विश्व भाषा अकादमी (रजि),भारत की राजस्थान इकाई द्वारा लघुकथाओं पर शोध कार्य के तहत एक अनूठे ई-लघुकथा संग्रह का प्रकाशन किया गया है। इस संग्रह में विभिन्न लघुकथाकारों की 55 कमज़ोर लघुकथाओं का संकलन किया गया है। लघुकथाओं के साथ ही उन लघुकथाओं पर लघुकथाकारों का यह वक्तव्य भी संकलित है कि उनकी रचना कमज़ोर क्यों है? इस कार्य का मुख्य उद्देश्य यह ज्ञात करना था कि लघुकथा लेखन में ऐसी कौनसी कमियाँ हैं जो रह जाएं तो रचना को प्रकाशन हेतु नहीं भेजना चाहिए। जहां तक ज्ञात है, इस प्रकार का कोई कार्य हिन्दी साहित्य में आज से पूर्व नहीं किया गया है। रचनाकारों को आत्म-आलोचना के लिए प्रेरित करता यह संग्रह निम्न लिंक पर निःशुल्क पढ़ा व डाउनलोड जा सकता है:
https://vbaraj.blogspot.com/2021/10/blog-post.html
इस संग्रह में लघुकथाओं और उन पर लेखकीय वक्तव्य सहित शामिल है रावी का दुर्लभ साक्षात्कार मुकेश शर्मा (विश्व भाषा अकादमी के राष्ट्रीय चेयरमैन) द्वारा, डॉ. अशोक भाटिया का लेख व डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी की विवेचना।
विश्वास है कि यह संग्रह न केवल एक विशिष्ट कार्य बनेगा बल्कि कई शोधकार्यों में भी सहायक होगा। इस शोधपरक संग्रह पर आपकी राय अपेक्षित है।
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श्री मुकेश शर्मा, राष्ट्रीय चेयरमैन, विभाअ
डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी, सम्पादक