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मंगलवार, 26 नवंबर 2019

लघुकथा समाचार | जो निरंतरता बनाए रखेगा वही लंबी रेस का घोड़ा होगा | श्याम सुंदर अग्रवाल

नईदुनिया, इंदौर। 'लघुकथा शिखर सेतु सम्मान' से सम्मानित पंजाब के ख्यात लघुकथाकार श्याम सुंदर अग्रवाल से विशेष चर्चा | 
Publish Date: | Sun, 24 Nov 2019 



तीन दशक पहले मैंने जब लघुकथा की त्रैमासिक पत्रिका शुरू की, उस वक्त साहित्य परिदृश्य पर नए लेखकों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी थी। मगर इनमें से कई लोग लघुकथा के नाम पर सिर्फ चुटकुलेबाजी करते रहे और परिदृश्य से ओझल हो गए। कमोबेश ऐसी ही स्थिति पिछले कुछ वर्षों में एक बार फिर बनी है। फर्क ये है कि इस बार लेखिकाओं की संख्या ज्यादा है। मैं नहीं चाहता कि एक बार फिर अस्सी के दशक जैसी स्थिति बने और नए कलमकार साहित्यिक पटल से नदारद होते जाएं। इसलिए मैं उन्हें ये सलाह देना चाहूंगा कि अपनी लघुकथाओं में निरंतरता बनाए रखें। इसके अलावा पुराने घिसे-पिटे जुमलों और विषयों के बजाय आधुनिक समाज और राजनीति से जुड़े ऐसे चुटीले और ज्वलंत विषय उठाएं, जो जनता की नब्ज पर सीधे हाथ रखते हैं। जो इन दो पैमानों पर खरा उतरेगा, वही लंबी रेस का घोड़ा साबित होगा।

ये कहना है रविवार को हिंदी साहित्य समिति में होने वाले 'अखिल भारतीय लघुकथाकार सम्मेलन' में 'लघुकथा शिखर सेतु सम्मान' से सम्मानित किए जा रहे पंजाब के ख्यात लघुकथाकार श्याम सुंदर अग्रवाल का। नईदुनिया से विशेष चर्चा में उन्होंने स्वीकार किया कि जब किसी भी विधा में लेखकों की संख्या बढ़ती है तो कई बार स्तरहीन रचनाएं भी देखने में आ जाती हैं। लेकिन हमारा फर्ज है कि ऐसी रचनाओं के लेखकों को दरकिनार करने के बजाय उन्हें समझाइश देकर बेहतर बनाएं ताकि वो भी मुख्य धारा में शामिल होकर साहित्य को समृद्ध कर सकें, क्योंकि लघुकथा की संरचना अन्य विधाओं से बिलकुल अलग होती है।

बहुत गंभीर विधा है लघुकथा

मैंने देखा है कि कई बार नए लेखक कन्फ्यूज हो जाते हैं कि अपनी भावनाओं को किस तरह प्रस्तुत करें। ऐसे लोगों को मैं सुझाव देना चाहूंगा कि लघुकथा भी बहुत गंभीर विधा है। अगर आप सिर्फ हंसना-हंसाना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि लघुकथा की बजाय कॉमेडी शो लिखें। इसके जरिए तो आपकी कोशिश कम शब्दों में अपनी बात प्रभावी तरीके से लोगों तक पहुंचानी है, ताकि उन्हें ज्यादा पढ़ना भी न पड़े, उनका वक्त भी बचे और आपका संदेश भी उन तक पहुंच जाए। एक दौर था, जब कविताओं को समाज से संवाद का सबसे अच्छा माध्यम माना जाता था, लेकिन हल्के स्तर की रचनाओं और चुटकुलेबाजी ने इसकी गंभीरता खत्म कर दी और लघुकथा को पांव पसारने का मौका मिल गया। इस मौके को मत गंवाइए। आमजन के मुद्दों पर केंद्रित तीखे तेवर के साथ शाब्दिक और तात्विक प्रहार कीजिए तो ये विधा बहुत आसानी से आपको देश-दुनिया में लोकप्रिय बना सकती है।

Source:

https://www.naidunia.com/madhya-pradesh/indore-naidunia-live-3683196


सोमवार, 25 नवंबर 2019

लघुकथा समाचार | क्षितिज मंच द्वारा इंदौर में आयोजित अ. भा. लघुकथा सम्मेलन

दैनिक भास्कर | Nov 25, 2019.

कहानियां दवा पर लघुकथा इंजेक्शन हैं, फौरन असर करेंगी, बच्चों के पाठ्यक्रम में इन्हें शामिल कर हम जागरूक पीढ़ी तैयार कर सकेंगे


"लघुकथा जातीय भेदभाव, लिंगभेद, स्त्री पर अत्याचारों और साम्प्रदायिक हिंसा के खिलाफ किशोरों-युवाओं को प्रभावी ढंग से जागरूक कर सकती है। इसलिए देश के तमाम स्कूल-काॅलेज के पाठ्यक्रमों में श्रेष्ठ लघुकथाओं को शामिल किया जाना चाहिए। कहानी के मुकाबले लघुकथा इंजेक्शन की तरह फौरन असर करती है। आकार में लघु होने और बेहतर संप्रेषण के कारण ये ज्यादा असरदार साबित हुई हैं।' शुक्रवार को क्षितिज के अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन में साहित्यकार माधव नागदा संबोधित कर रहे थे। मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में हुए सम्मेलन में कई सत्रों में वक्ताओं ने विचार रखे। 


सीप में मोती बनने की प्रक्रिया पीड़ादायक होती है, लघुकथाकार के मन में हो यह पीड़ा 

सुकेश साहनी ने कहा कि सीप में मोती बनने की प्रक्रिया बहुत पीड़ादायक होती है इसी तरह मन में लघुकथा बनने की प्रक्रिया भी पीड़ादायक होना चाहिए। जैसे मोती को निकालने के लिए नाज़ुक शल्य क्रिया होती है, उसी तरह लघुकथा को भी संवारना होता है। रचनायात्रा तपती रेत पर चलने के समान है और पुरस्कार मिलना शीतल छाया है। साहित्यकार श्यामसुंदर अग्रवाल ने कहा कि क्षितिज लघुकथा पत्रिका में पंजाबी लघुकथा पर एक लेख पढ़कर मैंने लघुकथा रचने को चुनौती की तरह लिया और खूब लिखा। आज पंजाब में 25 लघुकथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। नर्मदाप्रसाद उपाध्याय ने कहा कि लघुकथाकार दूसरे अनुशासनों में झांककर ही बेहतर लिख सकता है। दृष्टिसम्पन्न होकर ही पुनरावृत्ति के दोष और शिल्पगत वैविध्य के अभाव से मुक्त हुआ जा सकता है। कुणाल शर्मा ने भी संबोधित किया। दूसरे सत्र में 35 लघुकथाकारों ने पाठ किया। 

तीसरे सत्र में नारी अस्मिता और लघुकथा पर सूरीकांत नागर बलराम अग्रवाल, ज्योति जैन और वसुधा गाडगिल ने बातचीत की। आखरी सत्र कथा शिल्प और प्रभाव पर साहित्यकार राकेश शर्मा, सुकेश साहनी, बलराम अग्रवाल, श्याम सुंदर अग्रवाल और ब्रजेश कानूनगो ने सवालों के जवाब दिए। संचालन अंतरा करवेड़े, सीमा व्यास, निधि जैन और डॉ. गरिमा संजय दुबे ने किया। आभार सतीश राठी, पुरुषोत्तम दुबे ने माना। 

श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय को कला साहित्य सृजन सम्मान, श्री हीरालाल नागर को लघुकथा सम्मान, श्री श्याम सुंदर अग्रवाल को क्षितिज लघुकथा शिखर सेतु सम्मान 2019 हिंदी और पंजाबी भाषा में मिनी पत्रिका के माध्यम से सेतु का काम करने के संदर्भ में दिया गया है जबकि श्री सुकेश साहनी को क्षितिज लघुकथा शिखर सम्मान 2019 प्रदान किया गया है जो गत वर्ष श्री बलराम अग्रवाल को दिया गया था श्री माधव नागदा को क्षितिज लघुकथा समालोचना सम्मान 2019 प्रदान किया गया है गत वर्ष यह सम्मान श्री बीएल आच्छा को दिया गया था। श्री कुणाल शर्मा को क्षितिज लघुकथा नवलेखन सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया है गत वर्ष यह सम्मान श्री कपिल शास्त्री को दिया गया था



Sources:
1. https://www.bhaskar.com/news/mp-news-stories-are-short-lived-injections-on-medicine-they-will-make-an-immediate-impact-by-including-them-in-the-curriculum-of-children-we-will-be-able-to-create-a-conscious-generation-075624-6019212.html

2. Shri Satish Rathi

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पुस्तक समीक्षा: 'दृष्टि: अशोक जैन द्वारा सम्पादित लघुकथाओं की अर्धवार्षिक पत्रिका | सुधेन्दु ओझा

'दृष्टि' पत्रिका, भारत में हिंदी में लिखी जा रही लघुकथाओं का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बनती जा रही है।

नए सोपान पर पहुंचने पर ज़िम्मेदारी में भी खासी वृद्धि होती है।

'दृष्टि' को मैं उसके बचपन से जानता हूँ। यह अग्रज अशोक जी का बड़प्पन ही है कि उन्होंने मुझे पत्रिका से निरंतर जोड़े रखा है, हालांकि लघुकथा को लेकर मेरे विचार कुछ उत्साहजनक न थे।



वर्तमान अंक में विभिन्न विषयों पर लगभग 72 लघुकथाओं के साथ-साथ लेखक राजेश मोहन का विस्तृत साक्षात्कार तथा मेरे एक और अग्रज श्रीयुत श्री राम अरोरा के मित्र सिमर सदोष की लघुकथाओं को भी स्थान मिला है।

उपेंद्र राय, ऋचा वर्मा, कमलेश भारती, त्रिलोक सिंह ठकुरेला, नीना छिब्बर, माधव नागदा, लाजपत राय गर्ग, श्याम सुंदर, सुनीता प्रकाश, आभा सिंह, अशोक जैन, आशीष दलाल, कांता राय, तनु श्रीवास्तव, पवन जैन, प्रताप सिंह, प्रभात दुबे, प्रेरणा गुप्ता, भगवान वैद्य, मीरा जैन, डॉ. चंद्रेश छतलानी, मुकेश शर्मा, योगेंद्र नाथ शुक्ल, रामयतन, वाणी दवे, विजयानन्द, वेद हिमांशु, सविता मिश्रा, सुदर्शन रत्नाकर अशोक भाटिया जी तथा अन्य कथाकारों की रचनाएं रोचक एवम असर छोड़ने वाली हैं।

अन्य लेखकों के नाम मैं यहां नहीं दे पाया हूं उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।

पत्रिका अपने नाम के अनुरूप लघुकथा लेखन को नई दृष्टि प्रदान कर सके यही शुभकामना है।

श्री अशोक जैन जी को साधुवाद।

सादर,
सुधेन्दु ओझा
Editor-in-chief at Sampark Bhasha Bharati
Ex-Delhi Bureau Chief- ShikharVarta 

7701960982/9868108713

रविवार, 24 नवंबर 2019

लघुकथा समाचार | अशोक जैन को लघुकथा श्रेष्ठि सम्मान | एनकाउंटर इंडिया


Punjab -Jalandhar  | Sunday, November 24, 2019


जालन्धर (वरुण): अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता-प्राप्त हिन्दी-सेवी साहित्यिक संस्था पंजाब कला साहित्य अकादमी (पंकस अकादमी) रजि. जालन्धर की ओर से 23वां वार्षिक अकादमी अवार्ड वितरण समारोह लायन्स क्लब के सौजन्य से लायन्स क्लब भवन में सम्पन्न हुआ। गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में यह समारोह बाबा नानक प्रकाश पर्व को समर्पित किया गया।

समारोह में गुरुद्वारा श्री रामपुर खेड़ा साहिब गढ़दीवाला के संत बाबा सेवा सिंह जी आशीर्वाद देने पहुंचे। विशेष मेहमान के तौर पर विधायक राजेंद्र बेरी, पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया, पूर्व बागवानी मंत्री हिमाचल प्रदेश, ठाकुर सत्य प्रकाश मौजूद थे। वही मुख्य मेहमान के तौर पर एडीजीपी अर्पित शुक्ला, आईजी क्राइम पंजाब प्रवीण कुमार सिन्हा, पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर, डीसी विरेंद्र कुमार शर्मा मौजूद रहे। समारोह के दौरान सुरेश सेठ, सतनाम सिंह माणक, के.के. शर्मा, चेयरमैन सिटी अर्बन को-आप्रेटिव बैंक लिमि., डा. जसदीप सिंह एम.एस., डा. फकीर चन्द शुक्ला विशेष तौर पर शामिल हुए। वाणी विज, पार्षद उमा बेरी, प्रेम लता ठाकुर, सदस्य जिला परिषद कुल्लू, पार्षद अनीता राजा, सोनिका भाटिया, विनोद कालड़ा, रोहिणी मेहरा, रानू सलारिया, मनवीन कौर, डा. डेजी एस. शर्मा, पूजा सुक्रांत एवं सुखमनी भाटिया ने शमां प्रज्वलन की रस्म अदा की।

संस्था के अध्यक्ष सिमर सदोष, निदेशक डा. जगदीप सिंह एवं डा. रमेश कम्बोज ने आए मेहमानोंं का स्वागत किया। संस्था के अध्यक्ष सिमर सदोष ने बताया कि इस वर्ष का आजीवन उपलबि्ध सम्मान यानि लाईफ टाईम अचीवमैंट अवार्ड जयपुर के साहित्यकार एवं ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के संरक्षक डा. बजरंग लाल सोनी को दिया गया। पंकस अकादमी को सामाजिक धरातल पर विस्तार प्रदान करते हुए इस वर्ष कुछ नये अवार्ड/सम्मान भी घोषित किये गए जिनमें पहली बार स्थापित कृषि कर्मण अवार्ड पयरवरणविद स. दर्शन सिंह रुदाल एवं मलविन्दर कौर रुदाल को दिया गया। पहली बार स्थापित हास्य-व्यंग्य चेतना अवार्ड हिमाचल प्रदेश के प्रख्यात व्यंग्य-लेखक बेदी और कला-श्री अवार्ड अर्शदीप सिंह और राखी सिंह को दिया गया।

प्रतिष्ठाजनक पंकस अकादमी विद्या वाचस्पति एवं भारत गौरव उपाधि सम्मान डा. चितरंजन मित्तल और डा. अनिल पाण्डेय को, विद्या वाचस्पति डा. इन्दु शमर और वीणा विज को, लघुकथा श्रेष्ठि सम्मान हिन्दी लघुकथा-आधारित पत्रिका ‘दृष्टि’ के सम्पादक अशोक जैन को, मानव सेवा रत्न सम्मान भूतपूर्व अध्यक्ष आई.एम.ए. डा. मुकेश गुप्ता और अपाहिज आश्रम के तरसेम कपूर को दिया गया।

पंकस अकादमी के प्रतिष्ठाजनक अकादमी अवार्ड गुरुग्राम के उदय शंकर पंत, अम्बाला के विकेश निझावन, भोपाल की अंजना छलोत्रे, मीडिया शिमला के प्रभारी मोहित प्रेम शर्मा, विजय पुरी, कुंवर राजीव, पंचकूला के लाजपत राय गर्ग और जयपुर के चेतन चौहान को दिया गया। आधी दुनिया पंकस अकादमी अवार्ड शैल-सूत्र नैनीताल की सम्पादक आशा शैली और साहित्य साधना सम्मान आकाशवाणी जालन्धर के सोहन कुमार को दिया गया।
शिरोमणि पत्रकारिता अवार्ड दिव्य हिमाचल नई दिल्ली के ब्यूरो प्रमुख सुशील राजेश और जनता संसार के सम्पादक जतिन्द्र मोहन विग, सुर-संगीत प्रतिभा सम्मान अरुण कपूर (स्वर्गीय) के नाम और तबला-वादक उस्ताद जनाब काले राम जी को, प्रतिष्ठाजनक शिक्षा रत्न सम्मान अमन ब्रोका, सुधीर ब्रोका एवं नीलम सलवान, .के. सलवान को, सहकार शिरोमणि सम्मान दिल्ली के संतोष शमर को, काव्य रत्न सम्मान अमिता सागर, स. बलविन्दर सिंह मन्नी स्मृति सम्मान सोनू त्रेहन एवं जन-सेवा सम्मान डा. मधुरिमा करवल और इंस्पेक्टर पुष्प बाली को दिया  गया।

अकादमी के अध्यक्ष सिमर सदोष ने बताया कि सुदेश कुमार और शिशु शमर शांतल को पहली बार स्थापित सद्भावना सम्मान प्रदान किया गिरा। सिम्मी अरोड़ा, संजय अरोड़ा कानपुर, गुरकीरत कौर बत्तरा, चरणजीत सिंह बत्तरा,  रविन्द्र अरोड़ा खुरजा, सीमा डावर, गौरव डावर, लुधियाना, रोहित बिबलानी एवं मोहित बिबलानी को भी सद्भावना सम्मान दिया गया।


Source:
http://encounterindia.in/dr-bajrang-soni-of-jaipur-received-lifetime-achievement-award-of-pankas

लघुकथा वीडियो: बाढ़ से सुरक्षा | लेखक: नरेंद्र कोहली | वाचन: आयाम मेहता

नरेंद्र कोहली जी द्वारा सृजित व्यवस्थाओं की पोल खोलती लघुकथा 'बाढ़ से सुरक्षा' पाठकों के मस्तिष्क को झकझोरने में सक्षम है। आयाम मेहता जी के वाचन की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। आप स्वयं ही लघुकथा वाचन का बेहतरीन उदाहरण देखिए।

शनिवार, 23 नवंबर 2019

लघुकथा : डेटोनेशन | शेख़़ शहज़ाद उस्मानी

डेटोनेशन अर्थात विस्फोट। 

शेख़़ शहज़ाद उस्मानी जी द्वारा सृजित यह रचना एक प्रयोग सा भी प्रतीत होती है, जिसमें लेखक अलग ही अंदाज में अपने विचार कथानक का सहारा लेकर प्रस्तुत कर रहे हैं। आइये पढ़ते हैं डेटोनेशन:



डेटोनेशन / शेख़़ शहज़ाद उस्मानी  

एक तरफ़ दुश्मन सेना, उसके रोबोट्स और चट्टानों माफ़िक़ प्रशिक्षित जाँबाज़ फ़ुर्तीले कुत्ते थे; तो दूसरी तरफ़ मौत रूपी खाई। विस्फोटकों से युक्त जैकेट पहने, अपनी पत्नियों और कुछ मासूम बच्चों को अपनी ढाल बनाये इस 'कलयुग' का वह ख़ूंखार 'आतंकी' खाई में कूंद गया। 

अपना दुखांत नज़दीक देख वह सुनियोजित व्यवस्थित सुरंग में दौड़ता-हाँफता प्रवेश तो कर गया, लेकिन उसे सुरंग के अंत का पता न था। बंद सुरंग के छोर पर मौत ने दस्तक दी और उसने अपनी जैकेट को डेटोनेट कर अपने ही शरीर के चीथड़े उड़ा दिए। 

ढालों का भी काम तमाम हो चुका था। जाँबाज़ कुत्तों ने अपना एक साथी खो दिया, शेष घायल चिकित्सा के हक़दार हो गए। वह 'आतंकी' नहीं था; 'ईमानदारी' थी। दुश्मन 'सेना' के सैनिक थे - स्वार्थ, लोभ, भ्रष्टाचार, काम-क्रोध, तानाशाही, दानवता, कट्टरता, धन-सम्पत्ति आदि । 'रोबोट्स' थे - उद्योग, विज्ञान और तकनीक; पद, सत्ता, व्यापारी, उद्योगपति, राजनीति और कुख्यात अपराधी। 'पत्नियां' थीं - विभिन्न जाति-धर्म... और मासूम 'बच्चे' थे - धर्मगुरु, बाबा, साधु-संत! 'विस्फोटक' थे - धार्मिक ग्रंथ, उपदेश, नीति-शास्त्र आदि! जाँबाज़ कुत्ते थे - नेता, मंत्री, अधिकारी, पदाधिकारी आदि। 'खाई' थी - समाज, मुल्क या दुनिया.... और वह 'सुरंग' थी - 'दुनियादारी'! 


- शेख़ शहज़ाद उस्मानी 
शिवपुरी (मध्यप्रदेश) 

शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

लघुकथा: खबर | मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा जी की व्यंग्य शैली में कही गयी यह रचना एकांगी भी है और एक विशेष विसंगति को दर्शा रही है। यह प्रभावी भी बनी है। शीर्षक पर मेरे अनुसार कुछ और कार्य करने की ज़रूरत है। आइये पढ़ते हैं, मुकेश कुमार ऋषि वर्मा जी की लघुकथा 'खबर'।


मंत्रीजी घंटा बजाकर अपने पूजागृह से एक हाथ लम्बा तिलक लगाकर बाहर आये ही थे कि उनका सहायक हाँफता हुआ उनके सामने आ गया ।

‘अरे! काहे हाँफत हो... आसमान फट गया क्या?’

‘साब जी - साब जी... बड़ा अनर्थ हो गया । जनपद में पुलिस ने बड़ी बर्बरता से बेचारे अनशन पर बैठे किसानों पर लाठीचार्ज किया है और सुनने में आ रहा कि फाइरिंग भी की है ।’

‘तो क्या हुआ? वो तो हमने ही आदेश दिया था ।’

मंत्रीजी का जवाब सुनकर सहायक आश्चर्यचकित रह गया । वो मन ही मन सोच रहा था, ये वही पुलिस है जिसकी गुंडों से मुठभेड़ होती है तो बंदूक से गोली नहीं निकलती मुँह से ही ठाँय-ठाँय की आवाज निकालकर काम चलाना पड़ता है ।

‘सुनो!  ये किसानों वाली न्यूज टीवी पर आ रही है क्या?’ मंत्रीजी ने सहायक से पूछा ।

‘नहीं, किसी भी न्यूज चैनल पर नहीं आ रही सिर्फ सोशल मीडिया पर ही दिखाई दे रही है । लगता है हुजूर ने सभी चैनल वालों का मुँह बंद कर दिया है, इसीलिए पाकिस्तान - पाकिस्तान खेल रहे हैं सभी चैनल वाले ।’ सहायक पिलपिला सा मुँह बनाकर चमचे वाले लहजे में धीरे से बोल गया ।

‘तुमने कुछ कहा’....

‘नहीं...  महाराज जी मैं तो कह रहा था कि गायों को गुड़ खिलाने का समय हो गया है ।’ सहायक बात बनाते हुए अपना बचाव कर गया ।

मंत्रीजी समय का विशेष ध्यान रखते हुए गायों को गुड़ खिलाने के लिए चल पड़े । दोपहर को लाइव और शाम से देर रात तक प्रमुख रही गायों को गुड़ खिलाने की खबर ।

- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 
ग्राम रिहावली, डाक तारौली, 
फतेहाबाद, आगरा, 283111