपना बैंक डिटेल भी मुझे भेजें ताकि पुरस्कृत राशि भेजी जा सके।
■■प्रतियोगिता के अंतराल में ही कमल कपूर जी का कॉल आया कि मृणाल ' कुसुमाकर दुबे स्मृति लघुकथा प्रतियोगिता' जो आप सब कर रहे हो, उसके लिए मेरी पुस्तक भी आप रख सकते हैं। स्तरीय पुस्तक हों तो भला कौन आयोजक मना करेगा। हमने अपने साथियों से विचार कर इसे पुरस्कार में शामिल कर लिया। इससे पुरस्कार की महत्ता और बढ़ गयी। आप का हार्दिक आभार।
सधन्यवाद,
सम्माननीय,
साहित्यकार,समीक्षक, आचार्य एवं शोधार्थियों,
हम सहर्ष सूचित करना चाहते हैं कि ‘लघुकथाओं का वृहद संसार’ नामक समीक्षात्मक पुस्तक ISBN नंबर के साथ प्रकाशित होने जा रही है। आप भी अपना शोध आलेख 10/12/2021 तक MS Word फ़ाइल में मंगल, UNICODE, या कृतिदेव 10 में टाइप करके
email ID- neetatrivedi2010@gmail.com
पर भेज सकते हैं।
उप विषय
1. लघुकथा साहित्य: स्वरूप एवं महत्त्व
2. लघुकथा साहित्य: परंपरा एवं विकास
3. हिंदी कथा साहित्य में लघुकथा का स्थान
4. लघुकथा साहित्य और महिला लघुकथाकार
5. हिंदी लघुकथा साहित्य में राजस्थान के कथाकारों की भूमिका
6. समकालीन लघुकथाओं में आए परिवर्तन की पहचान
7. इक्कीसवीं सदी और लघुकथा साहित्य
8. प्रमुख लघुकथा पत्रिकाएँ
9. लघुकथा साहित्य में विमर्श के स्वर
10. लघुकथा और प्रवासी साहित्य
11. लघुकथा साहित्य एवं युवा लेखन
12. लघुकथा साहित्य का साहित्य की अन्य विधाओं से अन्तर्सम्बन्ध
13. लघुकथा साहित्य की भाषा और शिल्प
14. लघुकथा साहित्य में शैल्पिक नवाचार
15. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का लघुकथा साहित्य पर बढ़ता प्रभाव
16. लघुकथा: सामाजिक सरोकार
17. लघुकथा: मानवीय मूल्य
18. लघुकथा: ग्राम्य एवं शहरी संस्कृति
19. लघुकथा: पारिवारिक जीवन
20. लघुकथा: सांस्कृतिक संक्रमण
21. लघुकथा: नारी जीवन
22. लघुकथा: दर्शन एवं जीवन
23. लघुकथा: नैतिक विचार दृष्टि
24. लघुकथा: राजनीतिक दृष्टि
25. लघुकथा: हास्य एवं व्यंग्य
26. लघुकथा: बाल मनोविज्ञान
27. लघुकथा: साम्प्रदायिक समस्याएँ
28. लघुकथा: जादुई यथार्थवाद
29. हिंदी के लघुकथाकार एवं उनकी विशाल कथादृष्टि
30. प्रमुख लघुकथाकारों की रचनाओं की आलोचनात्मक समीक्षा
31. हिंदी के प्रमुख लघुकथा संग्रह और समीक्षात्मक दृष्टि
32 . विषय से संबंधित अन्य उप-विषयों पर भी शोध पत्र/आलेख स्वीकृत हैं।
नियम एवं शर्तें
1. शोध आलेख 1500 से 2500 शब्दों तक हो।
2. शोध आलेख भेजने से पूर्व भाषागत एवं व्याकरणिक अशुद्धियों को भली-भांति जाँच लें।
3. लेख के अंत में संदर्भ सूची(लेखक/संपादक,शीर्षक,प्रकाशन वर्ष,पृष्ठ संख्या आदि) होना अनिवार्य है।
4. लेख के अंत में अपना नाम,पद,पता,मोबाइल/व्हाट्सऐप नंबर अवश्य दें।
5. शोध आलेख केवल हिंदी में मंगल, UNICODE या KrutiDev 10 फ़ॉण्ट में दें।
6. पीडीएफ, हाथ से लिखा आलेख मान्य नहीं है।
7. लेख प्रकाशन हेतु मात्र 500/- रू. राशि देनी होगी।
अधिक जानकारी हेतु
संपर्क
संपादक
डॉ. नीता त्रिवेदी
सहायक आचार्य
हिंदी विभाग
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय,
उदयपुर (राजस्थान)
मो. नं.- 9950960999
Email ID-neetatrivedi2010@gmail.com
"साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है, परंतु एक नया वातावरण प्रदान करना भी है।" अपने इन शब्दों द्वारा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन क्या कहना चाह रहे हैं यह तो स्पष्ट है, साथ ही इस वाक्य पर थोड़े से मनन के पश्चात् समझ में आता है कि यह पंक्ति एक भाव यह भी रखती है कि साहित्य का कार्य छोटी से बड़ी किसी भी समस्या के ताले की चाबी बनना हो न हो वर्तमान युग के अनुसार एक ऐसा वातावरण तैयार करना है ही, जो हमारे मन-मस्तिष्क के द्वार खटखटाने में सक्षम हो। चूँकि लघुकथा सीमित शब्दों में अपने पाठकों को दीर्घ सन्देश देने में भी सक्षम है, अतः ऐसे वातावरण का निर्माण करने में लघुकथा का दायित्व अन्य गद्य विधाओं से अधिक स्वतः ही हो जाता है।
लघुकथा में संवेदना , रिश्ते , साहित्य को समझना आवश्यक है। लघुकथाकार लघुकथा के माध्यम से समकालीन समय की संवेदना के साथ बातचीत करती है। " उपरोक्त विचार नगर की साहित्यिक संस्था 'क्षितिज' द्वारा आयोजित तृतीय अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन में श्री नरहरि पटेल के द्वारा व्यक्त किए गए।श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में आयोजित कार्यक्रम में साहित्य अकादमी के निदेशक श्री विकास दवे ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि , " साहित्य जगत में और अलक्ष्य कलमों को रेखांकित किया जाना आवश्यक है। जिस तरह संयुक्त परिवार में दादा- दादी एवं अन्य वरिष्ठ सदस्यों के साथ नाती- पोते भी रहते हैं लेकिन नाती पोतियों की धमाल सबसे ज्यादा आकर्षित करती है , उसी तरह इन दिनों साहित्य जगत लघुकथा की लोकप्रियता इस धमाल के स्तर की ही है। साहित्य में लघुकथा के क्षेत्र में बहुत काम हो रहा है ,इसमें साक्षात्कार विशेषां क जैसा उपक्रम निकलना चाहिए ।अनुवाद विधा से लघुकथा को समृद्ध किया जा सकता है। महर्षि अरविंद , महर्षि दयानंद सरस्वती के अवदान को अनुवाद में रेखांकित किया जाना आवश्यक है। "
आयोजन में डॉ. कमल चोपड़ा दिल्ली , डॉ रामकुमार घोटड, चूरू , राजस्थान को क्षितिज लघुकथा शिखर सम्मान , डॉ पुरुषोत्तम दुबे को लघुकथा समालोचना सम्मान , डॉ योगेंद्र नाथ शुक्ला , ज्योति जैन को लघुकथा समग्र सम्मान , दिव्या राकेश शर्मा गुरुग्राम , अंजू निगम देहरादून को लघुकथा नवलेखन सम्मान प्रदान किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजन के साथ हुआ। सरस्वती वंदना विनीता द्वारा शर्मा द्वारा प्रस्तुत की गई । संस्था अध्यक्ष श्री सतीश राठी के स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । सम्मान समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरहरी पटेल ने अध्यक्षीय उद्बोधन में , साहित्य मनीषी श्यामसुंदर दास , सुमनजी , सतीश दुबेजी का पुण्यस्मरण भी किया ।
इस प्रसंग पर साहित्यिक अवदान हेतु श्री नरहरि पटेल को क्षितिज मालव गौरव सम्मान , श्री शरद पगारे एवं श्री सत्यनारायण व्यास को क्षितिज समग्र जीवन साहित्यिक अवदान सम्मान , डॉ विकास दवे को साहित्य गौरव सम्मान , डॉ अर्पण जैन को भाषा सारथी सम्मान प्रदान किए गए। श्री राज नारायण बोहरे , नंदकिशोर बर्वे , चरण सिंह अमी ,अंतरा करवड़े डॉ वसुधा गाडगिल को भी विशिष्ट सम्मानों से सम्मानित किया गया । इसी श्रृंखला में क्षितिज की अनुवाद उपक्रम संस्था ,भाषा सखी द्वारा श्री सतीश राठी , श्री अश्विनी कुमार दुबे , श्री दीपक गिरकर , श्री राम मूरत राही को भी सम्मान प्रदान किए गए।
इसके पश्चात क्षितिज संस्था के द्वारा प्रकाशित संवादात्मक लघुकथा अंक एवं विभिन्न विधाओं में लिखी गई कुछ पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ। सत्र का यशस्वी संचालन हिंदी सेवी ,अंतरा करवड़े ने किया। सत्र का कृतज्ञता ज्ञापन श्री सतीश राठी ने किया।
सम्मान सत्र के पश्चात लघुकथा पर केंद्रित तीन सत्रों का आयोजन किया गया ,जिसमें द्वितीय सत्र " लघुकथाओं के परिप्रेक्ष्य में भाषा साहित्य और आधुनिक तकनीक की भूमिका " पर परिचर्चा का आयोजन किया गया । इसमें वरिष्ठ साहित्यकार श्री राज नारायण बोहरे अध्यक्ष थे। कांता राय ( भोपाल ),अंतरा करवड़े( इंदौर) चर्चाकार थी। मॉडरेटर डॉक्टर वसुधा गाडगिल थी। इस चर्चा में लघुकथा के माध्यम से देवनागरी लिपि और हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय फलक तक पहुंचाने पर विचार व्यक्त किए गए।
तृतीय सत्र " आपदा कालीन साहित्य सृजन का दूरगामी प्रभाव " विषय पर था जिसमें अध्यक्ष चूरु राजस्थान से पधारे डॉ. राम कुमार घोटड थे , मूर्धन्य साहित्यकार श्री संतोष सुपेकर उज्जैन नंदकिशोर बर्वे श्रीमती सीमा व्यास इंदौर से थे। इस सत्र में आपदाकालीन साहित्य सर्जना और आगामी पीढ़ी पर प्रभाव को लेकर विचाराभिव्यक्ति की गई। सत्र का संचालन अदिति सिंह भदोरिया ने किया।
चौथे सत्र में विभिन्न विषयों पर केंद्रित चयनित लघुकथाओं का वाचन किया गया । इस सत्र का संचालन विनीता शर्मा ने किया । समूचे आयोजन का आभार सचिव श्री दीपक गिरकर ने किया। सम्मेलन में संतोष सुपेकर , राममूरत राही , उमेश कुमार नीमा ,दिलीप जैन , ज्योति जैन का उल्लेखनीय सहयोग रहा। इस तरह अत्यंत गरिमामय आयोजन में लघुकथा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक तक ले जाने , पोषित- पल्लवित करने के लिए मूर्धन्य लघुकथाकारो द्वारा विचार- मंथन , साधक- बाधक चर्चा कर लघुकथा विधा को समृद्ध करने का सार्थक आयोजन संपन्न हुआ ।