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शनिवार, 1 दिसंबर 2018

झूठे मुखौटे (लघुकथा)

साथ-साथ खड़े दो लोगों ने आसपास किसी को न पाकर सालों बाद अपने मुखौटे उतारे। दोनों एक-दूसरे के 'दोस्त' थे। उन्होंने एक दूसरे को गले लगाया और सुख दुःख की बातें की।

फिर एक ने पूछा, "तुम्हारे मुखौटे का क्या हाल है?"

दूसरे ने मुस्कुरा कर उत्तर दिया, "उसका तो मुझे नहीं पता, लेकिन तुम्हारे मुखौटे की हर रग और हर रंग को मैं बखूबी जानता हूँ।"

पहले ने चकित होते हुए कहा,"अच्छा! मैं भी खुदके मुखौटे से ज़्यादा तुम्हारे मुखौटे के हावभावों को अच्छी तरह समझता हूँ।"

दोनों हाथ मिला कर हंसने लगे।

इतने में उन्होंने देखा कि दूर से भीड़ आ रही है, दोनों ने अपने-अपने मुखौटे पहन लिये।

अब दोनों एक दूसरे के प्रबल विरोधी और शत्रु थे, अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेता।

- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी 

मंगलवार, 27 नवंबर 2018

राष्ट्र का सेवक (लघुकथा) - मुंशी प्रेमचंद

राष्ट्र के सेवक ने कहा- देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीच नहीं, कोई ऊँच नहीं।

दुनिया ने जय-जयकार की - कितनी विशाल दृष्टि है, कितना भावुक हदय!

उसकी सुन्दर लड़की इन्दिरा ने सुना और चिन्ता के सागर में डूब गई। राष्ट्र के सेवक ने नीची जाति के नौजवान को गले लगाया।
दुनिया ने कहा- यह फरिश्ता है, *पैगम्बर है, राष्ट्र की नैया का खेवैया है। इन्दिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा। राष्ट्र का सेवक नीची जाति के नौजवान को मन्दिर में ले गया, देवता के दर्शन कराए और कहा - हमारा देवता गरीबी में है, ज़िल्लत में है, पस्ती में है।

दुनिया ने कहा- कैसे शुद्ध अन्त:करण का आदमी है! कैसा ज्ञानी! इन्दिरा ने देखा और मुस्कराई।

इन्दिरा राष्ट्र के सेवक के पास जाकर बोली- श्रद्धेय पिताजी, मैं मोहन से ब्याह करना चाहती हूं।राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नज़रों से देखकर पूछ- मोहन कौन है? इन्दिरा ने उत्साह भरे स्वर में कहा- मोहन वही नौजवान है, जिसे आपने गले लगाया, जिसे आप मन्दिर में ले गए, जो सच्चा, बहादुर और नेक है।

राष्ट्र के सेवक ने प्रलय की आंखों से उसकी ओर देखा और मुँह फेर लिया।

- प्रेमचंद

सोमवार, 26 नवंबर 2018

लघुकथा समाचार

झुंझुनूं में हुए साहित्य सागर में देशभर से तीन सौ रचनाकार जुटे, 21 पुस्तकों का विमोचन
Dainik Bhaskar | Nov 26, 2018 | झुंझुनूं 

सेठ-साहूकारों की धरा पर रविवार को साहित्य का एक अनूठा कार्यक्रम हुआ। ‘साहित्य सागर’ के नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर से करीब तीन सौ नवोदित और स्थापित रचनाकारों ने भाग लिया। अपनी रचनाएं एक-दूसरे से साझा की। कार्यक्रम की खास बात यह रही कि इसमें कविता, ग़ज़ल, कहानी, लघुकथा और संस्मरणों के 15 साझा काव्य संग्रहों का विमोचन हुआ तो कहानी, उपन्यास, कविता की छह एकल पुस्तकों का भी लोकार्पण किया गया। लगभग 22 रचनाकारों ने अपनी रचनाएं सुना कर कार्यक्रम को ऊंचाइयां दीं।

साहित्य सागर में काव्य संग्रह मेरे ख्वाबों का आसमां, उम्मीद की किरण, सूफियाना इश्क मेरा, मेरी इबादत, अधूरी ख्वाहिश, उपन्यास सफर मेरी रूह का तथा कहानी संग्रह मैं अनबूझ पहेली के साथ ही साझा रूप से प्रकाशित लघुकथाओं की शब्दों का आसमां, कविताओं की स्त्री एक सोच, नारी एक आवाज, शब्द-शब्द कस्तूरी, धूप के गीत, रोशनी की कतारें, मुझे छूना है आसमां, ख्वाब के शज़र, शब्दों की सरगम, ग़ज़ल संग्रह कागज की कश्ती, महफिले ग़ज़ल व संस्मरण से संबंधित अनुभव जिंदगी का आदि पुस्तकों का विमोचन अतिथियों ने किया।

News Source:
https://www.bhaskar.com/rajasthan/jhunjhunu/news/three-hundred-composers-from-all-over-the-country-21-books-released-in-literature-in-jhunjhunun-sagar-035514-3277138.html

लघुकथा समाचार

पंजाब कला साहित्य अकादमी ने किया 14 राज्यों से आए साहित्यकारों का सम्मान
Jagaran| 25 Nov 2018 |जालंधर 

उत्तर भारत की प्रमुख साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था पंजाब कला साहित्य अकादमी पूरे देश के साहित्यकारों को एक मंच पर ला रही है। पंकस अकादमी के कार्यक्रम में पूरे देश से आए साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। अकादमी का यह प्रयास सराहनीय है। यह कहना था पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया का, जो अकादमी अवार्ड समारोह में विशेष अतिथि के तौर पर शामिल हुए। उन्होंने कहा कि अकादमी के अध्यक्ष सिमर सदोष पंजाब के साहित्यकारों के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं। इस दौरान मुख्य मेहमान के तौर पर मौजूद आईजी पंजाब प्रवीण कुमार ¨सन्हा, व पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत ¨सह भुल्लर ने कहा कि अकादमी अवार्ड समारोह में जो लोग आते हैं, वह सब अपने अपने राज्यों के प्रसिद्ध साहित्यकार कवि और लेखक हैं। ऐसे लोगों के बीच में रहना बेहद गर्व की बात है। विधायक राजेंद्र बेरी व मेयर जगदीश राज राजा ने कहा कि जालंधर की धरती हमेशा साहित्य एवं कला से समृद्ध रही है। पंजाब में बड़े-बड़े साहित्यकार कवि एवं लेखक हुए हैं। पंकस आदमी ऐसे लेखकों, साहित्यकारों, व कवियों को सम्मानित कर नई नई प्रतिभाओं को आगे लाने का मौका भी दे रही है।

हिमाचल के पूर्व बागवानी मंत्री ठाकुर सत्य प्रकाश ने कहा कि पंकस अकादमी की ख्याति पूरे देश में फैली हुई है। आने वाले समय में अकादमी और ऊंचाइयों पर जाएगी। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रेमलता ठाकुर, रोहणी मेहरा, विनोद कालड़ा, रानू सलारिया व पूजा ने ज्योति प्रज्ज्वलित की। सख्शियतों को इन अवॉर्डो से नवाजा एसएसपी नवजोत ¨सह माहल को शौर्य सम्मान से सम्मानित किया। गया। इसके अलावा चंडीगढ़ स्थित अकाल ओल्ड एज होम को मानवता की सेवा में एक विनम्र यत्न के ²ष्टिगत शुभ कर्मण सम्मान दिया गया। लुधियाना से साहित्यकार डॉक्टर फकीरचंद शुक्ला को आजीवन उपलब्धि सम्मान, हिमाचल की प्रोफेसर सुरेश परमार को आधी दुनिया पंकस अकादमी अवार्ड, राजस्थान से डॉक्टर सुधीर उपाध्याय, एमबीएम इंजीनियर आशा शर्मा बीकानेर, साहित्यकार अरुण नैथानी, डॉक्टर विनोद कुमार, वीणा विज, मनजीत कौर मीत, डॉक्टर कुल¨वदर कौर, अशोक भंडारी, शिमला से आए यादवेंद्र चौहान को अकादमी अवार्ड प्रदान किया गया। ठाकुर सत्य प्रकाश, डॉ अजय शर्मा, डेजी एस शर्मा, नवजोत ¨सह को विद्या वाचस्पति उपाधि एवं सारस्वत सम्मान दिया गया। लघुकथा के क्षेत्र में अशोक भाटिया को लघु कथा श्रेष्ठी सम्मान एवं डॉक्टर कुंवर वीर ¨सह मार्तंड व कांता राय को साहित्य शिरोमणि सम्मान दिया गया। शिरोमणि पत्रकारिता अवॉर्ड इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रभारी सुनील रुद्रा, अंबाला से वरिष्ठ पत्रकार उज्जवल शर्मा को दिया गया। सहकार प्रबंधन अवॉर्ड रमेश ठाकुर को दिया गया। यश भारती सम्मान विश्वविद्यालय औद्योगिक संपर्क विभाग की कनुप्रिया को दिया गया। साज सज्जा सम्मान निक्स नीलू स्टूडियो की निक्स व नीलू को दिया गया। गौरव मेहरा को युवा प्रतिभा सम्मान, मनोज प्रीत, विष्णु सागर, गगन बंसल, रजनीश राणा, डोरा ¨सह महंत, सोनू त्रेहण को विशिष्ट पंकस अकादमी सम्मान दिया गया।

News Source:
https://www.jagran.com/punjab/jalandhar-city-pankas-academy-award-ceremony-18680868.html

शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

लघुकथा वीडियो

आजतक टीवी चैनल के कार्यक्रम साहित्य आजतक में सुकेश साहनी जी और गिरीश नाथ झा जी से रोहित सरदाना की बातचीत
Published  at YouTube on 22 Nov 2018


लघुकथा का बाजार बढ़ रहा है, बहुत से लोग हैं जो सोशल मीडिया पर खूब लिख रहे हैं और शेयर भी कर रहे हैं. ऐसे लोगों को कॉपीराइट की चिंता नहीं है. ये बातें कहीं लघुकथा से प्रसिद्धी पा रहे गिरींद्र नाथ झा ने. सत्र में पहुंचे सुकेश साहनी ने कहा कि लघुकथा के लिए वरदान है कि वह कम समय में पढ़ ली जाती है. आज के समय में किसी के पास समय नहीं है. देखिए वीडियो



गुरुवार, 22 नवंबर 2018

लघुकथा समाचार

भगवान वैद्य ‘प्रखर’ और हरीश कुमार ‘अमित’ को मिलेगा वर्ष 2018 का आर्य स्मृति साहित्य सम्मान
Prabhat Khabar | Date: Nov 22 2018 |  नयी दिल्ली

आर्य स्मृति साहित्य सम्मान :2018 के लिए भगवान वैद्य ‘प्रखर’ और हरीश कुमार ‘अमित’ का चयन किया गया है. इस वर्ष लघुकथा विधा के लिए रचनाएं आमंत्रित की गयीं थी, जिसमें ‘बोनसाई’ और ‘जिंदगी-जिंदगी’ लघुकथा संग्रह को पुरस्कार के लिए निर्णायक मंडल ने चुना है. बोनसाई के रचनाकार प्रखर हैं और जिंदगी-जिंदगी के हरीश कुमार.

प्रखर और अमित को दिनांक 16 दिसंबर को हिंदी भवन में आयोजित समारोह में सम्मानित किया जायेगा. सम्मान पाने वाले लेखकों को 11-11 हजार रुपये की सम्मान राशि और उनकी 50-50 पुस्तकें प्रदान की जायेंगी. निर्णायक मंडल के सदस्य थे असगर वजाहत, सुदर्शन वशिष्ठ और लक्ष्मीशंकर वाजपेयी.

गौरतलब है कि ‘आर्य स्मृति साहित्य सम्मान ’ हर वर्ष साहित्य की किसी विधा में लेखन के लिए दिया जाता है, यह 23वां आर्य स्मृति साहित्य सम्मान है.

News Source:
https://www.prabhatkhabar.com/news/news/arya-smriti-sahitya-samman-2018-announced/1225870.html

शंकर पुणतांबेकर जी की लघुकथा आम आदमी

शंकर पुणतांबेकर अपने समय के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार रहे हैं. मराठी और हिन्दी, दोनों भाषाओं के साहित्य पर उनकी पकड़ गहरी रही है. खासकर व्यंग्य की विधा में उनका लेखन अतुलनीय माना जाता है. उनकी लघुकथाओं में भी कई बार व्यंग्य की धारा देखने को मिल जाती है. इन्हीं शंकर पुणतांबेकर की लिखी एक लघुकथा है ‘आम आदमी’. वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में इस लघुकथा को बार-बार पढ़ा जाना चाहिए.

आम आदमी

नाव चली जा रही थी. मंझदार में नाविक ने कहा, ‘नाव में बोझ ज्यादा है, कोई एक आदमी कम हो जाए तो अच्छा, नहीं तो नाव डूब जाएगी.’

अब कम हो जाए तो कौन कम हो जाए? कई लोग तो तैरना नहीं जानते थे: जो जानते थे उनके लिए भी तैरकर पार जाना खेल नहीं था. नाव में सभी प्रकार के लोग थे – डॉक्टर, अफसर, वकील, व्यापारी, उद्योगपति, पुजारी, नेता के अलावा आम आदमी भी. डॉक्टर, वकील, व्यापारी ये सभी चाहते थे कि आम आदमी पानी में कूद जाए. वह तैरकर पार जा सकता है, हम नहीं.

उन्होंने आम आदमी से कूद जाने को कहा, तो उसने मना कर दिया. बोला, ‘मैं जब डूबने को हो जाता हूं तो आप में से कौन मेरी मदद को दौड़ता है, जो मैं आपकी बात मानूं?’ जब आम आदमी काफी मनाने के बाद भी नहीं माना, तो ये लोग नेता के पास गए, जो इन सबसे अलग एक तरफ बैठा हुआ था. इन्होंने सब-कुछ नेता को सुनाने के बाद कहा, ‘आम आदमी हमारी बात नहीं मानेगा तो हम उसे पकड़कर नदी में फेंक देंगे.’

नेता ने कहा, ‘नहीं-नहीं ऐसा करना भूल होगी. आम आदमी के साथ अन्याय होगा. मैं देखता हूं उसे. मैं भाषण देता हूं. तुम लोग भी उसके साथ सुनो.’ नेता ने जोशीला भाषण आरंभ किया, जिसमें राष्ट्र, देश, इतिहास, परंपरा की गाथा गाते हुए, देश के लिए बलि चढ़ जाने के आह्वान में हाथ ऊंचा कर कहा, ‘हम मर मिटेंगे, लेकिन अपनी नैया नहीं डूबने देंगे… नहीं डूबने देंगे… नहीं डूबने देंगे….

सुनकर आम आदमी इतना जोश में आया कि वह नदी में कूद पड़ा.

(साभारः हिन्दी समय)
Source: https://www.india.com/hindi-news/india-hindi/satire-of-shankar-puntambekar/