वह तो रोज़ की तरह ही नींद से जागा था, लेकिन देखा कि उसके द्वारा रात में बिछाये गए शतरंज के सारे मोहरे सवेरे उजाला होते ही अपने आप चल रहे हैं, उन सभी की चाल भी बदल गयी थी, घोड़ा तिरछा चल रहा था, हाथी और ऊंट आपस में स्थान बदल रहे थे, वज़ीर रेंग रहा था, बादशाह ने प्यादे का मुखौटा लगा लिया था और प्यादे अलग अलग वर्गों में बिखर रहे थे।
वह चिल्लाया, "तुम सब मेरे मोहरे हो, ये बिसात मैनें बिछाई है, तुम मेरे अनुसार ही चलोगे।" लेकिन सारे के सारे मोहरों ने उसकी आवाज़ को अनसुना कर दिया, उसने शतरंज को समेटने के लिये हाथ बढाया तो छू भी नहीं पाया।
वह हैरान था, इतने में शतरंज हवा में उड़ने लगा और उसके सिर के ऊपर चला गया, उसने ऊपर देखा तो शतरंज के पीछे की तरफ लिखा था - "चुनाव के परिणाम"।
परमिन्दर शाह के लघुकथा संग्रह "अर्श" और गिरीश चावला के लघुकथा संग्रह "शमा" का लोकार्पण
आठ दिसम्बर 2018 को नई दिल्ली के हिंदी भवन में के.बी.एस. प्रकाशन द्वारा प्रकाशित लेखक श्री परमिन्दर शाह के लघुकथा संग्रह "अर्श" और लेखक श्री गिरीश चावला के लघुकथा संग्रह "शमा" के लोकार्पण, परिचर्चा, सम्मान समारोह एवं ग़ज़ल गायन का आयोजन अनेक सुधि साहित्यकारों, पत्रकारों और कलाकर्मियों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री धीरेन्द शुक्ल ने की, मुख्य अतिथि डॉ कमल किशोर गोयनका रहे और विशिष्ट अतिथि श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, श्री सुभाष चंदर , श्री आर.सी. वर्मा 'साहिल', श्री अमित टंडन , डॉक्टर आशीष कंधवे श्री राजेश बब्बर रहे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ व सरस्वती वंदना कुमारी नीतिका सिसोदिया ने मधुर वाणी में प्रस्तुत किया। इसके पश्चात केबीएस प्रकाशन परिवार की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत किया गया, साथ ही इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ग्लोबल बुक ऑफ रिकॉर्ड से सम्मानित ट्रू मीडिया का के.बी.एस. प्रकाशन द्वारा सम्मान किया गया । इसके पश्चात श्री परमिन्दर शाह एवं श्री गिरीश चावला के लघुकथा–संग्रह "अर्श" व "शमा" का लोकार्पण, समारोह के अतिथियों के करकमलों से संपन्न हुआ। लोकार्पण के उपरांत के.बी.एस. प्रकाशन ने दोनों लेखकों का सम्मान किया।
समारोह के दौरान पुस्तक पर चर्चा में भाग लेते हुए सभी अतिथियों ने उपर्युक्त संग्रहों की खूबियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये दोनों संग्रह बहुत ही महत्वपूर्ण रूप से सामाजिक जीवन का लेखा जोखा प्रस्तुत करते है। उन्होंने लघुकथा के महत्त्व को बताते हुए संग्रहों के हर पक्ष को उजागर किया। साथ ही लेखकों को साहित्य जगत में पदार्पण के लिए बधाई दी और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी किया। लेखक श्री परमिन्दर शाह एवं श्री गिरीश चावला ने अपनी पुस्तक के कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर अपने अनुभव सबसे साझा किये और अपनी रचना यात्रा के सूत्र खोले।
के.बी.एस. प्रकाशन के प्रकाशक श्री संजय शाफ़ी ने लेखक को बधाई दी और प्रकाशन की ओर से निःस्वार्थ भाव से सामाजिक कार्य कर रहे देश के अलग-अलग राज्य से आये विभूतियों को सम्मानित किया गया।
सभी अतिथियों के आशीर्वाद के पश्चात समारोह अध्यक्ष श्री धीरेन्द शुक्ल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आयोजन की सराहना करते हुए सभी सम्मानित साहित्यकारों और कलाकर्मियों को अपनी शुभकामनायें दीं और लेखकों का साहित्य जगत में स्वागत किया साथ ही लेखकों को निरंतर साहित्य साधना में रत रहते हुए देश और समाज के हित में रचना कर्म करते रहने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इन संग्रहों की सभी लघुकथायें जीवंत हैं। उन्होंने सभी साहित्य प्रेमी, श्रोताओं को भी आयोजन का हिस्सा बनकर उसे सफल बनाने के लिए बधाई दी। श्रीमती भावना शर्मा ने कार्यक्रम का सुगठित एवं बेहतरीन संचालन कर समा बांधा । लेखक श्री परमिन्दर शाह की ग़ज़लों का गायन मशहूर ग़ज़लकार जनाब रमेश चंद निश्चल ने किया।
मासिक काव्य गोष्ठी में मधु गोयल के लघुकथा संग्रह थरथराती बूंद का विमोचन Dainik Jagaran | 10 Dec 2018
कैथल/10 Dec 2018: साहित्य सभा की मासिक काव्य गोष्ठी साहित्यकार हरिकृष्ण द्विवेदी की अध्यक्षता में आरकेएसडी कॉलेज में हुई। संचालन रिसाल जांगड़ा ने किया। गोष्ठी शुरू करने से पहले साहित्यकार डॉ. ते¨जद्र के शोध प्रबंध ¨हदी गजल एवं अन्य काव्य विधाएं, प्रो. अमृत लाल मदान के उपन्यास एक और त्रासदी व मधु गोयल के लघुकथा संग्रह थरथराती बूंद का विमोचन किया गया। इसके साथ-साथ महेंद्र पाल सारस्वत की भजनोपदेश माला, सदाबहार श्रीमद भागवत गीता व हरीश झंडई के काव्य संग्रह ढलते सूरज की किरणें का भी विमोचन किया गया। इसके बाद गोष्ठी शुरू करते हुए र¨वद्र रवि ने कहा कि फैंक दो दरिया के बीचों बीच मुझको, मैं अपने बाजू आजमाना चाहता हूं। सतपाल शर्मा शास्त्री ने कहा कि आप्पे जे ना सुधरैगा तू, जीवन व्यर्थ गुजारैगा तू। रामफल गौड़ ने कहा कि के औकात बता माणस की, पत्थर न भी होसै घिसणा। इसके अलावा कमलेश शर्मा, डॉ. प्रद्युम्न भल्ला, रिसाल जांगड़ा, शमशेर ¨सह कैंदल, सतबीर जागलान, उषा गर्ग व चंद्रकांता ने विचार प्रस्तुत किए।
लघुकथा के लिए उज्जैन की वाणी दवे व इंदौर के प्रतापसिंह सोढी कर्मभूमि सम्मान से सम्मानित Dainik Bhaskar | Dec 07, 2018 | उज्जैन मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल के अंतर्गत आने वाले प्रेमचंद सृजन पीठ उज्जैन की ओर से शनिवार 08-दिसंबर-2018को कर्मभूमि सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। जिसमें उज्जैन आैर इंदौर के 8 रचनाकारों को कर्मभूमि सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
प्रेमचंद सृजन पीठ के निदेशक जीवन सिंह ठाकुर ने बताया व्यंग के लिए उज्जैन के डॉ. पिलकेंद्र अरोरा व डॉ. हरीश कुमार सिंह, लघुकथा के लिए उज्जैन की वाणी दवेव इंदौर के प्रतापसिंह सोढी, कविता के लिए हेमंत देवलेकर व ब्रजकिशोर शर्मा एवं कहानी के लिए इंदौर के डॉ. किसलय पंचौली व ज्योति जैन को कर्मभूमि सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। कालिदास अकादमी में शनिवार 08-दिसंबर-2018 को प्रातः 11:30 बजे से कार्यक्रम प्रारम्भ होगा। News Source: https://www.bhaskar.com/mp/ujjain/news/8-artisans-of-ujjain-indore-will-be-honored-tomorrow-by-karmabhoomi-051656-3365259.html
साहित्य में मानव जीवन के समस्त पहलुओं की विवृत्ति होती है और यही संबंध
सूत्र परिस्थितियों को जोड़ कर रखता है | साहित्य किसी भी विधा के रूप में हो हमारे जीवन की आलोचना करता है हमारा जीवन स्वाभाविक एवं स्वतंत्र होकर इसी के माध्यम से संस्कार ग्रहण करता हुआ अपनी मूकता को भाषा प्राप्त करता है भावनिष्ठ वस्तुनिष्ठ व्यक्तिक भावनाओं को नैतिक रूप देकर अंतर के अनुभूत सत्य को सूक्ष्म पर्यवेक्षण द्वारा प्रकट कर स्थायित्व प्रदान करता है।
साहित्य में गद्य की अन्य विधाओं यथा कहानी उपन्यास , लेख ,आदि के अतिरिक्त लघुकथा लेखन भी एक सशक्त विधा के रूप में भली-भांति स्थापित हो चुकी है और आज लघुकथाओं की लोकप्रियता शिखर पर है समय अभाव के चलते कम समय में सार्थक संदेश देती लघुकथाओं के असंख्य पाठकों की गहन रुचि के कारण लघुकथा की विधा साहित्य में आज अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज किए हैं लघुकथा से आशय मात्र इसके लघु कलेवर से नहीं वरन लघु में विराट के यथार्थ और कल्पना बोध को आत्मसात कर क्षण विशेष की सशक्त अभिव्यक्ति का प्रभावोत्पादक प्रखर प्रस्तुतीकरण है,जिसमें शिल्पगत वैविध्य है,प्रयोगधर्मी स्वरूप है, कथ्य और प्रसंगों की उत्कटता का सहज और प्रभावी संप्रेषण है विषय वस्तु का विस्तार ना करते हुए संक्षिप्त परिदृश्य में सार्थक संदेश व्याख्यायित करने का कठिन दायित्व है ।
आज आवश्यकता और अस्तित्व से जुड़ी इन लोकप्रिय लघुकथाओं के मनीषी कथाकार अपनी संपूर्ण प्रतिभा से आलोक विकिरण करते हुए सक्रिय हैं।
इन विद्वान लघुकथाकारों ने अमिधा की शक्ति को पहचाना है । व्यंजना और लक्षणा से नवीन आख्यान निर्मित किये हैं और लिखी जा रही लघुकथाएं जनसम्बद्धता ,प्रतिबद्धता, और पक्षधरता की कसौटी पर खरी उतर रही हैं ।अपने प्रभावी गतिशील कथ्य और सौंदर्य बोध द्वारा विशेष सराही जा रही हैं जिनके लेखकों की अपनी- अपनी शैलीगत विशेषताएं हैं इसी कड़ी में बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कवि समीक्षक, कथाकार श्री घनश्याम मैथिल 'अमृत 'का लघु कथा संग्रह'.... एक लोहार की 'का प्रकाशन हर्ष का विषय है उक्त कथा संग्रह में विविध वर्णी लघुकथाएं संग्रहीत हैं यह लघुकथाएं समाज की बिडंवनाओं का दर्पण है ।कथ्य ,भाव बोध ,विचार और दृष्टि मनुष्य और उसकी व्यवस्था की सार्वभौमिक सच्चाई को प्रकट करती उसकी हर योजना भाव संवेदना आचरण ,व्यवहार ,चरित्र भ्रष्टाचार, संवेदनहीनता और सामाजिक यथार्थ की पृष्ठभूमि में मानव प्रकृति आर्थिक उपलब्धि अभाव विचलन और विस्मय के बहुमुखी यथार्थ को अनेक स्तर पर व्यक्त कर रही हैं ।इन लघुकथाओं के आइडियाज आसपास के परिवेश अनुसार लिए गए हैं जिनमें सामाजिक संवेदना चेतना और जागरूकता है लघुकथा कागजी घोड़े सरकारी विभागों की तथाकथित सच्चाई बयान करती है तो जिंदगी की शुरुआत पुलिस की हठधर्मी और संवेदनहीनता को व्यक्त करती है ।अपना और पराया दर्द में मनुष्य की कथनी और करनी का अंतर स्पष्टतया परिलक्षित होता है तो विकलांग कौन अदम्य साहस और जिजीविषा की सशक्त कथा है ।संग्रह की अधिकांश कथाएं भ्रष्टाचार स्वार्थपरता ,सामाजिक पारिवारिक विसंगतियों और विकृतियों को केंद्र में लेकर रची गई हैं ।क्योंकि कथाकार देश और समाज के प्रति प्रतिबद्ध है पक्षधर है सहज और अवसरानुकूल कथा के पात्रों द्वारा कहे संवाद शीघ्र विस्मृत नहीं होते ,अर्थपूर्ण कथाओं में अनुभव और यथार्थ की अभिव्यक्ति के विशेष क्षण पाठकों को बांधने की क्षमता रखते हैं कथाओं के निर्दोष ब्योरे सरलता और सहजता से सामने आते हैं और सोचने को बाध्य करते हैं ,यह बहुआयामी विमर्श के परिदृश्य अपने मन्तव्य को रोचक और प्रभावी ढंग से स्पष्ट कर देते हैं । सँग्रह की सभी कथाएं प्रवाहमान और संप्रेषनीय हैं ,जिनकी अंतर्वस्तु और संरचना में कुछ अनछुए प्रसंग है कथाओं में व्यंजित कलापूर्ण लेखन कौशल में यथार्थ और समय की अनुगूंज है जो लघुकथा के कथ्य, शिल्पगत सौंदर्य -बोध को जीवंत करने में समर्थ हैं ।
समग्रतः भाव, विचार ,सार्थक वस्तुस्थिति और तत्क्षण बोधगम्यता से प्रभासित ये लघुकथाएं पाठकों को निश्चित रूप से प्रभावित करेंगी और सुधी पाठकों को मानवीय मूल्यवत्ता की प्रवाहिनी बनकर, इस स्वार्थ संकुल और स्व केंद्रित हो रहे संसार में मानवीय विस्तार करेंगी, ऐसा मेरा विश्वास है। इसी गहन आश्वस्ति के साथ मैँ अपने हृदय की समस्त मंगलकामनाएं अर्पित करते हुए श्री घनश्याम मैथिल "अमृत" के सुखी स्वस्थ और यशस्वी जीवन की कामना करती हूं ।