भिखारी को एक महिला ने कुछ दिया और फुसफुसाया। लेखक ने देखा कि वह महिला दस रुपये (उन दिनों दस रुपयों का मूल्य काफी अधिक था) देकर चली गयी। लेखक ने उस महिला को देवी सरीखी पाया... क्या सिर्फ अधिक रुपए देने की खातिर? चलिये सुनते हैं और जानते हैं देवी का रहस्य - मुंशी प्रेमचंद द्वारा सृजित और निधिकांत पांडे जी के स्वर में कही गयी लघुकथा - "देवी"।
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गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019
बुधवार, 13 फ़रवरी 2019
लघुकथा वीडियो: दूसरी औरत | लेखक: दुर्गादत्त जोशी | वाचक: अर्जुन नैलवाल
दुर्गादत्त जोशी जी द्वारा सृजित "दूसरी औरत "अंतर्राष्ट्रीय लघुकथा प्रतियोगिता में चयनित पुरुस्कृत है। यह हैलो हल्द्वानी FM 91.2 रेडियो से प्रसारित हुई है। आइए श्री अर्जुन नैलवाल जी से यह रचना सुनते हैं।
लघुकथा वीडियो: श्री मदन पौडेल की दो नेपाली लघुकथाएं
नेपाली लघुकथा 1: "नझरेको आँशु"
नेपाली लघुकथा 2: 'गुरुदत्तको डायरी'
मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019
सोमवार, 11 फ़रवरी 2019
दृष्टि पत्रिका के मानवेतर लघुकथा अंक की समीक्षा
हिमाचल प्रदेश से प्रकाशित लोकप्रिय समाचार पत्र दिव्य हिमाचल के रविवार अंक में दृष्टि के मानवेतर लघुकथा अंक की समीक्षा।
Source:
*"पुरुष उत्पीड़न" विषय पर कहानी और लघुकथा लेखन प्रतियोगिता
श्री विजय विभोर की फेसबुक वॉल से
"Write Now"
आपके लिए एक अनूठी कहानी और लघुकथा लेखन प्रतियोगिता*
अब तक आपने (पुरूष/महिला रचनाकारों ने) महिला उत्पीड़न पर बहुत क़लम चलाई है। अब आपके लिए
*"पुरुष उत्पीड़न"
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पर क़लम चलाने का चैलेन्ज है।
महिलाएं बातों को बेहतर तरीके से देख और समझ पाती हैं और अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सकती हैं। पुरुष भी महिलाओं के लिए बहुत मार्मिक व शानदार लिखते आ रहे हैं। अब देखे कितनी महिला/पुरूष रचनाकार "पुरुषों के उत्पीड़न" पर अपनी कलम का जादू बिखेरते हैं?
आपका अपना यूट्यूब चैनल "Vibhorविभोर" लेखकों के लिए यह अनूठी लेखन प्रतियोगिता ला रहा है। यह पुरुषों/महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा, प्यार और उनके ख्याल का उत्सव है।
इस कहानी और लघुकथा लेखन प्रतियोगिता के लिए देखें आप अपनी कितनी उर्जा, रचनात्मकता और उत्साह को दिखाते हैं।
इस प्रतियोगिता का उद्देश्य महिलाओं व पुरुषों को समान रूप से सम्मान और सहयोग के लिए प्रेरित करना है। तो आइए अपनी रचनात्मकता का उपयोग करते हुए प्रेरक कहानी / लघुकथा लिखें।
नियम
1. चैनल के सब्स्क्राइब सदस्य (प्रमाण के लिए स्क्रीन शॉट भेजें) ही भाग ले सकते हैं।
2. शैली पर कोई प्रतिबंध नहीं है। बस विवादास्पद को शामिल नहीं किया जाएगा।
3. विजेताओं का फैसला वीडियो पर लाइक स्कोर, उनकी कहानी/लघुकथा को कितना शेयर किया गया व उसको कितने समय तक देखा गया (व्यूज ड्यूरेशन) के आधार पर किया जायेगा।
4. सभी प्रतिभागियों के लिए चैनल "Vibhorविभोर" का निर्णय अंतिम और मान्य होगा।
5. प्रतिभागियों को अपनी स्वरचित कहानी / लघुकथा ही भेजनी हैं। प्रतिभागी अधिकतम दो कहानी / चार लघुकथा ही भेज सकते हैं। अपने अनुसार उत्कृष्टता क्रम से (कहानी और लघुकथा अलग-अलग) भेजें।
6. आपकी रचना पहले से किसी भी सोशल मीडिया पर पोस्ट / प्रकाशित नहीं होनी चाहिए।
7. हम ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं। आपसे भी यही अपेक्षा रखते हैं।
8. आपकी रचना पर आपका पूर्ण अधिकार है। बस प्रतियोगिता के बाद आप कहीं भी इस्तेमाल करें।
पुरस्कार
श्रेष्ठ 10 रचनाकारों को "Vibhor विभोर" यूट्यूब चैनल से उत्कृष्टता के प्रमाण-पत्र प्राप्त होंगे।
योग्यता
सबमिट करने की अवधि - 14 फरवरी 2019 से 15 मार्च 2019 तक
भाषाएँ - हिन्दी
कन्टेन्ट - कहानी और लघुकथा
प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए, आप नीचे दी हुई e-mail : vibhorvijayji@gmail.com पर अपनी रचनाओं को सबमिट करें। साथ में अपना फोटो व शहर का नाम व "पुरुष उत्पीड़न" प्रतियोगिता जरूर लिखें। व्हाट्सएप/मैसेंजर पर भेजी रचनाएँ शामिल नहीं कर सकेंगे। इसलिए ईमेल पर ही प्रसारण स्वीकृति के साथ भेजें।
आपकी रचनाओं का हृदय से स्वागत है, धन्यवाद !🙏🏻
नोट :- 24 फरवरी 2019 से आपकी आयी हुई रचनाओं की वीडियो अपलोड होना शुरू हो जाएंगी। एक दिन में एक ही वीडियो अपलोड होगी। जितनी भी रचनाएँ आएंगीं उनमें से प्रतियोगिता में चुनी गई रचनाओं के ही वीडियो अपलोड किया जाएगा। आपकी वीडियो की अपलोडिंग के बाद का दस दिन तक का समय नोट किया जाएगा।
सब्स्क्राइब करने के लिए चैनल "Vibhorविभोर" का लिंक -----
मित्रों!
अपने फ़ोटो और संक्षिप्त परिचय के साथ अपनी रचनाएँ (कहानी, लघुकथा) ईमेल vibhorvijayji@gmail.com पर ही भेजें।
अपने फ़ोटो और संक्षिप्त परिचय के साथ अपनी रचनाएँ (कहानी, लघुकथा) ईमेल vibhorvijayji@gmail.com पर ही भेजें।
- विजय 'विभोर'
लघुकथा वीडियो: दो संस्कृत लघुकथाएं
लघुकथा(१) शृगालस्य चतुरता
लघुकथा (२)अम्लानि द्राक्षाफलानि
लघुकथा(१) शृगालस्य चतुरता
एकदा एकः वायसः पिष्टकं चोरितवान्।
पिष्टकं चोरयित्वा सः एकस्यां वृक्षशाखायाम् उपविशती स्म।
वृक्षतले शृगालः एकः उपारतः आसीत्।
वायसमुखे पृष्टकं दृष्ट्वा तं लालसा अभवत्
तदा चतुरः सः शृगालः वायसं प्रति उद्देश्यं कृत्वा गायनासीत्...
अहो! अद्भुतसुंदरः विहगः एषः।
कण्ठस्वरः अपि मधुरः भवेत्...
न जाने कथं मधुरं नु गायति अयम्।
वायसः स्वीय प्रशंसा श्रुत्वा गदगद नंदित पुलकितः अभवत्।
अतः सः गीतं गायनाय यदा हि चंचु विस्फारितम अकरोत्
पिष्टकम अधः पतितवान्।
अतः किम्!
शृगालः पिष्टकं प्राप्य झटिति धावितवान्।
लघुकथा (२)अम्लानि द्राक्षाफलानि
एकदा एकः शृगालः अतीव क्षुधार्तः भवन् आसीत्।
समग्र वनम् अनुसन्धित्वा अपि सः।
तदा सः भोजनस्य अनुसन्धनाय एकस्मिन् ग्रामे उपस्थितम् अभवत्।
तत्र एकं वेदिम् उपरि गुच्छानि गुच्छानि द्राक्षाफलानि उलम्बितानि।
द्राक्षाफलं दृष्ट्वा शृगालः अतीव मोदितः अभवत्।
"अहो! क्षुधाकाले पक्व-पक्व द्राक्षाफलस्य भोजनस्य आनंदं हि अतुलनीयम्" सः अचिंतयत्
द्राक्षाफलानि तु अतीव उच्चे आसन्।
बहव लम्फ़झम्पात् अपि तानि तस्य हस्तगतः न अभवन्।
"द्राक्षाफलानि अम्लानि। अहम् अम्लफलं न द्राक्षाफलानि खादामि।"
एतद् उक्त्वा शृगालः स्थानात् गतवान्।
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