यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 10 अक्टूबर 2022

क्षितिज का अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन

श्री सतीश राठी की फेसबुक वॉल से

9 अक्टूबर 2022 शरद पूर्णिमा के दिन क्षितिज का अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन बहुत अच्छे तरीके से संपन्न हो गया। इस महत्वपूर्ण आयोजन की अध्यक्षता दूरदर्शन के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक श्री राजशेखर व्यास के द्वारा की गई तथा साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक श्री विकास दवे मुख्य अतिथि रहे। इस आयोजन में लघुकथा विधा पर उसकी भाषा पर उसके शिल्प पर उसकी अभिव्यक्ति पर निरंतर विभिन्न सत्रों के भीतर चर्चा की गई और परिचर्चा भी रखी गई। 23 लघुकथाओं पर श्री नंदकिशोर बर्बे के एवं श्री सतीश श्रोती के निर्देशन में पथिक ग्रुप के द्वारा सफल मंचन का कार्यक्रम किया गया ।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस आयोजन में 21 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया जिनमें क्षितिज पत्रिका का लघुकथा समालोचना अंक भी शामिल रहा। आयोजन में 15 लघुकथाकारों को, साहित्यकारों ,को पत्रकारों को विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया गया। लघुकथा में स्त्री लेखन पर एक विशेष सत्र आयोजन में समाहित किया गया। समाज के विभिन्न वर्गों के महत्वपूर्ण व्यक्ति इस आयोजन में सम्मानित किए गए। सर्वश्री सूर्यकांत नागर, बलराम अग्रवाल ,भागीरथ परिहार, जितेंद्र जीतू ,पवन शर्मा, शील कौशिक, डॉक्टर मुक्ता, अंतरा करवड़े, कांता राय ,वसुधा गाडगिल, ज्योति जैन, गरिमा दुबे पुरुषोत्तम दुबे ,घनश्याम मैथिल अमृत, गोकुल सोनी ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार अभिव्यक्त किए। श्री भागीरथ को लघुकथा शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। जितेंद्र जीतू को लघुकथा समालोचना सम्मान से, पवन शर्मा को लघुकथा समग्र सम्मान से एवं रश्मि चौधरी को लघुकथा नवलेखन सम्मान से सम्मानित किया गया। सर्वश्री बृजेश कानूनगो प्रदीप नवीन दिलीप जैन चक्रपाणि दत्त मिश्र को साहित्य रत्न सम्मान दिए गए। इनके अतिरिक्त श्री कीर्ति राणा को साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान अनुराग पनवेल को मानव सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। लघुकथा पाठ के सत्र में श्री संतोष सुपेकर की अध्यक्षता और दिलीप जैन के विशेष आतिथ्य में लघुकथाकारों के द्वारा लघुकथा पाठ किया गया। इस सत्र का संचालन विनीता शर्मा सुरेश रायकवार के द्वारा किया गया।प्रारंभिक सत्र का संचालन अंतरा करवड़े एवं ज्योति जैन ने किया तथा आभार सुरेश रायकवार के द्वारा माना गया। सीमा व्यास के द्वारा लघुकथा मंचन के सत्र का संचालन किया गया प्रतिभागियों को मोमेंटो और सम्मान पत्र से सम्मानित भी किया गया। समस्त सत्रों का अंत में संस्था के सचिव दीपक गिरकर के द्वारा आभार माना गया। संस्था के विभिन्न सदस्यों के द्वारा आयोजन के नेपथ्य में बहुत सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया गया।



विस्तृत परिवेदन

"मानवीय स्तर पर अपील करने वाली रचना स्मृति में बनी रहती है।"भगीरथ 

"जो रचना विचार के स्तर पर, बुद्धि के स्तर पर और मानवीय स्तर पर ज्यादा अपील करती है वहीं रचना आपकी स्मृति में हमेशा बनी रहती है। श्री सुकेश साहनी ने अलग - अलग विषय पर अलग - अलग शिल्प में लघुकथाएं लिखी हैं। जो रचनाकार प्रयोगात्मक लघुकथाएं लिखते हैं वे अलग - अलग शिल्प में लिखते हैं। कमल चोपड़ा की लघुकथाओं का शिल्प करीब करीब एक जैसा रहता है। रचनाकार को यह देखना है कि उसकी रचना पाठक के मन में, बुद्धि में प्रवेश कर रही है या नहीं। किसी भी लघुकथाकार की सभी लघुकथाएं उत्कृष्ट नहीं हो सकती हैं। कुछ लघुकथाएं उत्कृष्ट होगी, कुछ निम्न स्तर की होगी और कुछ अच्छी होगी।"  यह विचार श्री भगीरथ ने *लघुकथा विधा में सौन्दर्य दृष्टि एवं भाषा शिल्प* विषय पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि
'कल्पना का सौन्दर्य देखना हो तो असगर वजाहत की  शाह आलम की रुहें  की लघुकथाएं पढ़नी होगी। किसी भी विधा में शिल्प के अलावा भाषा भी एक प्रमुख तत्व है। लघुकथाकार संध्या तिवारी की भाषा मुग्ध करती है।'
उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी क्षितिज संस्था ने एक दिवसीय अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन इंदौर शहर में किया है। इस महत्वपूर्ण आयोजन की अध्यक्षता दूरदर्शन के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक श्री राजशेखर व्यास के द्वारा की गई तथा साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक श्री विकास दवे मुख्य अतिथि रहे।प्रारंभिक सत्र का संचालन अंतरा करवड़े एवं ज्योति जैन ने किया तथा आभार सुरेश रायकवार के द्वारा माना गया। 
इस आयोजन में लघुकथा विधा पर उसकी भाषा पर उसके शिल्प पर उसकी अभिव्यक्ति पर निरंतर विभिन्न सत्रों के भीतर चर्चा की गई और परिचर्चा भी रखी गई। 23 लघुकथाओं पर श्री नंदकिशोर बर्वे के एवं श्री सतीश श्रोती के निर्देशन में 'पथिक' ग्रुप के द्वारा सफल मंचन का कार्यक्रम किया गया ।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस आयोजन में 21 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया जिनमें क्षितिज पत्रिका का 'लघुकथा समालोचना अंक' भी शामिल रहा। आयोजन में 15 लघुकथाकारों को, साहित्यकारों ,को पत्रकारों को विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की एक विशेषता यह भी रही कि क्षितिज द्वारा आयोजित की गई अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता के निर्णय में सम्मानित 15 लघुकथा कारों को सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता की संयोजिका डॉ वसुधा गाडगिल द्वारा निर्णयों की घोषणा करते हुए अतिथियों के हाथों से विजेताओं को मोमेंटो प्रदान करवाने का काम किया।
 'लघुकथा विधा एवं स्त्री लेखन की दृष्टि' विषय पर एक विशेष सत्र आयोजन में समाहित किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता शील कौशिक के द्वारा की गई इस सत्र में ज्योति जैन, कांता राय, अंतरा करवड़े, वसुधा गाडगिल द्वारा चर्चा की गई ।इस सत्र का संचालन अंजना चक्रपाणि मिश्र के द्वारा किया गया।  लघुकथा विधा में सौंदर्य दृष्टि एवं भाषा शिल्प सत्र की अध्यक्षता श्री भगीरथ ने की। इस सत्र में श्री जितेंद्र जीतू एवं पवन शर्मा के व्याख्यान हुए सत्र का संचालन यशोधरा भटनागर के द्वारा किया गया। सांस्कृतिक एवं भौगोलिक मापदंडों से प्रभावित होता लघुकथा का शिल्प। इस विषय पर आयोजित चर्चा सत्र में डॉक्टर पुरुषोत्तम दुबे के द्वारा अध्यक्षता की गई। घनश्याम मैथिल अमृत गोकुल सोनी एवं गरिमा दुबे के द्वारा सत्र में विचार रखे गए। इस सत्र का संचालन अदितिसिंह भदोरिया के द्वारा किया गया।
 सर्वश्री सूर्यकांत नागर, बलराम अग्रवाल ,भागीरथ परिहार, जितेंद्र जीतू ,पवन शर्मा, शील कौशिक, डॉक्टर मुक्ता, अंतरा करवड़े, कांता राय ,वसुधा गाडगिल, ज्योति जैन, गरिमा दुबे पुरुषोत्तम दुबे ,घनश्याम मैथिल अमृत, गोकुल सोनी ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार अभिव्यक्त किए। श्री भागीरथ को लघुकथा शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। जितेंद्र जीतू को लघुकथा समालोचना सम्मान से, पवन शर्मा को लघुकथा समग्र सम्मान से एवं रश्मि चौधरी को लघुकथा नवलेखन सम्मान से सम्मानित किया गया। श्री विकास दवे को साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। राजशेखर व्यास को राष्ट्र गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।सर्वश्री बृजेश कानूनगो ,प्रदीप नवीन, दिलीप जैन, चंद्रा सायता, चक्रपाणि दत्त मिश्र को साहित्य रत्न सम्मान दिए गए। इनके अतिरिक्त श्री कीर्ति राणा को साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान, अनुराग पनवेल को मानव सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। प्रदीप नवीन को गीत गुंजन सम्मान से सम्मानित किया गया। डॉक्टर मुक्ता एवं शील कौशिक को क्षितिज एवं चरणसिंह अमी फाउंडेशन द्वारा कथा सम्मान एवं लघुकथा सम्मान से सम्मानित किया गया। लघुकथा पाठ के सत्र में श्री संतोष सुपेकर की अध्यक्षता और दिलीप जैन के विशेष आतिथ्य में लघुकथाकारों के द्वारा लघुकथा पाठ किया गया।  इस सत्र का संचालन विनीता शर्मा सुरेश रायकवार के द्वारा किया गया। सीमा व्यास के द्वारा लघुकथा मंचन के सत्र का संचालन किया गया प्रतिभागियों को मोमेंटो और सम्मान पत्र से सम्मानित भी किया गया। विभिन्न सत्रों में डॉ दीपा व्यास एवं विजय जोशी शीतांशु द्वारा  शोध पत्र पढ़े गए।समस्त सत्रों का अंत में संस्था के सचिव दीपक गिरकर के द्वारा आभार माना गया। संस्था के विभिन्न सदस्यों के द्वारा आयोजन के नेपथ्य में बहुत सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया गया।
शरद पूर्णिमा के दिन क्षितिज का यह आयोजन शरद पूर्णिमा के चांद की तरह अमृत रस वर्षा करने वाला रहा।

1 टिप्पणी:

  1. इस वर्ष का क्षितिज का यह आयोजन इसलिए और महत्वपूर्ण हो गया कि इसमें चुनिंदा महत्वपूर्ण लघुकथाओं का मंचन किया गया। पथिक ग्रुप इंदौर के द्वारा किया गया यह मंचन बहुत अधिक प्रभावशाली था शीघ्र ही इसके लिंक आपको शेयर की जाएगी

    जवाब देंहटाएं