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गुरुवार, 25 नवंबर 2021

लघुकथा | ज़हर आदमी का | अनिल गुप्ता


ज़हर आदमी का 


साँप के बिल में मातम पसरा हुआ था। 

दूर-दूर के जंगलों से उसके रिश्तेदार यानि नाग नागिन, उसके पास सांत्वना देने आए हुए थे। 

उनमें से एक ने पूछा कि "यह कोबरा मरा कैसे?"

डरते-डरते उन्ही में से एक ने उत्तर दिया, "इसने शहर जाकर एक आदमी को काट लिया था।"

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अनिल गुप्ता

कोतवाली रोड़ उज्जैन

बुधवार, 24 नवंबर 2021

लघुकथा का अर्थ एवं विशेषताएँ | mpgkpdf.com

Original URL / accessed from: https://www.mpgkpdf.com/2021/11/laghu-katha-ka-arth.html 

लघुकथा किसे कहते हैं ?

गल्प साहित्य के अनेक रूप हिंदी में प्रचलित हैं, जिनमें से एक है लघुकथा । ऊपर से देखने पर "लघुकथा" "शार्ट स्टोरी" का अनुवाद प्रतीत होता है, पर हिंदी लघुकथा से वही ध्वनि नहीं निकलती जो अंग्रेजी "शार्ट स्टोरी" से निकलती है । अंग्रेजी में कहानियों को उपन्यास की तुलना में आकार की दृष्टि से लघु होने के कारण "शार्ट स्टोरी" कहा गया, पर हिंदी की. "लघुकथा" कहानी से भी आकार में छोटी है ।

लघुकथा भारतीय साहित्य और उसकी परंपरा से जुड़ी है । इसके विकास में जातक कथाओं, बोष कथाओं, दृष्टांतों आदि का योगदान स्वीकार किया गया है । कुछ लघुकथाकारों ने बौद्ध कथाओं का उपयोग आधुनिक लघुकथा लेखन के लिए किया भी है ।

लघुकथा की विशेषताओं को समझें 

"लघुकथा" हिंदी-साहित्य की आधुनिक विधा है। लघुकथा की विशेषताओं को समझने के लिए उदाहरण-रूप में आप श्री अरविंद ओझा की 'अभिनय' शीर्षक निम्नलिखित लघुकथा को पढ़िए :

अभिनय-लघुकथा को पढ़िए :

शहर के खुले मैदान में नेताजी आए हैं। 

भीड़-भीड़ लोग सुन रहे हैं उनका भाषण 

कि वर्तमान नीतियाँ खराब हैं ।

कि हमें कुर्सी से मोह नहीं । 

कि हम यह बदलेंगे, वह बदलेंगे। 

कि हम यह मिटाएँगे, हम वह मिटाएँगे । 

दो बहरे पेड़ पर चढ़े हैं 

एक ने बताया- "यह पहले से अच्छा अभिनय करता है।" 

दूसरे ने हाँ में गरदन हिलाई। 

फिर अपार भीड़ की तरफ आँख फैलाकर समझाया-"तभी तो भीड़ ज्यादा है ।”

इस लघुकथा को पढ़कर आप समझ सकते हैं कि लघुकथा आकार में लघु अर्थात् संक्षिप्त होती है । यह लघुता लघुकथा की एक प्रमुख विशेषता है। इस लघुकथा में न कोई भारी-भरकम घटना है, न विस्तृत विवरण (ब्यौरे) और न प्रत्यक्ष रूप से कोई उपदेश; फिर भी इसमें नेताओं पर करारा व्यंग्य है। इससे स्पष्ट है कि लघुकथा में घटनाविहीनता और विवरणविहीनता के गुण होते हैं। 

लघुकथाकार की दृष्टि अपने उद्देश्य पर टिकी होती है और वह तीव्र गति से अंत की ओर बढ़ता है। वह सीधे-सीधे उपदेश तो नहीं देता पर व्यंग्य का सहारा लेकर एक दूसरे ढंग से अपनी बात को कह सकता है । जैसे इस लघुकथा में प्रकारांत से लघुकथाकार ने यह बता दिया है कि नेताओं की कथनी और करनी में अंतर होता है—वे केवल अभिनय (दिखावा) करते हैं और जो जितना अच्छा अभिनय करता है वह उतनी ही ज्यादा भीड़ जुटा लेता है, उतना ही लोकप्रिय हो जाता है । 

लेखक ने पाठकों को ऐसे नेताओं से सावधान रहने की नेक सलाह भी दे दी है। जब लेखक किसी और बहाने से किसी और को उपदेश देता है तो इसे अन्योक्तिपरकता कहते हैं। यहाँ दो बहरे व्यक्तियों के माध्यम से लघुकथाकार ने यही किया है। बहरा व्यक्ति दूसरे की बात नहीं सुन सकता। बात न सुनने के प्रतीक रूप में लेखक ने दो बहरे व्यक्तियों को रखा है। उन्हें रखकर मानो उनके बहाने से लेखक ने पाठकों को यह उपदेश दे दिया है कि नेताओं की बात मत सुनो उनके कहे का विश्वास मत करो। इस प्रकार इस लघुकथा की विशेषताओं के जरिए हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि लघुता, घटनाविहीनता, विवरणविहीनता, प्रतीकात्मकता, व्यंग्य और अन्योक्तिपरकता लघुकथा की विशेषताएँ है ।

विद्वानों के बीच "लघुकथा" को लेकर मतभेद है कि यह कहानी का ही एक रूप है या स्वतंत्र विधा है। एक बात आपके सामने स्पष्ट हो जानी चाहिए कि जिस प्रकार कहानी उपन्यास का संक्षिप्त रूप नहीं है, उसी प्रकार "लघुकथा" कहानी का संक्षिप्त रूप नहीं है। यह एक नयी विधा के रूप में उभर रही है।

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Original URL / accessed from: https://www.mpgkpdf.com/2021/11/laghu-katha-ka-arth.html 


मंगलवार, 23 नवंबर 2021

वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. उमेश महादोषी जी द्वारा रचनाऍं और आलेख आमंत्रित

अविराम साहित्यिकी के वर्ष 2022 में लघुकथा से जुड़े दो विशेषांक


अविराम साहित्यिकी का अप्रैल-जून 2022 अंक सुप्रसिद्ध लघुकथा मर्मज्ञ डॉ. बलराम अग्रवाल जी के लघुकथा साहित्य में योगदान पर केंद्रित होगा। इस अंक के लिए डॉ. बलराम अग्रवाल जी के लघुकथा में योगदान पर संक्षिप्त आलेख एवं सारगर्भित टिप्पणियां 15 जनवरी 2022 तक ईमेल (aviramsahityaki@gmail.com) पर टाइप रूप में यूनिकोड या कॄतिदेव 010 फॉन्ट में सादर आमंत्रित हैं।

इस अंक के बाद एक अंक सुप्रसिद्ध लघुकथाकार श्री रामेश्वर काम्बोज हिमान्शु के लघुकथा में योगदान पर केंद्रित होगा। इसके लिए भी संक्षिप्त आलेख/सारगर्भित टिप्पणियां उपरोक्तानुसार 15 फरवरी 2022 तक उक्त ईमेल पर सादर आमंत्रित हैं।

उपरोक्त दोनों विशेषांकों में कुछ पृष्ठ पत्रिका के आजीवन सदस्यों की लघुकथाओं के लिए भी निश्चित किये जायेंगे। अतः जो आजीवन सदस्य मित्र लघुकथाएँ लिखते हैं, अपनी तीन-तीन श्रेष्ठ लघुकथाएँ उक्त ईमेल द्वारा भेजने का कष्ट करें। जो आजीवन सदस्य लघुकथाएँ नहीं लिखते हैं, उनके लिए अक्टूबर-दिसम्बर 22 में स्थान दिया जाएगा, जिसके लिए आमंत्रण सूचना जल्दी ही दी जाएगी।

 विषय/कंटेंट का चुनाव मोबाइल 09458929004 पर उमेश महादोषी से बात करके निश्चित कर सकते हैं।

शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

मेरी एक लघुकथा "मेरा घर छिद्रों में समा गया" focus24news में

 

मेरा घर छिद्रों में समा गया / डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी 

माँ भारती ने बड़ी मुश्किल से अंग्रेज किरायेदारों से अपना एक कमरे का मकान खाली करवाया था। अंग्रेजों ने घर के सारे माल-असबाब तोड़ डाले थे, गुंडागर्दी मचा कर खुद तो घर के सारे सामानों का उपभोग करते, लेकिन माँ भारती के बच्चों को सोने के लिए धरती पर चटाई भी नसीब नहीं होती। खैर, अब ऐसा प्रतीत हो रहा था कि सब ठीक हो जायेगा।
लेकिन…
पहले ही दिन उनका बड़ा बेटा भगवा वस्त्र पहन कर आया साथ में गीता, रामायण, वेद-पुराण शीर्षक की पुस्तकें तथा भगवान राम-कृष्ण की तस्वीरें लाया।
उसी दिन दूसरा बेटा पजामा-कुरता और टोपी पहन कर आया और पुस्तक कुरान, 786 का प्रतीक, मक्का-मदीना की तस्वीरें लाया।
तीसरा बेटा भी कुछ ही समय में पगड़ी बाँध कर आया और पुस्तकें गुरु ग्रन्थ साहिब, सुखमणि साहिब के साथ गुरु नानक, गुरु गोविन्द की तस्वीरें लाया।
और चौथा बेटा भी वक्त गंवाएं बिना लम्बे चोगे में आया साथ में पुस्तक बाइबल और प्रभु ईसा मसीह की तस्वीरें लाया।
चारों केवल खुदकी किताबों और तस्वीरों को घर के सबसे अच्छे स्थान पर रख कर अपने-अपने अनुसार घर बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने आपस में लड़ना भी शुरू कर दिया।
यह देख माँ भारती ने ममता के वशीभूत हो उस एक कमरे के मकान की चारों दीवारों में कुछ ऊंचाई पर एक-एक छेद करवा दिया। जहाँ उसके बेटों ने एक-दूसरे से पीठ कर अपने-अपने प्रार्थना स्थल टाँगे और उनमें अपने द्वारा लाई हुई तस्वीरें और किताबें रख दीं।
वो बात और है कि अब वे छेद काफी मोटे हो चुके हैं और उस घर में बदलते मौसम के अनुसार बाहर से कभी ठण्ड, कभी धूल-धुआं, कभी बारिश तो कभी गर्म हवा आनी शुरू हो चुकी है… 
और माँ भारती?... 
अब वह दरवाज़े पर टंगी नेमप्लेट में रहती है।


मंगलवार, 16 नवंबर 2021

अविरामवाणी । 'समकालीन लघुकथा स्वर्ण जयंती पुस्तक चर्चा' । मधुदीप जी के लघुकथा संग्रह 'मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ' पर डॉ. उमेश महादोषी द्वारा चर्चा


कनक हरलालका जी के लघुकथा संग्रह की मेरे द्वारा की गई समीक्षा "साहित्य हंट" में.

समीक्षा को  टेक्स्ट में पढने के लिए निम्न पर क्लिक कीजिए.