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सोमवार, 24 दिसंबर 2018

मेरा सांता

रात गहरा गयी थी, हल्की सी आहट हुई, सुनते ही उसने आँखें खोल दीं, उसके कानों में माँ के कहे शब्द गूँज रहे थे,
"सफ़ेद कॉलर और कफ़ वाले लाल कोट के साथ चमड़े की काली बेल्ट और बूट पहने सफ़ेद दाढ़ी वाला सांता क्लॉज़ आकर तेरे लिये आज उपहार ज़रूर लायेगा।"

रात को सोते समय उसके द्वारा दवाई के लिए आनाकानी करने पर माँ के यह कहते ही उसकी नज़र अलमारी में टंगे अपने पिता के लाल कोट की तरफ चली गयी थी, जिसे माँ ने आज ही साफ़ किया था और उसने ठान लिया कि वह रात को सोएगी नहीं, उसे यह जानना था कि सांता क्लॉज़ उसके पिता ही हैं अथवा कोई और?

"अगर पापा होंगे तो पता चल जायेगा कि पापा सच बोलते हैं कि झूठ, उनके पास रूपये हैं कि नहीं?" यही सोचते-सोचते उसकी आँख लग गयी थी, लेकिन आहट होते ही नींद खुल गयी।

उसने देखा, उसके तकिये के पास कुछ खिलौने और एक केक रखा हुआ है। वह तब मुस्कुरा उठी, जब यह भी उसने देखा कि उसके पिता ही दबे क़दमों से कमरे से बाहर जा रहे थे, लेकिन जैसी उसे उम्मीद थी, उन्होंने सांता क्लॉज़ जैसे अपना लाल कोट नहीं पहना हुआ था।

सहसा उसकी नज़र खुली हुई अलमारी पर पड़ी, और  वह चौंक उठी, उसके पिता का लाल कोट तो उसमें भी नहीं था।

वास्तव में, लाल कोट अपना रूप बदलकर खिलौने और केक बन चुका था।


- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

रविवार, 23 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

लघुकथा शोध केंद्र भोपाल मध्यप्रदेश की मासिक गोष्ठी। (22 दिसंबर 2018)
- श्रीमती कान्ता रॉय जी 

लघुकथा शोधकेन्द्र, भोपाल द्वारा लघुकथा गोष्ठी का आयोजन दिनांक 22 दिसंबर को मानस भवन में किया गया। कॉर्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा देवेंद्र दीपक ने की।

मुख्य अतिथि: से.न. प्रो. डॉ. विनय राजाराम एवं मुख्य समीक्षक के रूप में श्री युगेश शर्मा मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शशि बंसल ने किया श्रीमती महिमा वर्मा द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुति पश्चात् कॉर्यक्रम का शुभारंभ हुआ। लघुकथा शोध केंद्र की अध्यक्षा श्रीमती कांता राय के स्वागत भाषण पश्चात् लघुकथा वाचन उषा सोनी, डॉ. मौसमी परिहार, नीना सोलंकी, शोभा शर्मा, विनोद जैन द्वारा किया गया जिनकी समीक्षा गोकुल सोनी, सुनीता प्रकाश, डॉ. वर्षा ढोबले, किरण खोड़के, मधुलिका सक्सेना, मृदुला त्यागी, रंजना शर्मा, सरिता बाघेला, कान्ता राय, एवम सतीश श्रीवास्तव ने की।

अपने विशेष उद्बोधन में डा देवेंद्र दीपक ने कहा की लघुकथा एक तुलसीदल के समान है जो अपने आकार में छोटी होते हुए विशेष संप्रेषण शीलता से युक्त होती है। डा विनय राजाराम ने कहा कि साहित्यकार कागज पर अपनी रचना उतारने के पूर्व अपने मन में पटकथा लिख चुका होता। अंत में श्री मुजफ्फर सिद्दीकी ने आभार व्यक्त किया।

Source:
https://www.facebook.com/kanta.roy.12/posts/2711892289035307

शनिवार, 22 दिसंबर 2018

लघुकथा वीडियो

एक छोटे से चावल के दाने पर गायत्री मन्त्र लिखने का हुनर है लघुकथा
- श्री योगराज प्रभाकर

ओबीओ साहित्योत्सव देहरादून में श्री योगराज प्रभाकर जी लघुकथा संग्रह "गुल्लक" (लेखिका राजेश कुमारी जी) की समीक्षा करते हुए। 




मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

भगवान वैद्य ‘प्रखर’ और हरीश कुमार ’अमित’ को ममता कालिया ने प्रदान किया आर्य स्मृति साहित्य सम्मान
By Digital Live News Desk | Updated Date: Dec 17 2018


नयी दिल्ली : वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया ने 16 दिसंबर को हिंदी भवन में आयोजित सम्मान समारोह में 25वें आर्य स्मृति साहित्य सम्मान से भगवान वैद्य ‘प्रखर’ और हरीश कुमार ’अमित’ को उनकी लघुकथाओं के लिए सम्मानित किया. इस सम्मान में दोनों साहित्यकारों ग्यारह- ग्यारह हजार रुपए और उनकी पुस्तकों की पचास-पचास प्रतियां भी भेंट की गयीं. 

इस अवसर पर ममता कालिया ने कहा, लघुकथा एक रिलीफ का काम करती है. मैं पत्रिकाओं में सबसे पहले लघुकथा और कविता ही पढ़ती हूं. लेकिन लघुकथा को फिलर न बनाया जाये. किताबघर प्रकाशन ने अपने रजत जयंती वर्ष में इस विधा को समर्पित यह आयोजन कर एक बड़ा काम किया है. मुझे लगता है कि लघुकथा लिखते समय, किसी लोकोक्ति या सुनी हुई रचना की झलक न मिले. लघुकथा की शक्ति है उसकी तीक्ष्णता. उसमें अपूर्णता नहीं नजर आनी चहिए. लघुकथा कहानी की हाइकू है.

कार्यक्रम में सबसे पहले किताबघर के संस्थापक जगतराम आर्य को श्रद्धांजलि दी गयी. स्वागत भाषण में किताबघर प्रकाशन के निदेशक सत्यव्रत ने कहा कि प्रति वर्ष 16 दिसंबर को हम यह आयोजन किताबघर के संस्थापक जगतराम आर्य की स्मृति में करते हैं. हर बार एक नयी विधा पर प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. इसके विजेता को सम्मानित किया जाता है. इस बार लघुकथा की पांडुलिपियां आमंत्रित की गई थीं. इसके लिए हमारे निर्णायक मंडल के सदस्य थे असगर वजाहत, सुदर्शन वशिष्ठ और लक्ष्मीशंकर वाजपेयी. हमें खुशी है कि इस आयोजन में पांडुलिपियों की हाफ सेंचुरी पूरी हो गई. इनमें से दो आज पुस्तक रूप में लोकार्पित भी होंगी और उनके रचनाकार पुरस्कृत भी होंगे.

सम्मान अर्पण के बाद ‘लघुकथा की प्रासंगिकता’ पर एक परिसंवाद भी हुआ जिसकी शुरुआत की गोष्ठी के संचालक कथाकार महेश दर्पण ने. उन्होंने लघुकथा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समय की चाल देखते हुए इस विधा का भविष्य उज्ज्वल है.

इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार प्रदीप पंत ने कहा, लघुकथा बहुत पहले से लिखी जा रही है. मैंने पहली लघुकथा पढ़ी थी यशपाल जी की ’मजहब’. कमलेश्वर जी ने इस विधा की शक्ति को पहचाना और लघुकथा पर दो- दो विशेषांक प्रकाशित किए. इस विधा में करुणा और गहरा व्यंग्य बड़ा काम करते हैं. किंतु लघुकथाकारों को चर्चित कहानियों के संक्षेपण से बचना चाहिए.

वरिष्ठ लघुकथाकार बलराम अग्रवाल का कहना था कि लघुकथा का काम है अपने समय की पहचान. किसी घटना को लघुकथा कैसे बनाया जा सकता है, यह बड़े कथाकरों से ही सीखा जा सकता है. उन्होंने सीरिया की एक लघुकथा की बानगी भी पेश की. याद दिलाया कि ’उल्लास’ के लिए पहले भी किताबघर प्रकाशन ने चैतन्य त्रिवेदी को सम्मानित किया था.

लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने कहा, अपने समय में मैंने लघुकथाएं नेशनल चैनल से नियमित प्रसारित कीं. वे खूब सुनी जाती थीं. मेरी पहली ही रचना 1975 में एक दैनिक में लघुकथा ‘के रूप में प्रकाशित हुई थी. कुछ लघुकथाएं कमलेश्वर जी ने सारिका में प्रकाशित की थीं. आज का जैसा वीभत्स और डरा देने वाला माहौल है, उसमें साहित्य ही दिशा दे सकता है. मूल्यों से भले ही सत्ता और राजनीति अलग हो जाएं, साहित्य कभी अलग नहीं होता. लघुकथा यह काम बड़ी शिद्दत से कर रही है. वाजपेयी जी ने दोनों पुरस्कार विजेताओं की लघुकथाओं के उदाहरण सामने रखकर कहा कि अच्छी रचनाएं हमेशा याद रहती हैं.
वहीं इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार सुदर्शन वशिष्ठ ने दोनों सम्मानित रचनाकारों को बधाई दी और कहा : एक समय तारिका के जरिए महाराज कृष्ण ने लघुकथा के लिए बड़ा योगदान किया. गुलेरी जी ने भी एक समय लघुकथाएं लिखी थीं. लघुकथा को उन्होंने सूक्ष्म, सूत्र रूप में काम करने वाली और बड़ी मारक विधा बताया. उनका कहना था कि लघुकथा लिखनेवाला बड़ा रचनाकार होता है. 

कार्यक्रम में सम्मानित लघुकथाकारों ने अपनी लघुकथाओं का पाठ किया और लघुकथा की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. ‘प्रखर’ जी ने कहा कि लेखक की मुट्ठी में समय का कोई टुकड़ा आ जाता है. वही उसे सृजन के लिए मजबूर करता है. मैं भी सारिका में प्रकाशित हुआ था. यह मेरा दूसरा लघुकथा संग्रह है. उन्होंने अपनी रचना ‘पेट’ का पाठ किया. हरीश कुमार ‘अमित’ ने किताबघर प्रकाशन का आभार ज्ञापित किया. बताया कि यह उनका पहला लघुकथा संग्रह है. मेरी यह प्रिय विधा है. इस विधा में अन्य विधाओं का प्रभाव भी आ रहा है. उन्होंने अपनी लघुकथा ‘अपने अपने संस्कार’ का पाठ किया.

समारोह में वरिष्ठ लेखक गंगाप्रसाद विमल, कथाकर विवेकानंद, कवि राजेंद्र उपध्याय, कथाकार हीरालाल नागर, नाटककार राजेश जैन, कवयित्री ममता किरण, कलाकार साजदा खान, हिमालयन रन एंड ट्रैक के संपादक चद्रशेखर पांडे, साहित्यकार अतुल प्रभाकर, लहरीराम सहित अनेक रचनाकार और साहित्यप्रेमी उपस्थित थे.

News Source:
https://www.prabhatkhabar.com/news/news/bhagwan-vaidya-prakhar-and-harish-kumar-amit-honors-arya-smriti-sahitya-samman/1233264.html

रविवार, 16 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

देवी नागरानी के दो जुड़ाव संग्रहों का विमोचन
“गंगा बहती रही” (लघुकथा संग्रह)

दिनांक १५ दिसम्बर २०१८, हैदराबाद में कवियित्री विनीता शर्मा जी के निवास स्थान पर देवी नागरानी के दो जुड़ाव संग्रहों का विमोचन डॉक्टर देवेंद्र शर्मा जी के हाथों सम्पन्न हुआ. डॉक्टर शर्मा ख़ुद एक दस्तावेज़ी साहित्यकार हैं, जिनका एक अंग्रेज़ी संग्रह (philosophy & theology-an intellectual odyssey) मुझे हासिल हुई है. इस संग्रह में अनेक धर्मों के बारे में विशेष ज्ञान पूरक तत्वों का ख़ुलासा हुआ है.

डॉक्टर देवेंद्र शर्मा जी के हाथों “माँ ने कहा था” “(काव्य) एवं “गंगा बहती रही” (लघुकथा संग्रह) का विमोचन हुआ. मौक़े पर हाज़िर साहित्यकार रहे श्रीमती विनीता शर्मा, जो ख़ुद एक बेहतरीन रचनाकार है, देवी नागरानी, मीरा बालानी, मोना हैदराबादी, सुनिता लूल्ला, ज्योति कनेटकर और पद्मज आयंगर . पद्मजा जी एक चर्चित साहित्यकार व Amraavati Poetic Prism 2018 की संपादिका है , व मोना जी एक जानी मानी ग़ज़लकारा. सुनिता जी भी ग़ज़ल की परिधि में आगे बढ़ रही हैं.

News Source:
https://ajmernama.com/national/306115/

बुधवार, 12 दिसंबर 2018

मौकापरस्त मोहरे

वह तो रोज़ की तरह ही नींद से जागा था, लेकिन देखा कि उसके द्वारा रात में बिछाये गए शतरंज के सारे मोहरे सवेरे उजाला होते ही अपने आप चल रहे हैं, उन सभी की चाल भी बदल गयी थी, घोड़ा तिरछा चल रहा था, हाथी और ऊंट आपस में स्थान बदल रहे थे, वज़ीर रेंग रहा था, बादशाह ने प्यादे का मुखौटा लगा लिया था और प्यादे अलग अलग वर्गों में बिखर रहे थे।

वह चिल्लाया, "तुम सब मेरे मोहरे हो, ये बिसात मैनें बिछाई है, तुम मेरे अनुसार ही चलोगे।" लेकिन सारे के सारे मोहरों ने उसकी आवाज़ को अनसुना कर दिया, उसने शतरंज को समेटने के लिये हाथ बढाया तो छू भी नहीं पाया।

वह हैरान था, इतने में शतरंज हवा में उड़ने लगा और उसके सिर के ऊपर चला गया, उसने ऊपर देखा तो शतरंज के पीछे की तरफ लिखा था - "चुनाव के परिणाम"।


- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी 

मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

परमिन्दर शाह के लघुकथा संग्रह "अर्श" और गिरीश चावला के लघुकथा संग्रह "शमा" का लोकार्पण



आठ दिसम्बर 2018 को नई दिल्ली के हिंदी भवन में के.बी.एस. प्रकाशन द्वारा प्रकाशित लेखक श्री परमिन्दर शाह के लघुकथा संग्रह "अर्श" और लेखक श्री गिरीश चावला के लघुकथा संग्रह "शमा" के लोकार्पण, परिचर्चा, सम्मान समारोह एवं ग़ज़ल गायन का आयोजन अनेक सुधि साहित्यकारों, पत्रकारों और कलाकर्मियों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री धीरेन्द शुक्ल  ने की, मुख्य अतिथि डॉ कमल किशोर गोयनका रहे और विशिष्ट अतिथि श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी,  श्री सुभाष चंदर , श्री आर.सी. वर्मा 'साहिल', श्री अमित टंडन , डॉक्टर आशीष कंधवे  श्री राजेश बब्बर  रहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ व सरस्वती वंदना कुमारी नीतिका सिसोदिया ने मधुर वाणी में प्रस्तुत किया। इसके पश्चात केबीएस प्रकाशन परिवार की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत किया गया, साथ ही इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ग्लोबल बुक ऑफ रिकॉर्ड से सम्मानित ट्रू मीडिया का के.बी.एस. प्रकाशन द्वारा सम्मान किया गया । इसके पश्चात श्री परमिन्दर शाह  एवं श्री गिरीश चावला  के लघुकथा–संग्रह "अर्श" व "शमा" का लोकार्पण, समारोह के अतिथियों के करकमलों से संपन्न हुआ। लोकार्पण के उपरांत के.बी.एस. प्रकाशन ने दोनों लेखकों का सम्मान किया।

समारोह के दौरान पुस्तक पर चर्चा में भाग लेते हुए सभी अतिथियों ने उपर्युक्त संग्रहों की खूबियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये दोनों संग्रह बहुत ही महत्वपूर्ण रूप से सामाजिक जीवन का लेखा जोखा प्रस्तुत करते है। उन्होंने लघुकथा के महत्त्व को बताते हुए संग्रहों के हर पक्ष को उजागर किया। साथ ही लेखकों को साहित्य जगत में पदार्पण के लिए बधाई दी और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी किया। लेखक श्री परमिन्दर शाह  एवं श्री गिरीश चावला  ने अपनी पुस्तक के कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर अपने अनुभव सबसे साझा किये और अपनी रचना यात्रा के सूत्र खोले।

के.बी.एस. प्रकाशन के प्रकाशक श्री संजय शाफ़ी  ने लेखक को बधाई दी और प्रकाशन की ओर से निःस्वार्थ भाव से सामाजिक कार्य कर रहे देश के अलग-अलग राज्य से आये विभूतियों को सम्मानित किया गया।

सभी अतिथियों के आशीर्वाद के पश्चात समारोह अध्यक्ष श्री धीरेन्द शुक्ल  ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आयोजन की सराहना करते हुए सभी सम्मानित साहित्यकारों और कलाकर्मियों को अपनी शुभकामनायें दीं और लेखकों का साहित्य जगत में स्वागत किया साथ ही लेखकों को निरंतर साहित्य साधना में रत रहते हुए देश और समाज के हित में रचना कर्म करते रहने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इन संग्रहों की सभी लघुकथायें जीवंत हैं। उन्होंने सभी साहित्य प्रेमी, श्रोताओं को भी आयोजन का हिस्सा बनकर उसे सफल बनाने के लिए बधाई दी।  श्रीमती भावना शर्मा  ने कार्यक्रम का सुगठित एवं बेहतरीन संचालन कर समा बांधा । लेखक श्री परमिन्दर शाह  की ग़ज़लों का गायन मशहूर ग़ज़लकार जनाब रमेश चंद निश्चल ने किया।

Source:
https://www.youtube.com/watch?v=XF3J1vYe2WI