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शनिवार, 28 सितंबर 2019

अब लघुकथा संकलन भी विश्वविद्यालयों के पाठ्क्रमों में शामिल | अनघा जोगलेकर



साहित्य से नई पीढ़ी को परिचित करवाने के लिए साहित्य की विभिन्न विधाएँ विद्यार्थियों को पाठ्क्रम के अंतर्गत पढ़ाई जाती हैं। इसी उपक्रम में अब साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा लघुकथा को भी मान्य विधा के रूप में स्वीकृत करते हुए विश्वविद्यालयों में लघुकथा को लघुकथा की पूर्ण पुस्तक के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। अभी तक छुटपुट लघुकथाओं का उपयोग पाठ्यक्रम में होता आया है, लेकिन यह पहली बार ही हुआ है कि, लघुकथा की पूरी पुस्तकों को उसी तरह पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिस तरह से कविता और कहानी की पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल होती आई हैं।
इस वर्ष के बी.बी.ए. एवम बी.ए. के प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में दो लघुकथा संकलन पढ़ाये जा रहे हैं। कथाकार बलराम द्वारा संपादित इन दोनों ही संकलनों, 'लघुकथा लहरी' व 'छोटी बड़ी कथाएँ', का रशियन कल्चरल अकादमी में भव्य लोकार्पण किया गया ।
यह बहुत ही हर्ष का विषय है कि अब लघुकथा भी अपनी सशक्तता के कारण एक विधा के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल हो गई है और आशा है कि आने वाले समय में अन्य विश्वविद्यालयों में भी लघुकथा की और पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल की जायेंगी। कथाकार बलराम द्वारा संपादित लघुकथा की इन पुस्तकों को राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित किया गया है।
इन पुस्तकों में लघुकथाओं के पुरोधा भारतेंदु हरिश्चन्द्र, प्रेमचंद, विष्णु प्रभाकर, चन्द्रधर शर्मा गुलेरी, हरिशंकर परसाई आदि के साथ वर्तमान लघुकथाकार चित्रा मुद्गल, सुकेश साहनी, रामेश्वर कम्बोज हिमांशु, बलराम, मधुदीप गुप्ता, अशोक भाटिया, अशोक जैन, सुभाष नीरव, सूर्यकांत नागर, सतीश राठी, राकेश शर्मा, चैतन्य त्रिवेदी, चेतना भाटी, अंतरा करवड़े, अनघा जोगलेकर आदि की लघुकथाएँ शामिल हैं।
भारतेंदु हरिश्चंद्र के काल से ही लघुकथा लेखन आरंभ हो चुका था परन्तु पिछले 40-45 वर्षों से लघुकथा पर गहन शोध कार्य एवम निरंतर लेखन शुरू हो चुका है। वर्तमान में मुख्यतः पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि में लघुकथा पर विशेष कार्य किया जा रहा है। गत वर्ष इंदौर में 'क्षितिज' संस्था द्वारा अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। क्षितिज संस्था पिछले 36 वर्षों से लघुकथा विधा के विकास के लिए सतत कार्यरत रही है। गत वर्ष सिरसा में भी लघुकथा सम्मेलन का सफल आयोजन किया गया। कान्ता राय के नेतृत्व में भोपाल लघुकथा शोधकेंद्र भी सक्रियता से लघुकथा के विकास में कार्यरत है।
इसी कड़ी में श्याम सुंदर अग्रवाल के सम्पादन में पंजाब से प्रकाशित पत्रिका 'मिन्नी', सतीश राठी के सम्पादन में 'क्षितिज', अशोक जैन के सम्पादन में 'दृष्टि', योगराज प्रभाकर के सम्पादन में 'लघुकथा कलश', मधुदीप गुप्ता की लघुकथा पुस्तक श्रृंखला 'पड़ाव और पड़ताल' व स्वयं कथाकार बलराम का लघुकथा को एक विधा के रूप में प्रतिष्ठित कराने में विशेष योगदान रहा है। श्री बलराम के संपादन में अभी तक लघुकथा कोश, लघुकथा विश्वकोश और लघुकथा के लिए ढेर सारी पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। उन्हीं के सतत प्रयासों ने आज लघुकथा को इस स्थान पर लाकर विराजित कर दिया है।
अनघा जोगलेकर

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

विश्व हिन्दी लघुकथाकार निर्देशिका में शामिल लघुकथाकार

श्री मधुदीप गुप्ता की फेसबुक पोस्ट से 

अंकिता कुलश्रेष्ठ, अंजना अनिल, अंजली सिफर, अंजु दुआ जैमिनी, अंजु निगम, अंजुल कंसल ‘कनुप्रिया’, अखिलेन्द्र पाल सिंह, अखिलेश पालरिया, अनघा जोगलेकर, अनन्त श्रीमाली, अनीता रश्मि, अनिता ललित, अनिल रश्मि, अनिल शूर ‘आजाद’, अनीता मिश्रा सिद्धि, अनीता राकेश, अनुराग, अनुराग शर्मा, अनूप हरबोला, अन्तरा करवड़े, अपराजिता अनामिका श्रीवास्तव, अमरीक सिंह दीप, अमृतलाल मदान, अमृत राज, अमृता सिन्हा, अरविन्द सिंह नैकित सिंह, अरुण कुमार, अरुण कुमार गुप्ता, अर्चना तिवारी, अर्चना त्रिपाठी, अर्चना राय, अर्विना गहलोत, अलका अग्रवाल, अलका धनपत, अलका प्रमोद, अल्पना हर्ष, अविनाश अग्निहोत्री, अशोक ओझा, अशोक गुजराती, अशोक चतुर्वेदी, अशोक जैन, अशोक दर्द, अशोक भाटिया, अशोक मिश्र, अशोक यादव, अशोक लव, अशोक वर्मा, अशोक शर्मा भारती, अहमद रज़ा हाशमी, आद्या शुक्ला तिवारी, आनन्द किशोर शास्त्री, आभा चन्द्रा, आभा सक्सेना, आभा सिंह, आरती बंसल, आरती शर्मा, आरती स्मित, अशोक चोपड़ा, आशा पुष्प, आशा लता खत्री, आशागंगा प्रमोद शिरढोणकर, आशा शर्मा, आशा शैली, आशीष दलाल, इन्दिरा खुराना, इन्दु गुप्ता, इन्दु भारद्वाज, इन्दु वर्मा, इंद्रा बंसल, इन्द्रा ‘स्वप्न’, ई गणेश जी बागी, ईशानी सरकार, ईश्वर चन्द्र, उदय श्री श्री ताम्हने, उपमा शर्मा, उपेन्द्र प्रसाद राय, उमा शंकर सिंह, उमेश महादोषी, उर्मि कृष्ण, उषा अग्रवाल पारस, उषा वर्मा, उषा भदौरिया, एकता कुमारी, एन एच देवा, एल आर राघव ‘तरुण’, ओमप्रकाश काद्यान, ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश, कंचन अपराजिता, कनक हरलालका, कपिल शास्त्री, कमल कपूर, कमल चोपड़ा, कमला अग्रवाल, कमलेश चौरसिया, कमलेश भारतीय, कल्पना भट्ट, कल्पना मिश्र, कल्याणी कुसुम सिंह, कविता मालवीय, कविता वर्मा, कान्ता रॉय, कालीचरण प्रेमी, क़ासिम खुर्शीद , किशनलाल शर्मा, किशोर श्रीवास्तव, कुंकुम गुप्ता, कुँवर प्रेमिल, कुणाल शर्मा, कुमार गौरव, कुमार नरेन्द्र, कुमारसम्भव जोशी, कुमारी ज्योत्सना, कुलदीप जैन, कुसुम जोशी, कुसुम पारीक, कृष्ण कमलेश, कृष्ण चन्द्र महादेविया, कृष्ण मनु, कृष्णलता यादव, कृष्णानन्द कृष्ण, कोमल वाढवानी ‘प्रेरणा’, क्षमा सिसोदिया, ख़ुदेजा ख़ान, खेमकरण 'सोमन', गीता कैथल, गुरनाम सिंह, गुलशन मदान, गोविन्द भारद्वाज, गोविन्द शर्मा, ज्ञानदेव मुकेश, घनश्याम अग्रवाल, घनश्याम मैथिल 'अमृत', घमण्डीलाल अग्रवाल, चन्द्रभूषण सिंह चन्द्र, चन्द्रा सायता, चन्द्रेश कुमार छतलानी, चाँद मुंगेरीं, चाँदनी सेठी कोचर, चित्त रंजन गोप, चित्रा मुद्गल, चित्रा राणा राघव, चेतना भाटी, चैतन्य त्रिवेदी, जगदीश पन्त ‘कुमुद’, जगदीश राय कुलरियाँ, जनकजा कान्त शरण, जमाल अहमद ‘बस्तवी’, जयति जैन ‘नूतन’, जयेन्द्र कुमार वर्मा, जवाहर चौधरी, जसबीर चावला, जानकी बिष्ट वाही, जितेन्द्र ‘जीतू’, जितेन्द्र सूद, ज्योति जैन, ज्योति स्पर्श , ज्योत्सना कपिल, ज्योत्सना शर्मा, डिम्पल गौड़, तनु श्रीवास्तव, तिन्नी श्रीवास्तव, तेज नारायण सिंह ‘तपन’, तेजवीर सिंह तेज, त्रिलोक सिंह ठकुरेला, दामोदर खड़से, दिनेश नन्दन तिवारी, दिलीप भाटिया, दिव्या राकेश शर्मा, दीपक गिरकर, दीपक मशाल, देवराज डडवाल ‘संजु’, देवेन्द्र गो होल्कर, ध्रुव कुमार, नज़्म सुभाष, नन्दकिशोर बर्वे, नंदल हितैषी, नन्दलाल भारती, नयना (आरती) कानिटकर, नरेन्द्रकुमार गौड़, नरेन्द्र प्रसाद नवीन, नरेन्द्र श्रीवास्तव, नवल सिंह, निशान्तर, निशि शर्मा ‘जिज्ञाशु, नीता सैनी, नीता श्रीवास्तव, नीना छिब्बर, नीरज जैन ‘सरस’, नीरज सुधांशु, नीलिमा शर्मा निविया, नेहा अग्रवाल नेह, नेहा नाहटा, पंकज जोशी, पंकज भारद्वाज, पंकज शर्मा, पदम गोधा, पम्मी सिंह ‘तृप्ति’, पवन जैन, पवन शर्मा, पवित्रा अग्रवाल, पारस कुंज, पारस दासोत, प्रियंका श्रीवास्तव ‘शुभ्र’, पुरुषोत्तम दुबे, पुष्पलता कश्यप, पुष्पा जमुआर, पूजा अग्निहोत्री, पूनम आनन्द, पूनम झा, पूनम डोगरा, पूरन सिंह, पूर्णिमा शर्मा, पृथ्वीराज अरोड़ा, प्रगीत कुँवर, प्रतापसिंह सोढ़ी, प्रतिभा पाण्डे, प्रतिभा मिश्रा, प्रतिभा सिन्हा, प्रत्युष गुलेरी, प्रदीपकुमार शर्मा, प्रदीप शर्मा स्नेही, प्रद्युमन भल्ला, प्रबोधकुमार गोविल, प्रभा रानी, प्रभात कुमार धवन, प्रभात दुबे, प्रमिला वर्मा, प्रवीण कुमार, प्रेम विज, प्रेमलता सिंह, प्रेरणा गुप्ता, बद्रीप्रसाद पुरोहित, बलराम, बलराम अग्रवाल, बालकृष्ण गुप्ता ‘गुरु’, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता, बीजेन्द्र जैमिनी, बीना राघव, बी एल आच्छा, भगवती प्रसाद द्विवेदी, भगवान देव चैतन्य, भगवान प्रियभाषी, भगवान वैद्य ‘प्रखर’, भगीरथ, भरत कुमार शर्म्मा, भरतचन्द्र शर्मा, भारती वर्मा बौड़ाई, भावना सक्सेना, मंगला रामचन्द्रन, मंजु गुप्ता, मंजुला भूतड़ा, मंजु शर्मा, मधु जैन, मधुकान्त, मधुदीप, मधुरेश नारायण, मनोज कर्ण, मनोज सेवलकर, महावीर उत्तरांचली, महाबीर रंवाल्टा, महिमा भटनागर, महिमाश्री, महिमा श्रीवास्तव वर्मा, महेन्द्र नेह, महेन्द्र सिंह महलान, महेश दर्पण, महेश शर्मा, माणक तुलसीराम गौड़, माधव नागदा, मार्टिन जॉन, मालती बसन्त, माला वर्मा, मिथिलेश अवस्थी, मिथिलेश कुमारी मिश्र, मिथिलेश दीक्षित, मिनाक्षी सिंह, मिन्नी मिश्रा, मीना पाण्डेय, मीरा जैन, मीरा प्रकाश, मुकेश शर्मा, मुक्ता, मुखर कविता, मुनटुन राज, मुन्नू लाल, मुरलीधर वैष्णव, मुहम्मद तारिक असलम (तस्नीम), मृणाल आशुतोष, मेहता नागेन्द्र सिंह, मोहन राजेश, मो0 नसीम अख्तर, योगराज प्रभाकर, योगेन्द्रनाथ शुक्ल, रंजना फतेपुरकर, रंजना सिंह, रक्षा शर्मा 'कमल', रघुविन्द्र यादव, रचना अग्रवाल गुप्ता, रजनीश दीक्षित, रणजीत सिंह टाडा, रत्नकुमार सांभरिया, रमेश कटारिया 'पारस', रमेश कपूर, रमेश चन्द्र, रमेश मनोहरा, रवि प्रभाकर, रविभूषण श्रीवास्तव, राकेश भारती, राज हीरामन, राजकुमार गौतम, राजकुमार निजात, रायतन यादव, राहिला आसिफ़, राजेन्द्र कुमार गौड़, राजेन्द्र नागर 'निरन्तर', राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी 'बन्धु', राजेन्द्र राकेश, राजेन्द्र वामन काटदरे, राजेश उत्साही, राजेश शॉ, राज्यवर्धन सिंह 'सोच', राधेलाल 'नवचक्र', राधेश्याम भारतीय, रानी कुमारी, रामकुमार आत्रेय, रामकुमार घोटड़, रामदेव धुरंधर, रामनिवास बाँयला, रामनिवास मानव, राममूरत राही, रामेशवर काम्बोज 'हिमांशु', रावेन्द्रकुमार रवि, राहुल कुमार, रिद्मा निशादिनी लंसकार, रीता गुप्ता, रीनू पुरोहित, रुखसाना सिद्दीक़ी, रूपल उपाध्याय, रूप देवगुण, रूपसिंह चन्देल, रूपेन्द्र राज, ऋचा वर्मा, ऋता शेखर 'मधु' (रीता प्रसाद), रेखा मोहन, रेणु चन्द्रा माथुर, रेणु झा, रेणुका बड्थ्वाल, रोहित यादव, रोहित शर्मा, लकी राजीव, लक्ष्मण शिवहरे, लज्जाराम राघव 'तरुण', लता अग्रवाल, लवलेश दत्त, लाजपतराय गर्ग, लाडो कटारिया, लीला (मोरे) धुलधोये), वन्दना गुप्ता, वन्दना सहाय, वशिष्ठकुमार झमन, वसन्त निगुणे, वाणी दवे, विकेश निझावन, विक्रम सोनी, विजय अग्रवाल, विनय कुमार चंचरिक, विजय जोशी शीतांशु, विजयानन्द विजय, विजेता रानी, विद्यालाल, विनय गुदारी, विनीता राहुरीकर, विनोद खनगवाल, विभा रश्मि, विभारानी श्रीवास्तव, विमल भारतीय शुक्ल, विरेन्द्र 'वीर' मेहता, विवेक रंजन श्रीवास्तव, विष्णु कुमार, विष्णु सक्सेना, वीरेन्द्रकुमार भारद्वाज, शंकर प्रसाद, शकुंतला किरण, शक्तिराज कौशिक, शमीम शर्मा, शराफ़त अली ख़ान, शशी बंसल, शारदा गुप्ता, शालिनी खरे, शिखर चन्द जैन, शिखा कौशिक 'नूतन', शिखा तिवारी, शिव नारायण, शील कौशिक, शेख़ शहज़ाद उस्मानी, शैलेश दत्त मिश्र, शोभना श्याम, शोभा रस्तोगी, श्यामबिहारी श्यामल, श्याम शखा श्याम, श्याम सुन्दर अग्रवाल, श्याम सुन्दर दीप्ति, श्वेता सिंह, श्रीराम साहू 'अकेला', श्रुत कीर्ति अग्रवाल, संगीता कुमारी, संगीता गोविल, संजय कुमार 'संज', संजय कु0 सिंह, संजीव आहूजा, संजु शरण, संयोगिता शर्मा, सच्चिदानन्द सिंह 'साथी', सतविन्द्रकुमार राणा, सतीश दुबे, सतीश राठी, सतीशराज पुष्करणा, सत्यप्रकाश भारद्वाज, सत्यवीर मानव, सत्या शर्मा 'कीर्ति', सनतकुमार जैन, सन्तोष सुपेकर, सन्तोष श्रीवास्तव, संदीप आनन्द, संदीप तोमर, संध्या तिवारी, सम्राट समीर, सरिता रानी, सरोज गुप्ता, सविता इन्द्र गुप्ता, सविता मिश्रा 'अक्षजा', सविता सिंह नेपाली, सारिका भूषण, सिद्धेश्वर, सिमर सदोष, सीमा जैन, सीमा भाटिया, सीमा रानी, सीमा सिंह, सुकेश साहनी, सुखचैन सिंह भण्डारी, सुदर्शन रत्नाकर, सुदर्शन वशिष्ठ, सुधांशु कुमार, सुधा भार्गव, सुधाकर शर्मा (आशावादी), सुधीर कुमार, सुधीर द्विवेदी, सुनीता त्यागी, सुनीता पाटिल, सुनील गज्जाणी, सुनील वर्मा, सुबोध कुमार सिन्हा, सुभाष नीरव, सुभाष रस्तोगी, सुमन, सुरिंदर कौर 'नीलम', सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा, सुरेन्द्र गुप्त, सुरेन्द्र गोयल, सुरेन्द्र वर्मा, सुरेश कुशवाहा तन्मय, सुरेश बाबू मिश्रा, सुरेश शर्मा, सुरेश सौरभ (सुरेश कुमार), सुषमा सिन्हा, सूर्यकान्त नागर, सेवासदन प्रसाद, सैली बलजीत, स्नेह गोस्वामी, स्वाति तिवारी, हरदान हर्ष, हरनाम शर्मा, हरभगवान चावला, हरिनारायणसिंह 'हरि', हीरालाल नागर, हेमंत यादव 'शशि', हेमा चंदानी (अंजुली), हरीश कुमार 'अमित', हरीश सेठी 'झिलमिल', हर्ष राज, हारुन रशीद 'अश्क', हूंदराज बलवाणी.

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गुरुवार, 26 सितंबर 2019

ज्योत्सना सिंह की एक लघुकथा


उसकी रचना / ज्योत्सना सिंह 


सभा ने उसका स्वागत तालियों की गड़गड़ाहट से किया और फिर  पूरे सभागार में नीम सन्नाटा पसर गया सिर्फ़ उसे सुनने के लिए।
वह जब भी मंच पर होती तो श्रोता गण बड़ी बेताबी से उसकी बारी आने की प्रतीक्षा करते क्यूँ कि जब वह अपनी रचना लोगों के समक्ष रखती तब संपूर्ण उपस्थिति में भी सन्नाटा अपने पाँव जमा लेता।

उसकी रचना समाज के हर उस पहलू को बे-नक़ाब करती जो त्रासदी,व्यभिचार लालच और नफ़रत से भरी हुई होती।

और लोग उसे साँस रोक कर सुनते शायद वह श्रोता के अंदर छुपे उस इंसान को खरोंच देती जिसे सबने ख़ुद से भी बहुत दूर कर रखा है।
लोग उसे सुनते दाद देते तालियों फूलों से उसका सम्मान बढ़ाते हुए आगे बढ़ जाते और फिर समाज ही उसे एक और तड़पता मौक़ा दे देता ऐसी ही किसी नंगी सच्चाई रचने के लिए और हम बन जाते हैं ऐसे आहत भावों का हिस्सा कभी सहते हुए तो कभी करते हुए।

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मंगलवार, 24 सितंबर 2019

फेसबुक समूह "सार्थक साहित्य मंच" प्रतियोगिता में मेरी विजेता लघुकथा


तीन संकल्प

वो दौड़ते हुए पहुँचता उससे पहले ही उसके परिवार के एक सदस्य के सामने उसकी वो ही तलवार आ गयी, जिसे हाथ में लेते ही उसने पहला संकल्प तोड़ा था कि 'वो कभी किसी की भी बुराई नहीं सुनेगा'। वो पीछे से चिल्लाया, "रुक जाओ तुम्हें तो दूसरे धर्मों के लोगों को मारना है।" लेकिन तलवार के कान कहाँ होते हैं, उसने उसके परिवार के उस सदस्य की गर्दन काट दी।

वो फिर दूसरी तरफ दौड़ा, वहाँ भी उससे पहले उसी की एक बन्दूक पहुँच गयी थी, जिसे हाथ में लेकर उसने दूसरा संकल्प तोड़ा था कि 'वो कभी भी बुराई की तरफ नहीं देखेगा'। बन्दूक के सामने आकर उसने कहा, "मेरी बात मानो, देखो मैं तुम्हारा मालिक हूँ..." लेकिन बन्दूक को कुछ कहाँ दिखाई देता है, और उसने उसके परिवार के दूसरे सदस्य के ऊपर गोलियां दाग दीं।

वो फिर तीसरी दिशा में दौड़ा, लेकिन उसी का आग उगलने वाला वही हथियार पहले से पहुँच चुका था, जिसके आने पर उसने अपना तीसरा संकल्प तोड़ा था कि 'वो कभी किसी को बुरा नहीं कहेगा'। वो कुछ कहता उससे पहले ही हथियार चला और उसने उसके परिवार के तीसरे सदस्य को जला दिया।

और वो स्वयं चौथी दिशा में गिर पड़ा। उसने गिरे हुए ही देखा कि एक बूढ़ा आदमी दूर से धीरे-धीरे लाठी के सहारे चलता हुआ आ रहा था, गोल चश्मा पहने, बिना बालों का वो कृशकाय बूढ़ा उसका वही गुरु था जिसने उसे मुक्ति दिला कर ये तीनों संकल्प दिलाये थे।

उस गुरु के साथ तीन वानर थे, जिन्हें देखते ही सारे हथियार लुप्त हो गये।
और उसने देखा कि उसके गुरु उसे आशा भरी नज़रों से देख रहे हैं और उनकी लाठी में उसी का चेहरा झाँक रहा है, उसके मुंह से बरबस निकल गया 'हे राम!'।

कहते ही वो नींद से जाग गया।
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रविवार, 22 सितंबर 2019

लघुकथा कलश रचना प्रक्रिया महाविशेषांक | वीरेंद्र वीर मेहता

. . . और आख़िर 24 दिन के लंबे 'संघर्ष' के बाद पोस्ट आफिस के मक्कड़जाल से निकलकर 28 अगस्त को रजिस्टर्ड पोस्ट की गई 'लघुकथा कलश' की प्रति मेरे हाथों में पहुंच ही गई।

'थैंक्स टू इंडिया पोस्ट'. . .

लघुकथा कलश का यह चतुर्थ अंक (जुलाई - दिसंबर 2019) 'रचना-प्रक्रिया, महाविशेषांक' के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अपने पूर्व अंकों की तरह आकर्षक साज-सज्जा और बढ़िया क्वालिटी के पेपर पर छपा होने के साथ, अपने प्राकृतिक हरे रंग के खूबसूरत कवर पृष्ठ में पत्रिका सहज ही मन को आकर्षित कर रही है।

अपनी पहली नजर में पत्रिका को देखने में यही अनुभव हो रहा है कि 'रचना-प्रक्रिया' पर आधारित यह अंक अपने अंदर बहुत से गुणीजन लेखकों के लघुकथा से जुड़े अनुभवों को समेटे हुए है। पत्रिका में 360+2 कवर पृष्ठों में 126 नवोदित एवं स्थापित प्रतिष्ठित लघुकथाकारों की करीब 250 लघुकथाओं के साथ उनकी रचना प्रक्रिया एवं चार विशिष्ट लघुकथाकारों की लघुकथाओं सहित उनकी रचना प्रक्रिया को स्थान दिया गया है।
इसके अतिरिक्त छः पुस्तक समीक्षाएं और लघुकथा कलश के पूर्व अंकों से जुड़ी बेहतरीन समीक्षाएं भी इस अंक में शामिल की गई हैं। नेपाली लघुकथाओं की विशेष प्रस्तुति में आठ लघुकथाकारों की लघुकथाएं रचना प्रक्रिया सहित शामिल की गई हैं। अंत में कवर पृष्ठ पर अशोक भाटिया जी के बाल लघुकथा 'बालकांड' की योगराज प्रभाकर जी द्वारा काव्यात्मक समीक्षा भी इस अंक का एक आकर्षण बन गई है। निःसन्देह इतनी विस्तृत सामग्री के पीछे 'कलश परिवार' सहित सभी गुणीजन रचनाकारों की मेहनत का भी बहुत बड़ा योगदान है।

किसी भी पत्र-पत्रिका का संपादकीय उस कृति में सम्मलित किए गए अंशों की बानगी के संदर्भ में उसका सत्य प्रतिबिम्ब ही होता है। पत्रिका का सम्पादकीय "दिल दिआँ गल्लाँ" सहज ही रचना प्रक्रिया अंक की प्रेरणा के साथ उसके अस्तित्व में आने की कथा सामने रखता है। सम्पादकीय न केवल लघुकथाकारों को उनके लेखन के प्रति आश्वस्त करने की कोशिश करता है वरन उन्हें उनकी कमियों के प्रति ध्यानाकर्षित करने के साथ लघुकथा विधा पर और अधिक मंथन करने का आग्रह भी करता है।

"साहित्य सृजन अभिव्यंजना से अभिव्यक्ति तक का सफर है, जब अभिव्यक्ति का कद अभिव्यंजना के कद की बराबरी कर ले तब जाकर कोई कृति एक कलाकृति का रूप धारण करती है।" सम्पादकीय में इन शब्दों में दिए गए मंत्र से अधिक साहित्य साधना की और क्या परिभाषा हो सकती है, जिसे एक साधक को अंगीकार कर लेना चाहिए।

लघुकथा के ढांचे और आकार-प्रकार पर आए दिन होने वाले विवादों पर भी सम्पादकीय दृष्टि अपने चिर-परिचित अंदाज में अपना दृष्टिकोण रखने का प्रयास करती है।

बरहाल पत्रिका के विषय में और अधिक विचार तो संपूर्ण पत्रिका पढ़ने के बाद ही लिखे जा सकते हैं, फिलहाल तो इस अंक में शामिल मेरी दो लघुकथाओं श्राद्ध और जवाब को रचना प्रक्रिया सहित मान देने के लिए 'कलश टीम' को हार्दिक धन्यवाद। साथ ही आद: योगराज प्रभाकर सहित, कलश टीम के सभी वरिष्ठ परामर्शदाताओं और अन्य सभी सहयोगियों के साथ-साथ इसमें शामिल सभी गुणीजन रचनाकारों को भी हार्दिक बधाई सहित इस अंक के लिए सादर शुभकामनाएँ।

//वीर//

पत्रिका प्राप्ति के लिये सम्पर्क सूत्र।
MR. YOGRAJ PRABHAKAR :
+91 98725 68228

MR. RAVI PRABHAKAR
+91 98769 30229

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

लघुकथा समाचार: डॉ. लता की कृति का विमोचन


Bhaskar News NetworkSep 19, 2019, 06:51 AM IST

शहर की वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद् डॉ. लता अग्रवाल की पुस्तक लघुकथा का अंतरंग का विमोचन हाल ही में हुआ। डॉ. लता ने बताया कि इस संग्रह में 23 लघु कथाकारों से पूछे गए 589 प्रश्नों के जवाब संग्रहित हैं। संग्रह में डॉ. शकुंतला, अजातशत्रु, पत्रकार बलराम, कमल किशोर गोयनका, बलराम अग्रवाल, चित्रा मुद्गल के दुर्लभ साक्षात्कार हैं। 

Source:
https://www.bhaskar.com/news/mp-news-dr-lata39s-work-released-065126-5517011.html?utm_expid=.YYfY3_SZRPiFZGHcA1W9Bw.0&utm_referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com%2F

लघुकथा वीडियो: मेहनत का पैसा | लेखक : गोविन्द भारद्वाज | स्वर : मीना खत्री