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गुरुवार, 22 नवंबर 2018

शंकर पुणतांबेकर जी की लघुकथा आम आदमी

शंकर पुणतांबेकर अपने समय के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार रहे हैं. मराठी और हिन्दी, दोनों भाषाओं के साहित्य पर उनकी पकड़ गहरी रही है. खासकर व्यंग्य की विधा में उनका लेखन अतुलनीय माना जाता है. उनकी लघुकथाओं में भी कई बार व्यंग्य की धारा देखने को मिल जाती है. इन्हीं शंकर पुणतांबेकर की लिखी एक लघुकथा है ‘आम आदमी’. वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में इस लघुकथा को बार-बार पढ़ा जाना चाहिए.

आम आदमी

नाव चली जा रही थी. मंझदार में नाविक ने कहा, ‘नाव में बोझ ज्यादा है, कोई एक आदमी कम हो जाए तो अच्छा, नहीं तो नाव डूब जाएगी.’

अब कम हो जाए तो कौन कम हो जाए? कई लोग तो तैरना नहीं जानते थे: जो जानते थे उनके लिए भी तैरकर पार जाना खेल नहीं था. नाव में सभी प्रकार के लोग थे – डॉक्टर, अफसर, वकील, व्यापारी, उद्योगपति, पुजारी, नेता के अलावा आम आदमी भी. डॉक्टर, वकील, व्यापारी ये सभी चाहते थे कि आम आदमी पानी में कूद जाए. वह तैरकर पार जा सकता है, हम नहीं.

उन्होंने आम आदमी से कूद जाने को कहा, तो उसने मना कर दिया. बोला, ‘मैं जब डूबने को हो जाता हूं तो आप में से कौन मेरी मदद को दौड़ता है, जो मैं आपकी बात मानूं?’ जब आम आदमी काफी मनाने के बाद भी नहीं माना, तो ये लोग नेता के पास गए, जो इन सबसे अलग एक तरफ बैठा हुआ था. इन्होंने सब-कुछ नेता को सुनाने के बाद कहा, ‘आम आदमी हमारी बात नहीं मानेगा तो हम उसे पकड़कर नदी में फेंक देंगे.’

नेता ने कहा, ‘नहीं-नहीं ऐसा करना भूल होगी. आम आदमी के साथ अन्याय होगा. मैं देखता हूं उसे. मैं भाषण देता हूं. तुम लोग भी उसके साथ सुनो.’ नेता ने जोशीला भाषण आरंभ किया, जिसमें राष्ट्र, देश, इतिहास, परंपरा की गाथा गाते हुए, देश के लिए बलि चढ़ जाने के आह्वान में हाथ ऊंचा कर कहा, ‘हम मर मिटेंगे, लेकिन अपनी नैया नहीं डूबने देंगे… नहीं डूबने देंगे… नहीं डूबने देंगे….

सुनकर आम आदमी इतना जोश में आया कि वह नदी में कूद पड़ा.

(साभारः हिन्दी समय)
Source: https://www.india.com/hindi-news/india-hindi/satire-of-shankar-puntambekar/

लघुकथा समाचार

स‍ाह‍ित्य आजतक: सोशल मीडिया ने लघुकथा को बना दिया बड़ा
aajtak.in [Edited By: श्‍यामसुंदर गोयल ] नई द‍िल्ली, 18 नवंबर 2018

'साहित्य आजतक' के सीधी बात मंच पर 'एक बड़ी सी लघुकथा' सत्र में लघु कहानियों के विकास के बारे में बात की गई. इस सत्र में भाग लिया सुकेश साहनी और गिरींद्र नाथ झा ने. इसका संचालन किया रोहित सरदाना ने.

रोहित सरदाना के इस सवाल पर कि साहित्य का बाजार बढ़ रहा है तो लघुकथा का बाजार क्यों घट रहा है. इस पर सुकेश साहनी ने कहा कि ऐसा नहीं है उनकी कई कहानियों पर शॉर्ट फिल्में बनीं हैं. कई पॉपुलर भी हुई हैं. गिरींद्र झा ने कहा कि सोशल मीडिया ने उन्हें मंच दिया है. वह 2015 के बाद की बात करेंगे. उनकी कहानियां दिल्ली से बिहार जाती हैं और बिहार से दिल्ली भी आती हैं.


Laghukatha News Source:
https://aajtak.intoday.in/video/a-brief-talk-of-sahitya-aajatak-talked-about-short-stories-ek-badi-si-laghu-katha-session-1-1041546.html

लघुकथा समाचार

सामाजिक विसंगतियों को उखाड़ फेंकने का काम करती हैं लघुकथाएं: आचार्य
 दैनिक भास्कर  Nov 22, 2018

आज के आपाधापी के दौर में लघुकथाओं का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि आज के समय में लोगों के पास समय का अभाव है। लघुकथा आज की विधा नहीं है, 1901 में पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने "झलमला' नाम से एक लघुकथा लिखी थी। तभी से लघुकथा लिखने का क्रम शुरू हुआ। यह कहना है साहित्यकार डॉ. रामवल्लभ आचार्य का। वे बुधवार को मानस भवन में आयोजित लघुकथा गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि आज के वातावरण में यह इसलिए ज्यादा लोकप्रिय है, क्योंकि इसमें सामाजिक विसंगतियां, आर्थिक विषमता, राजनैतिक क्षद्म और सामाजिक विरूपताओं को उखाड़कर एक संदेश देने का काम लघुकथा करती है। इस कार्यक्रम का आयोजन लघुकथा शोध केंद्र की ओर से किया गया। इस अवसर पर महिमा वर्मा ने अंतिम अस्त्र, इल्ज़ाम और अखण्ड ज्योति, विनोद कुमार जैन ने गद्दी, जागा हुआ और शैतान, कथाकार वर्षा ढोबले ने टिफिन, मंजिल और जन्मकुंडली जैसे विषयों पर आधारित लघुकथाओं का पाठ किया।


Laghukatha News Source:
https://www.bhaskar.com/mp/bhopal/news/short-stories-acharya-works-to-overthrow-social-anomalies-052111-3250690.html

लघुकथा संग्रह 'चयन' - लेखिका डॉ. मजु लता तिवारी

आज इंटरनेट पर सर्फ करते हुए डॉ. मजु लता तिवारी जी का संस्कृती निलयम, लखनऊ द्वारा प्रकाशित लघुकथा संग्रह 'चयन' (संस्करण 2001) प्राप्त हुआ।
संग्रह में कुछ स्थानों पर लघुकथा की बजाय लघु कहानियां, लघु कथा जैसे शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। 'कलियुग का कृष्ण', 'पशु','चयन', 'दाग' सहित कई रचनाएँ पठनीय हैं। लेखकीय वक्तव्य में उस समय का लघुकथा परिदृश्य भी बखूबी दर्शाया गया है। वेबसाइट पर कॉपीराइट जानकारी तो प्राप्त नहीं हुई, लेकिन संग्रह की पीडीऍफ़ फाइल निम्न लिंक पर उपलब्ध है:

(उपरोक्त केवल जानकारी हेतु,कॉपीराइट की जिम्मेदारी इस ब्लॉग की नहीं)

सोमवार, 12 नवंबर 2018

लघुकथा समाचार

देखत तौ छोटे लगें घाव करें गंभीर' जैसे दोहे से लघुकथा को आंका
Dainik Bhaskar: Nov 12, 2018, New Delhi 


विश्व मैत्री मंच द्वारा प्रकाशित लघुकथा संकलन 'सीप में समुद्र' किताब का लोकार्पण हिन्दी भवन के महादेवी वर्मा कक्ष में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी के निदेशक उमेश कुमार सिंह थे। राष्ट्र भाषा प्रचार प्रसार समिति के संयोजक कैलाश चन्द्र पंत की अध्यक्षता में वरिष्ठ समीक्षक युगेश शर्मा और घनश्याम मैथिल ने पुस्तक पर विमर्श किया। इस अवसर पर संस्था की अध्यक्ष और संग्रह के संपादक संतोष श्रीवास्तव ने संपादन के अनुभव साझा किए।

दूसरे सत्र में हुआ गीत, गजल 

डॉ. उमेश कुमार सिंह ने लघुकथा पर अपना दृष्टिकोण रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कैलाशचंद पंत ने लघुकथा की विसंगतियों और साहित्यिक परिदृश्य में प्राचीन साहित्य और संस्कृति की चर्चा करते हुए सतसैया के दोहरे, अरु नावुक के तीरु, देखत तौ छोटे लगें घाव करें गंभीर जैसे लोकप्रिय दोहे से लघुकथा को आंका। दूसरे सत्र में गीत गजल संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें शहर के नामचीन शायरों ने शिरकत की।

News Source:
https://www.bhaskar.com/mp/bhopal/news/quotwatching-tau-tau-chong-chahta-chahra-chakte-sache-srilquot-such-as-judging-the-short-story-043059-3173314.html


रविवार, 11 नवंबर 2018

11 नवंबर 2018 दैनिक भास्कर के 'रसरंग' में एक लघुकथा

दैनिक भास्कर के 'रसरंग' में 11 नवंबर  2018 को मेरी एक लघुकथा का प्रकाशन। सुझावों का हार्दिक स्वागत। 
- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी