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रविवार, 22 मई 2022

लघुकथाओं का फिल्मांकन कर रहे श्री अनिल पतंग का साक्षात्कार | साक्षात्कारकर्ता: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

 01 जून 1951 , बेगूसराय - बिहार में जन्में श्री अनिल पतंग एक फिल्मकार, नाटककार, अभिनेता व सम्पादक- हैं, आपने एम.ए. नाट्यशास्त्र, एम.ए. हिन्दी, साहित्यरत्न,विद्यावाचस्पति, डिप.इन टीच., डिप.इन फिल्म, एन.ई.टी. यू.जी.सी. एम.डी. अल्ट. मेडिसीन की शिक्षा प्राप्त की है। आप हिन्दी अधिकारी दूरदर्शन, बिहार सरकार द्वारा अनुशंसित अनेक रंग संस्थाओं एवं साहित्यिक संस्थाओं के सचिव/अध्यक्ष/ अधिकारी एवं सदस्य तथा निदेशक, नाट्य विद्यालय, बेगूसराय जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे हैं।

श्री पतंग ने कई पुस्तकों का लेखन किया है, जैसे, नाटक विधा में -दीवार, प्रजातंत्र, कीमत, जट जटिन, सामा- चकेवा, डोमकछ, एक महर्षि का मूल्य, नागयज्ञ, लोक कथा रूपक, कहानी विधा में - प्रोफेसर सपना बाबू व निबंध संग्रह-रंग संदर्भ। लेखन के अतिरिक्त आपने सम्पादन कार्य भी किए हैं, बिहार के लोकधर्मी नाट्य व रंग अभियान (नाट्य पत्रिका) आपकी संपादित कृतियाँ हैं। श्री पतंग सम्पर्क (दूरदर्शन जालंधर की पत्रिका) में प्रधान सम्पादक के दायित्व का निर्वाह भी कर रहे हैं और अनेक स्मारिकाओं का संपादन किया है। अनिल पतंग जी राजकीय, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक सम्मानों से सम्मानित हुए हैं। इन दिनों श्री अनिल पतंग लघुकथाओं पर लघु फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं। 

आइए उन्हीसे उनकी लघु-फिल्मों के निर्माण के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें।


चंद्रेश कुमार छतलानी: आदरणीय श्री अनिल पतंग जी, आपको लघुकथाओं पर फिल्मांकन का विचार कैसे आया?

अनिल पतंग: मैं 1991_92 से ही फिल्मों से जुड़ा रहा। प्रकाश झा प्रोडक्शन का धारावाहिक "विद्रोह" जो वीर कुंवर सिंह की जीवन पर आधारित है,में उनके अनुज दयाल सिंह की भूमिका की थी। बाद में उनके फिल्म प्रवाह में काम किया। फिर एक फुल लेंथ हिंदी फीचर फिल्म "जट जटिन" का निर्माण किया। जो लोकप्रिय हुआ और दुनिया के लगभग 55 देशों के फिल्म फेस्टिवल में शामिल किया गया और 70 अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ। इधर लॉकडाउन में शिथिलता के बाद लगभग 700 से अधिक स्वास्थ्य, साहित्य, नाटक और अन्य तरह के लघुफिल्मों के निर्माण में लगा रहा। बाद में कई मित्रों की राय से वैसी लघुकथाएं जो राष्ट्र, समाज और पारिवारिक विसंगतियों और विद्रूपताओं को दर्शाती हैं, का फिल्मांकन प्रारम्भ किया, जो कम समय में अपना संदेश छोड़ सके।

चंद्रेश कुमार छतलानी: शॉर्ट फ़िल्म हेतु लघुकथा के चयन आप किस आधार पर करते हैं?

अनिल पतंग:  फिलहाल अपने लक्ष्यों के अनुरूप लघुकथाएं, जिसके पात्र और परिस्थिति हमारे अनुकूल हों।

चंद्रेश कुमार छतलानी: आप लघु फ़िल्म बनाने में क्या प्रक्रिया अपनाते हैं?

अनिल पतंग: बेगूसराय या अन्य उपलब्ध कलाकारों द्वारा बेगूसराय में शूट कर मुंबई, गुड़गांव और दिल्ली के स्टूडियो में एडिट होकर यूट्यूब पर डाला जाता है।

चंद्रेश कुमार छतलानी:  इस कार्य में कैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा?

अनिल पतंग:  आज के कमर्शियल युग में अच्छे कलाकारों का मिलना आसान नहीं है। फिर भी जो साथ चल रहे हैं, धन्यवाद के पात्र हैं। यहां साधन की भी कमी है। फिर भी हमारे कलाकारों और दर्शकों का उत्साह हमारे मनोबल को बढ़ाता है।

चंद्रेश कुमार छतलानी:  इस कार्य में क्या लघुकथाकारों या सम्पादकों का भी सहयोग लेते हैं?

अनिल पतंग:  लघुकथाकार और संपादक हमारे इस अभियान के रीढ़ हैं। उनके बिना इस मिशन की कल्पना नहीं की जा सकती।

चंद्रेश कुमार छतलानी:  यूट्यूब पर लघुकथाएं यों तो बहुत देखी जा रही हैं? आपकी लघु फिल्मों ओर व्यूज़ कितने आ जाते हैं?

अनिल पतंग:  यह तो पारदर्शी है, आप यूट्यूब पर देख लें।

चंद्रेश कुमार छतलानी:  लघुकथा के कौनसे ऐसे तत्व हैं जो फिल्मांकन में उचित रहते हैं और कौनसे तत्व जो लघु फिल्म बनाने में सशक्त नहीं होते?

अनिल पतंग:  कहानियों के सभी तत्व इसमें मौजूद रहते हैं, लेकिन सूक्ष्मता, और पिन पॉइंटेड,जो छक और धक से दर्शकों को लग जाय। समाप्ति उसे स्तब्ध कर दे।

चंद्रेश कुमार छतलानी:  इससे सम्बंधित भविष्य की कोई योजना?

अनिल पतंग:  71 वर्ष पार कर रहा हूं, आपका सहयोग है, आर्थिक समस्या भी कम नहीं है। मैं लघुकथाकारों और कलाकारों  को फिलहाल कुछ नहीं दे पा रहा हूं। लेकिन आने वाले दिनों में ऐसा नहीं हो, योजना में शामिल है।

चंद्रेश कुमार छतलानी:  लघुकथाकारों को किसी फिल्म के लिए ही लेखन करने के लिए क्या सुझाव देना चाहेंगे?

अनिल पतंग:  लघुकथाकारों से धन्यवाद सहित अनुरोध है कि वे कम और आसान पात्रों, लोकेशन, मजबूत तथ्य और कथ्य की रचनाएँ  भेजें। जो राष्ट्र, समाज और परिवार के लिए उपयोगी हो।

चंद्रेश कुमार छतलानी: धन्यवाद आपका अनिल पतंग जी। 

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श्री अनिल पतंग से निम्न पते पर संपर्क किया जा सकता है:

अनिल पतंग

बाघा (रेलवे कैबिन के पास) 

पो. - सुहृद नगर (बेगूसराय) 

पिनकोड: 851218.

मोबाइल फोन- 7004839500

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अनिल पतंग द्वारा फिल्मांकन की गई चंद्रेश कुमार छतलानी की एक लघुकथा



4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति । पटकथा , फ़िल्मांकन, नेपथ्य संगीत , निर्देशन सब बहुत प्रभावी । कम संवाद , बिना चीख पुकार के गहरी बात दर्शक - पाठक के अंतस तक पहुँच गयी । बधाई अनिल पतंग जी , चंद्रेश छजलानी को ।

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  2. स्पष्ट और मार्गदर्शन देने वाला इन्टरव्यू

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  3. अच्छी जानकारी

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