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गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019

लघुकथा वीडियो: मधुदीप गुप्ता जी की लघुकथा "हिस्से का दूध" और अनिल शूर आज़ाद जी की लघुकथा "डंडा"

Vibhor विभोर यूट्यूब चैनल पर आदरणीय मधुदीप गुप्ता जी के "हिस्से का दूध" और आदरणीय अनिल शूर आज़ाद जी का "डंडा"

मधुदीप गुप्ता जी ने अपनी लघुकथा "हिस्से का दूध" के माध्यम से सामाजिक परिवेश में परिवार के महत्त्व यानि कि एक दूसरे के ख्याल रखने के साथ साथ आने वाले मेहमान की खातिरदारी का भी ख्याल रखने की भारतीय परम्परा को उकेरा है। अनिल शूर आज़ाद जी ने अपनी लघुकथा में "डंडा" शराबी पिता से डरने के बावजूद अभावों को झेलता हुआ बालक पढाई कर रहा है।



बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

लघुकथा संग्रह - तैरती है पत्तियाँ - डॉ॰ बलराम अग्रवाल


लघुकथा साहित्य फेसबुक समूह में डॉ॰ बलराम अग्रवाल की पोस्ट से:

तैरती हैं पत्तियां: त्वरित पाठकीय टिप्पणी
वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश कश्यप की कलम से

बलराम अग्रवाल के ‘तैरती हैं पत्तियां’ शीर्षक से आए लघुकथा संग्रह का पीला मुखपृष्ठ देखकर लगा कि कवर बनाने में चूक हुई है. पत्तियों का जिक्र है तो कवर को हरियाला होना चाहिए था. लेकिन पहली कहानी पढ़ते ही संशय दूर हो गया. जिन पत्तियों को मनस् में रखकर शीर्षक का गठन किया गया है, वे हरी न होकर अपना जीवन पूरा कर पीली हो, पेड़ से स्वतः छिटक गई पत्तियां हैं. छोटी-सी भूमिका में लेखक ने स्वयं कवित्वमय भाषा में इसका उल्लेख किया है. लेकिन भूमिका से गुजरकर पाठक जैसे ही पहली लघुकथा तक पहुंचता तो उसका रहा-सहा संशय भी गायब हो जाता है. संग्रह की पहली ही लघुकथा ‘समंदर: एक प्रेमकथा’ अद्भुत है. इस लघुकथा में भरपूर जीवन जी चुकी एक दादी है. साथ में है उसकी पोती. दोनों के बीच संवाद है. भरपूर जीवन अनेक लोगों के लिए पहेलीनुमा हो सकता है, लेकिन इस लघुकथा को पढ़ेंगे तो इस पहेली का अर्थ भी समझ में आएगा और पीली हो चुकी पत्तियों के प्लावन का रहस्य भी. यह वह अवस्था है जब आदमी उम्रदराज होकर भी बूढ़ा नहीं होता, पत्तियां पीली होने, डाल से छूट जाने के बाद भी मिट्टी में नहीं मिलतीं, उनमें उल्लास बना रहता है. इस कारण वे जलप्रवाह में प्लावन करती नजर आती हैं. प्लेटो ने इसे जीवन की दार्शनिक अवस्था कहा है. अध्यात्मवादी इसके दूसरे अर्थ भी निकाल सकते हैं, लेकिन मैं बस इतना कहूंगा ‘समंदर: एक प्रेमकथा’ अनुभवसिद्ध कथा है.

अभी संग्रह को पूरा नहीं पढ़ा है. शुरुआत से मात्र पंद्रह-सोलह लघुकथाएं ही पढ़ी हैं. इतनी कहानियों में ‘अपने-अपने आग्रह’, ‘अजंता में एक दिन’, ‘उजालों का मालिक’, ‘इमरान’, ‘अपने-अपने मुहाने’, ‘अपूर्णता का त्रास’ अविस्मरणीय लघुकथाएं हैं. इतनी प्रभावी कि इनका असर कम न हो, इसलिए बाकी को छोड़ देना पड़ा. ‘अपने-अपने मुहाने’, ‘अपूर्णता का त्रास’, ‘उजालों का मालिक’ में कहानीपन के साथ-साथ प्रतीकात्मक भी है, वही इन्हें बेजोड़ बनाती है. प्रतीकात्मकता के बल पर ही किसी एक पात्र का सच पूरे समाज का सच नजर आने लगा है. प्रतीकात्मकता की जरूरत व्यंग्य में भी पड़ती है. मगर इन दिनों वह प्रतीकात्मकता से कटा है. इसलिए वह अवसान की ओर अग्रसर भी है.

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बलराम अग्रवाल वरिष्ठ लघुकथाकार हैं. लघुकथा को समर्पित. यूं तो बच्चों के नाटक और बड़ों के लिए कहानियां भी लिखी हैं, लेकिन इन दिनों वे लघुकथा-एक्टीविस्ट की तरह काम कर रहे हैं. अपनी विधा के प्रति ऐसा समर्पण विरलों में ही देखा जाता है....जैसा कि ऊपर बताया गया है, पुस्तक की अभी कुछ ही लघुकथाएं पढ़ी हैं, जैसे-जैसे पुस्तक आगे पढ़ी जाएगी, यह टिप्पणी भी विस्तार लेती जाएगी.

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

लघुकथा : मैदान से वितान की ओर


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वरिष्ठ लघुकथाकार श्री भगीरथ द्वारा चुनी हुई 100 हिन्दी लघुकथाओं को वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ॰ बलराम अग्रवाल ने धारावाहिक के रूप में अपने ब्लॉग जनागाथा पर 21 पोस्ट्स में संग्रहित किया है, ये महत्वपूर्ण पोस्ट्स निम्नानुसार हैं:


सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

लघुकथा वीडियो: -- लघुकथा - मित्रता | हरिशंकर परसाई

लघुकथा वीडियो की श्रंखला में प्रस्तुत है  हरिशंकर परसाई जी की लघुकथा - मित्रता। 

दो विरोधी जब किसी तीसरे के विरोध में उतर आते हैं तो आपस में मित्र बन जाते हैं। सामान्य कार्यालय कर्मचारियों से लेकर देश के बड़े-बड़े राजनीतिक दलों की स्थिति इस एक मिनट से भी कम समय की लघुकथा में परसाई जी ने कह दी है। आइये शिखा त्रिपाठी जी के स्वर में सुनें इसे।



रविवार, 3 फ़रवरी 2019

लघुकथा समाचार : लघुकथा हेतु यूट्यूब चैनल Vibhorविभोर

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श्री विजय विभोर द्वारा एक यूट्यूब चैनल प्रारम्भ किया गया है, जिसके एक विशेष कार्यक्रम "मेरी पहली लघुकथा" के माध्यम से हम हमारी पहली लघुकथा भेज सकते हैं। ईमेल - vibhorvijayji@gmail.com उनकी फेसबुक वाल से: क्या आप लिखना शुरू करना चाहते हैं? तो आपका अपना यूट्यूब चैनल "Vibhorविभोर" आपको मौका दे रहा है। "मेरी पहली लघुकथा" के माध्यम से- भेजिए अपनी पहली लघुकथा और "दिल की बात दिलों तक" में कहानी (हाँ आपकी यह रचना अप्रकाशित, अप्रचारित होनी चाहिए। पहले से लिख रहे रचनाकारों के लिए यह शर्त अनिवार्य नहीं है) सीधे e-mail - vibhorvijayji@gmail.com पर। हम आपकी ईमानदारी पर आँख मूँदकर विश्वास करते हैं। इसलिए आप उचित रचना ही भेजें। चयनित रचनाओं को हम आपके अपने चैनल पर प्रसारित करेंगे। आपकी रचना पर आपका ही अधिकार रहेगा, हम तो मात्र दर्शकों/श्रोताओं तक आपकी रचना को पहुचाने का काम करेंगे। चयनित व प्रसारित रचना का समय आने पर चैनल की तरफ से आपको ससम्मान प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा। तो देर किस बात की है? भेजिए अपनी लघुकथाएं/कहानियाँ और अपने साथियों को भी सूचित करें। अपनी रचना भेजें तो शीर्षक में यह जरूर लिखें कि आप रचना को "बोलती लघुकथाएं" के लिए है या "दिल की बात दिलों तक" के लिए है। हाँ अपनी तक आपने अपने इस चैनल "Vibhorविभोर" को सब्स्क्राइब नहीं किया है तो सब्स्क्राइब जरूर कर लें। Email - vibhorvijayji@gmail.com - विजय 'विभोर'

लघुकथा संग्रह "श्रंखला" की समीक्षा - ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'

मारक क्षमता से युक्त लघुकथाओं का  गुल्दस्ता

पुस्तक- श्रंखला (लघुकथा संग्रह)
कथाकार- तेजवीर सिंह 'तेज'

समीक्षक- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'
पृष्ठसंख्या-176
मूल्य -रुपये 300/-
प्रकाशक- देवशीला पब्लिकेशन 
पटियाला (पंजाब) 98769 30229

समीक्षा 

मारक क्षमता लघुकथा की पहचान है । यह जितनी छोटी हो कर अपना तीक्ष्ण भाव छोड़ती है उतनी उम्दा होती है। ततैया के डंकसी चुभने वाली लघुकथाएं स्मृति में गहरे उतर जाती है । ऐसी लघु कथाएं की कालजई होती है।

लघुकथा की लघुता इसकी दूसरी विशेषता है। यह कम समय में पढ़ी जाती है। मगर लिखने में चिंतन-मनन और अधिक समय लेती है । भागम-भाग भरी जिंदगी में सभी के पास समय की कमी है इसलिए हर कोई कहानी-उपन्यास को पढ़ना छोड़ कर लघुकथा की ओर आकर्षित हो रहा है। इसी वजह से आधुनिक समय में इस का बोलबाला हैं ।

इसी से आकर्षित होकर के कई नए-पुराने कथाकारों ने लघुकथा को अपने लेखन में सहज रुप से अपनाया है। इन्हीं नए कथाकारों में से तेजवीर सिंह 'तेज' एक नए कथाकार है जो इसकी मारक क्षमता के कारण इस ओर आकर्षित हुए । इन्होंने लघुकथा-लेखन को जुनून की तरह अपने जीवन में अपनाया है । इसी एकमात्र विधा में अपना लेखन करने लगे हैं। इसी साधना के फल स्वरुप इन का प्रथम लघुकथा संग्रह शृंखला आपके सम्मुख प्रस्तुत है।

शृंखला बिटिया की स्मृति को समर्पित इस संग्रह की अधिकांश कथाएं जीवन में घटित-घटना, उसमें घुली पीड़ा, संवेदना, विसंगतियों और विद्रूपताओं को अपने लेखन का विषय बनाया है । इनकी अधिकांश लघुकथाएं संवाद शैली में लिखी गई है जो बहुत ही सरल सहज और मारक क्षमता युक्त हैं।

संग्रहित श्रंखला लघुकथा की अधिकांश लघुकथाएं की भाषा सरल और सहज है । आम बोलचाल की भाषा में अभिव्यक्त लघुकथाएं अंत में मारक बन पड़ी है ।वाक्य छोटे हैं । भाषा-प्रवाहमय है । अंत में उद्देश्य और समाहित होता चला गया है।

संवाद शैली में लिखी गई लघुकथाएं बहुत ही शानदार बनी है । इन में कथाओं का सहज प्रवेश हुआ है । संवाद से लघुकथाओं में की मारक क्षमता पैदा हुई है ।

इस संग्रह में 140 लघुकथाएं संग्रहित की गई है । इनमें से मन की बात , सबसे बड़ा दुख, ईद का तोहफा, एमबीए बहू, दर्द की गठरी, दरारे, गुदगुदी, लालकिला, अंगारे, गॉडफादर, इंसानी फितरत, बोझ, बस्ता, भयंकर भूल, नासूर, वापसी, हिंदी के अखबार, पलायन, खुशियों की चाबी, वेलेंटाइन डे, आदि लघुकथाएं बहुत उम्दा बनी है।

सबसे बड़ा दुख -लघुकथा की नायिका को अपना वैधव्य से अपने ससुर का पुत्र-शोक कहीं बड़ा दृष्टिगोचर होता है। इस अन्तर्द्वन्द्व को वह गहरे तक महसूस करती है । वही दर्द की गठरी -एक छोटी व मारक क्षमता युक्त लघुकथा है। यह एक वृद्धा की वेदना को बखूबी उजागर करती है।

मन की बात- की नायिका पलायनवादी वृति को छोड़कर त्याग की और अग्रसर होती है, नायिका की कथा है । यह इसे मार्मिक ढंग से व्यक्त करने में सक्षम है ।अंगारे- लघुकथा धार्मिक उन्माद का विरोध को मार्मिक ढंग से उजागर करने में सफल रही है।

खुशियों की चाबी- में टूटते परिवार को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया गया है । वहीं भयंकर भूल- में नायिका के हृदय की पीड़ा को मार्मिक ढंग से उकेरा गया है ।
कुल मिलाकर अधिकांश मार्मिक, हृदयग्राही और संवेदना से युक्त बढ़िया बन पड़ी है। कुछ लघुकथाएं कहानी के अधिक समीप प्रतीत होती है । मगर उनमें कथातत्व विद्यमान है।
संग्रह साफ-सुथरे ढंग से अच्छे कागज और साजसज्जा से युक्त प्रकाशित हुआ है। 176 पृष्ठ का मूल्य ₹ 300 है। जो वाजिब हैं ।
लघुकथा के क्षेत्र में इस संग्रह का दिल खोल कर स्वागत किया जाएगा ऐसी आशा की जा सकती है।

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ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' ,
पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़
जिला -नीमच (मध्यप्रदेश)
पिनकोड- 458226
9424079675

लघुकथा समाचार: सरल काव्यांजलि की इंदौर में गोष्ठी आयोजित




उज्जैन 2 फरवरी 2019 

संस्था सरल काव्यांजलि द्वारा एक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन इंदौर में किया गया। अध्यक्षता साहित्यकार श्री पुरुषोत्तम दुबे ने की।

अतिथि उपन्यासकार अश्विनी कुमार दुबे थे। कार्यक्रम में सतीश राठी द्वारा परिवर्तन एवं ठोकर नाम की लघुकथाएं प्रस्तुत की गईं। राम मूरत राही ने भूमि एवं तरक्की लघुकथाएं, संतोष सुपेकर द्वारा लघुकथा नया नारा,दीपक गिरकर ने तफ्तीश जारी ह नामक लघुकथा प्रस्तुत किया।

अशोक शर्मा भारती ने कविता आकलन एवं मार्मिक कविता बसंत प्रस्तुत की। अश्विनी कुमार दुबे ने अपनी व्यंग्य रचना शैतान के दिलचस्प कारनामे प्रस्तुत की। संचालन सतीश राठी ने किया। आभार संतोष सुपेकर ने माना।

News Source:
http://avnews.in/%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%BF-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B0-%E0%A4%AE/