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शनिवार, 22 दिसंबर 2018

लघुकथा वीडियो

एक छोटे से चावल के दाने पर गायत्री मन्त्र लिखने का हुनर है लघुकथा
- श्री योगराज प्रभाकर

ओबीओ साहित्योत्सव देहरादून में श्री योगराज प्रभाकर जी लघुकथा संग्रह "गुल्लक" (लेखिका राजेश कुमारी जी) की समीक्षा करते हुए। 




मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

भगवान वैद्य ‘प्रखर’ और हरीश कुमार ’अमित’ को ममता कालिया ने प्रदान किया आर्य स्मृति साहित्य सम्मान
By Digital Live News Desk | Updated Date: Dec 17 2018


नयी दिल्ली : वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया ने 16 दिसंबर को हिंदी भवन में आयोजित सम्मान समारोह में 25वें आर्य स्मृति साहित्य सम्मान से भगवान वैद्य ‘प्रखर’ और हरीश कुमार ’अमित’ को उनकी लघुकथाओं के लिए सम्मानित किया. इस सम्मान में दोनों साहित्यकारों ग्यारह- ग्यारह हजार रुपए और उनकी पुस्तकों की पचास-पचास प्रतियां भी भेंट की गयीं. 

इस अवसर पर ममता कालिया ने कहा, लघुकथा एक रिलीफ का काम करती है. मैं पत्रिकाओं में सबसे पहले लघुकथा और कविता ही पढ़ती हूं. लेकिन लघुकथा को फिलर न बनाया जाये. किताबघर प्रकाशन ने अपने रजत जयंती वर्ष में इस विधा को समर्पित यह आयोजन कर एक बड़ा काम किया है. मुझे लगता है कि लघुकथा लिखते समय, किसी लोकोक्ति या सुनी हुई रचना की झलक न मिले. लघुकथा की शक्ति है उसकी तीक्ष्णता. उसमें अपूर्णता नहीं नजर आनी चहिए. लघुकथा कहानी की हाइकू है.

कार्यक्रम में सबसे पहले किताबघर के संस्थापक जगतराम आर्य को श्रद्धांजलि दी गयी. स्वागत भाषण में किताबघर प्रकाशन के निदेशक सत्यव्रत ने कहा कि प्रति वर्ष 16 दिसंबर को हम यह आयोजन किताबघर के संस्थापक जगतराम आर्य की स्मृति में करते हैं. हर बार एक नयी विधा पर प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. इसके विजेता को सम्मानित किया जाता है. इस बार लघुकथा की पांडुलिपियां आमंत्रित की गई थीं. इसके लिए हमारे निर्णायक मंडल के सदस्य थे असगर वजाहत, सुदर्शन वशिष्ठ और लक्ष्मीशंकर वाजपेयी. हमें खुशी है कि इस आयोजन में पांडुलिपियों की हाफ सेंचुरी पूरी हो गई. इनमें से दो आज पुस्तक रूप में लोकार्पित भी होंगी और उनके रचनाकार पुरस्कृत भी होंगे.

सम्मान अर्पण के बाद ‘लघुकथा की प्रासंगिकता’ पर एक परिसंवाद भी हुआ जिसकी शुरुआत की गोष्ठी के संचालक कथाकार महेश दर्पण ने. उन्होंने लघुकथा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समय की चाल देखते हुए इस विधा का भविष्य उज्ज्वल है.

इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार प्रदीप पंत ने कहा, लघुकथा बहुत पहले से लिखी जा रही है. मैंने पहली लघुकथा पढ़ी थी यशपाल जी की ’मजहब’. कमलेश्वर जी ने इस विधा की शक्ति को पहचाना और लघुकथा पर दो- दो विशेषांक प्रकाशित किए. इस विधा में करुणा और गहरा व्यंग्य बड़ा काम करते हैं. किंतु लघुकथाकारों को चर्चित कहानियों के संक्षेपण से बचना चाहिए.

वरिष्ठ लघुकथाकार बलराम अग्रवाल का कहना था कि लघुकथा का काम है अपने समय की पहचान. किसी घटना को लघुकथा कैसे बनाया जा सकता है, यह बड़े कथाकरों से ही सीखा जा सकता है. उन्होंने सीरिया की एक लघुकथा की बानगी भी पेश की. याद दिलाया कि ’उल्लास’ के लिए पहले भी किताबघर प्रकाशन ने चैतन्य त्रिवेदी को सम्मानित किया था.

लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने कहा, अपने समय में मैंने लघुकथाएं नेशनल चैनल से नियमित प्रसारित कीं. वे खूब सुनी जाती थीं. मेरी पहली ही रचना 1975 में एक दैनिक में लघुकथा ‘के रूप में प्रकाशित हुई थी. कुछ लघुकथाएं कमलेश्वर जी ने सारिका में प्रकाशित की थीं. आज का जैसा वीभत्स और डरा देने वाला माहौल है, उसमें साहित्य ही दिशा दे सकता है. मूल्यों से भले ही सत्ता और राजनीति अलग हो जाएं, साहित्य कभी अलग नहीं होता. लघुकथा यह काम बड़ी शिद्दत से कर रही है. वाजपेयी जी ने दोनों पुरस्कार विजेताओं की लघुकथाओं के उदाहरण सामने रखकर कहा कि अच्छी रचनाएं हमेशा याद रहती हैं.
वहीं इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार सुदर्शन वशिष्ठ ने दोनों सम्मानित रचनाकारों को बधाई दी और कहा : एक समय तारिका के जरिए महाराज कृष्ण ने लघुकथा के लिए बड़ा योगदान किया. गुलेरी जी ने भी एक समय लघुकथाएं लिखी थीं. लघुकथा को उन्होंने सूक्ष्म, सूत्र रूप में काम करने वाली और बड़ी मारक विधा बताया. उनका कहना था कि लघुकथा लिखनेवाला बड़ा रचनाकार होता है. 

कार्यक्रम में सम्मानित लघुकथाकारों ने अपनी लघुकथाओं का पाठ किया और लघुकथा की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. ‘प्रखर’ जी ने कहा कि लेखक की मुट्ठी में समय का कोई टुकड़ा आ जाता है. वही उसे सृजन के लिए मजबूर करता है. मैं भी सारिका में प्रकाशित हुआ था. यह मेरा दूसरा लघुकथा संग्रह है. उन्होंने अपनी रचना ‘पेट’ का पाठ किया. हरीश कुमार ‘अमित’ ने किताबघर प्रकाशन का आभार ज्ञापित किया. बताया कि यह उनका पहला लघुकथा संग्रह है. मेरी यह प्रिय विधा है. इस विधा में अन्य विधाओं का प्रभाव भी आ रहा है. उन्होंने अपनी लघुकथा ‘अपने अपने संस्कार’ का पाठ किया.

समारोह में वरिष्ठ लेखक गंगाप्रसाद विमल, कथाकर विवेकानंद, कवि राजेंद्र उपध्याय, कथाकार हीरालाल नागर, नाटककार राजेश जैन, कवयित्री ममता किरण, कलाकार साजदा खान, हिमालयन रन एंड ट्रैक के संपादक चद्रशेखर पांडे, साहित्यकार अतुल प्रभाकर, लहरीराम सहित अनेक रचनाकार और साहित्यप्रेमी उपस्थित थे.

News Source:
https://www.prabhatkhabar.com/news/news/bhagwan-vaidya-prakhar-and-harish-kumar-amit-honors-arya-smriti-sahitya-samman/1233264.html

रविवार, 16 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

देवी नागरानी के दो जुड़ाव संग्रहों का विमोचन
“गंगा बहती रही” (लघुकथा संग्रह)

दिनांक १५ दिसम्बर २०१८, हैदराबाद में कवियित्री विनीता शर्मा जी के निवास स्थान पर देवी नागरानी के दो जुड़ाव संग्रहों का विमोचन डॉक्टर देवेंद्र शर्मा जी के हाथों सम्पन्न हुआ. डॉक्टर शर्मा ख़ुद एक दस्तावेज़ी साहित्यकार हैं, जिनका एक अंग्रेज़ी संग्रह (philosophy & theology-an intellectual odyssey) मुझे हासिल हुई है. इस संग्रह में अनेक धर्मों के बारे में विशेष ज्ञान पूरक तत्वों का ख़ुलासा हुआ है.

डॉक्टर देवेंद्र शर्मा जी के हाथों “माँ ने कहा था” “(काव्य) एवं “गंगा बहती रही” (लघुकथा संग्रह) का विमोचन हुआ. मौक़े पर हाज़िर साहित्यकार रहे श्रीमती विनीता शर्मा, जो ख़ुद एक बेहतरीन रचनाकार है, देवी नागरानी, मीरा बालानी, मोना हैदराबादी, सुनिता लूल्ला, ज्योति कनेटकर और पद्मज आयंगर . पद्मजा जी एक चर्चित साहित्यकार व Amraavati Poetic Prism 2018 की संपादिका है , व मोना जी एक जानी मानी ग़ज़लकारा. सुनिता जी भी ग़ज़ल की परिधि में आगे बढ़ रही हैं.

News Source:
https://ajmernama.com/national/306115/

बुधवार, 12 दिसंबर 2018

मौकापरस्त मोहरे

वह तो रोज़ की तरह ही नींद से जागा था, लेकिन देखा कि उसके द्वारा रात में बिछाये गए शतरंज के सारे मोहरे सवेरे उजाला होते ही अपने आप चल रहे हैं, उन सभी की चाल भी बदल गयी थी, घोड़ा तिरछा चल रहा था, हाथी और ऊंट आपस में स्थान बदल रहे थे, वज़ीर रेंग रहा था, बादशाह ने प्यादे का मुखौटा लगा लिया था और प्यादे अलग अलग वर्गों में बिखर रहे थे।

वह चिल्लाया, "तुम सब मेरे मोहरे हो, ये बिसात मैनें बिछाई है, तुम मेरे अनुसार ही चलोगे।" लेकिन सारे के सारे मोहरों ने उसकी आवाज़ को अनसुना कर दिया, उसने शतरंज को समेटने के लिये हाथ बढाया तो छू भी नहीं पाया।

वह हैरान था, इतने में शतरंज हवा में उड़ने लगा और उसके सिर के ऊपर चला गया, उसने ऊपर देखा तो शतरंज के पीछे की तरफ लिखा था - "चुनाव के परिणाम"।


- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी 

मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

परमिन्दर शाह के लघुकथा संग्रह "अर्श" और गिरीश चावला के लघुकथा संग्रह "शमा" का लोकार्पण



आठ दिसम्बर 2018 को नई दिल्ली के हिंदी भवन में के.बी.एस. प्रकाशन द्वारा प्रकाशित लेखक श्री परमिन्दर शाह के लघुकथा संग्रह "अर्श" और लेखक श्री गिरीश चावला के लघुकथा संग्रह "शमा" के लोकार्पण, परिचर्चा, सम्मान समारोह एवं ग़ज़ल गायन का आयोजन अनेक सुधि साहित्यकारों, पत्रकारों और कलाकर्मियों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री धीरेन्द शुक्ल  ने की, मुख्य अतिथि डॉ कमल किशोर गोयनका रहे और विशिष्ट अतिथि श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी,  श्री सुभाष चंदर , श्री आर.सी. वर्मा 'साहिल', श्री अमित टंडन , डॉक्टर आशीष कंधवे  श्री राजेश बब्बर  रहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ व सरस्वती वंदना कुमारी नीतिका सिसोदिया ने मधुर वाणी में प्रस्तुत किया। इसके पश्चात केबीएस प्रकाशन परिवार की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत किया गया, साथ ही इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ग्लोबल बुक ऑफ रिकॉर्ड से सम्मानित ट्रू मीडिया का के.बी.एस. प्रकाशन द्वारा सम्मान किया गया । इसके पश्चात श्री परमिन्दर शाह  एवं श्री गिरीश चावला  के लघुकथा–संग्रह "अर्श" व "शमा" का लोकार्पण, समारोह के अतिथियों के करकमलों से संपन्न हुआ। लोकार्पण के उपरांत के.बी.एस. प्रकाशन ने दोनों लेखकों का सम्मान किया।

समारोह के दौरान पुस्तक पर चर्चा में भाग लेते हुए सभी अतिथियों ने उपर्युक्त संग्रहों की खूबियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये दोनों संग्रह बहुत ही महत्वपूर्ण रूप से सामाजिक जीवन का लेखा जोखा प्रस्तुत करते है। उन्होंने लघुकथा के महत्त्व को बताते हुए संग्रहों के हर पक्ष को उजागर किया। साथ ही लेखकों को साहित्य जगत में पदार्पण के लिए बधाई दी और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी किया। लेखक श्री परमिन्दर शाह  एवं श्री गिरीश चावला  ने अपनी पुस्तक के कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर अपने अनुभव सबसे साझा किये और अपनी रचना यात्रा के सूत्र खोले।

के.बी.एस. प्रकाशन के प्रकाशक श्री संजय शाफ़ी  ने लेखक को बधाई दी और प्रकाशन की ओर से निःस्वार्थ भाव से सामाजिक कार्य कर रहे देश के अलग-अलग राज्य से आये विभूतियों को सम्मानित किया गया।

सभी अतिथियों के आशीर्वाद के पश्चात समारोह अध्यक्ष श्री धीरेन्द शुक्ल  ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आयोजन की सराहना करते हुए सभी सम्मानित साहित्यकारों और कलाकर्मियों को अपनी शुभकामनायें दीं और लेखकों का साहित्य जगत में स्वागत किया साथ ही लेखकों को निरंतर साहित्य साधना में रत रहते हुए देश और समाज के हित में रचना कर्म करते रहने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इन संग्रहों की सभी लघुकथायें जीवंत हैं। उन्होंने सभी साहित्य प्रेमी, श्रोताओं को भी आयोजन का हिस्सा बनकर उसे सफल बनाने के लिए बधाई दी।  श्रीमती भावना शर्मा  ने कार्यक्रम का सुगठित एवं बेहतरीन संचालन कर समा बांधा । लेखक श्री परमिन्दर शाह  की ग़ज़लों का गायन मशहूर ग़ज़लकार जनाब रमेश चंद निश्चल ने किया।

Source:
https://www.youtube.com/watch?v=XF3J1vYe2WI

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

मासिक काव्य गोष्ठी में मधु गोयल के लघुकथा संग्रह थरथराती बूंद का विमोचन 
Dainik Jagaran |  10 Dec 2018 

कैथल/10 Dec 2018: साहित्य सभा की मासिक काव्य गोष्ठी साहित्यकार हरिकृष्ण द्विवेदी की अध्यक्षता में आरकेएसडी कॉलेज में हुई। संचालन रिसाल जांगड़ा ने किया। गोष्ठी शुरू करने से पहले साहित्यकार डॉ. ते¨जद्र के शोध प्रबंध ¨हदी गजल एवं अन्य काव्य विधाएं, प्रो. अमृत लाल मदान के उपन्यास एक और त्रासदी व मधु गोयल के लघुकथा संग्रह थरथराती बूंद का विमोचन किया गया। इसके साथ-साथ महेंद्र पाल सारस्वत की भजनोपदेश माला, सदाबहार श्रीमद भागवत गीता व हरीश झंडई के काव्य संग्रह ढलते सूरज की किरणें का भी विमोचन किया गया। इसके बाद गोष्ठी शुरू करते हुए र¨वद्र रवि ने कहा कि फैंक दो दरिया के बीचों बीच मुझको, मैं अपने बाजू आजमाना चाहता हूं। सतपाल शर्मा शास्त्री ने कहा कि आप्पे जे ना सुधरैगा तू, जीवन व्यर्थ गुजारैगा तू। रामफल गौड़ ने कहा कि के औकात बता माणस की, पत्थर न भी होसै घिसणा। इसके अलावा कमलेश शर्मा, डॉ. प्रद्युम्न भल्ला, रिसाल जांगड़ा, शमशेर ¨सह कैंदल, सतबीर जागलान, उषा गर्ग व चंद्रकांता ने विचार प्रस्तुत किए।

News Source:
https://www.jagran.com/haryana/kaithal-release-of-literary-works-done-at-monthly-poetry-symposium-18732724.html

रविवार, 9 दिसंबर 2018

राष्ट्रीय लघुकथा प्रतियोगिता (स्टोरीमिरर और लघुकथा के परिंदे फेसबुक समूह द्वारा आयोजित)

स्टोरीमिरर और लघुकथा के परिंदे  फेसबुक मंच के सौजन्य से एक लघुकथा प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गई है।


प्रतियोगिता में सहभागिता निम्न URL पर क्लिक करके की जा सकती है:
https://contest.storymirror.com/hindi-competitions/ongoing/lghukthaa-ke-prinde/1a284713-a5d9-4851-b95f-c2c673e46866/introduction

ज्ञात हो कि इसमें सहभागिता करने वाले लघुकथाकार सिर्फ 'लघुकथा के परिंदे' फेसबुक समूह के सदस्य‌ होंगे।

किसी भी विषय पर आपकी अप्रकाशित लघुकथा आमंत्रित की जाती है।

व्यक्ति के अन्दर निहित चिन्तक-प्रवृत्ति का प्रतिफल है लघुकथा, लघुकथा बंद कली की तरह हो ना कि खिले हुए पुष्प की तरह -कान्ता रॉय


Rewards
उल्लेखनीय स्थान प्राप्त करने वाली 50 लघु कथाओं का ई-बुक बनाने के साथ-साथ सभी को डिजिटल सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा।



Rules 
1. रचना स्वरचित, मौलिक व अप्रकाशित हो। किसी भी दशा में यदि किसी की भी रचना कहीं से भी कापी की हुई पाई गई तो वह कानूनी रूप से खुद जिम्मेदार होगा।

2. यदि यह सच्चाई पता चलती है कि रचना पहले से ही कहीं और जगह पर प्रकाशित हुई है तो आप को रिजेक्ट कर दिया जाएगा।

3. रचना में किसी भी प्रकार की अश्लीलता नहीं होनी चाहिए।

4. प्रतियोगिता में कोई भी भाग ले सकता है।

5. प्रतियोगिता में अपनी रचनाओं को 9 दिसंबर 2018 से लेकर 9 जनवरी 2019 तक सबमिट कर सकते हैं।

6. 10 फरवरी 2019 को इसका परिणाम https://www.storymirror.com पर प्रकाशित किया जाएगा।

7. सबसे ज्यादा पढ़ी गयी रचनाओं को भी विशेष तौर पर उल्लेखनीय स्थान देने के लिये चुना ज़ायेगा।

8. ध्यान रहे:यह आपकी अपनी प्रतिभा को परखने हेतु लॉन्च किया जा रहा है तो प्राथमिकता नवीनता को दी जायगी।

9. इस लघुकथा के परिंदे की प्रतियोगिता में आदरणीया कांता राय जी निर्णायक की भूमिका में हैं, उनका ही फैसला सर्वमान्य होगा|


Languages: Hindi
Content type: Story
Contact person: sant@storymirror.com

Source:
https://contest.storymirror.com/hindi-competitions/ongoing/lghukthaa-ke-prinde/1a284713-a5d9-4851-b95f-c2c673e46866/introduction