‘कम शब्दों में मानव मन को झकझोर देती है लघुकथा’
Swatva Samachar | October 15, 2018 | पटना
आज के दौर में साहित्य की सबसे अच्छी विधा लघुकथा है। कम शब्दों में सारगर्भित रचना जो इंसानी मन को झकझोर दे वही लघुकथा है। उक्त बातें वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने साहित्यिक संस्था लेख्य-मंजूषा और अमन स्टूडियो के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित लघुकथा कार्यशाला में कही।
लघुकथा की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि बहुत लोग अंग्रेजी के सिनॉप्सिस को लघुकथा समझते हैं, तो कुछ लोग अंग्रेजी की शार्ट स्टोरी को लघुकथा समझते हैं। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। दोनों अलग-अलग भाषाएं हैं। लघुकथा अपने आप में एक पूरी विधा है।
इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि प्रोफेसर अनिता राकेश ने कहा कि आज के युवा इस क्षेत्र में काफी अच्छा कर रहे हैं। लघुकथा के क्षेत्र में आज शोध के लिए बहुत सारी लिखित सामग्री उपलब्ध हैं।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव कुमार ने कार्यशाला में भाग ले रहे बच्चों को लघुकथा के शिल्प संरचना के पहलुओं से अवगत करवाया। लघुकथा के इतिहास के बारे में जानकारी दी।
लेख्य-मंजूषा की अध्य्क्ष विभा रानी श्रीवास्तव ने लघुकथा के पितामह सतीशराज पुष्करणा के आलेख को बच्चों के लिए पढ़ा।
इस मौके पर हरियाणा से छपने वाली पुस्तक “लघुकथा कलश” का विमोचन भी किया गया। इस पुस्तक में बिहार के तमाम लघुकथाकारों की लघुकथा प्रकाशित है। मिर्ज़ा ग़ालिब टीचर ट्रेनिंग कॉलेज की छात्राओं ने लघुकथा से संबंधित अपने सवाल किए।
दूसरे-तीसरे सत्र में सभी प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी लघुकथाओं का पाठ किया। वहीं अमन स्टूडियो और लेख्य-मंजूषा ने भविष्य में शार्ट फ़िल्म बनाने की बात कही। इस मौके पर भोजपुरी फ़िल्म ‘माई’ के स्क्रिप्ट राइटर मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन शायर नसीम अख्तर ने किया।
News Source:
https://swatvasamachar.com/bihar-update/patna/kum-sabdo-mein-manav-man-ko-jhakjhor-deti-hai-laghukatha/
Swatva Samachar | October 15, 2018 | पटना
आज के दौर में साहित्य की सबसे अच्छी विधा लघुकथा है। कम शब्दों में सारगर्भित रचना जो इंसानी मन को झकझोर दे वही लघुकथा है। उक्त बातें वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने साहित्यिक संस्था लेख्य-मंजूषा और अमन स्टूडियो के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित लघुकथा कार्यशाला में कही।
लघुकथा की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि बहुत लोग अंग्रेजी के सिनॉप्सिस को लघुकथा समझते हैं, तो कुछ लोग अंग्रेजी की शार्ट स्टोरी को लघुकथा समझते हैं। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। दोनों अलग-अलग भाषाएं हैं। लघुकथा अपने आप में एक पूरी विधा है।
इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि प्रोफेसर अनिता राकेश ने कहा कि आज के युवा इस क्षेत्र में काफी अच्छा कर रहे हैं। लघुकथा के क्षेत्र में आज शोध के लिए बहुत सारी लिखित सामग्री उपलब्ध हैं।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव कुमार ने कार्यशाला में भाग ले रहे बच्चों को लघुकथा के शिल्प संरचना के पहलुओं से अवगत करवाया। लघुकथा के इतिहास के बारे में जानकारी दी।
लेख्य-मंजूषा की अध्य्क्ष विभा रानी श्रीवास्तव ने लघुकथा के पितामह सतीशराज पुष्करणा के आलेख को बच्चों के लिए पढ़ा।
इस मौके पर हरियाणा से छपने वाली पुस्तक “लघुकथा कलश” का विमोचन भी किया गया। इस पुस्तक में बिहार के तमाम लघुकथाकारों की लघुकथा प्रकाशित है। मिर्ज़ा ग़ालिब टीचर ट्रेनिंग कॉलेज की छात्राओं ने लघुकथा से संबंधित अपने सवाल किए।
दूसरे-तीसरे सत्र में सभी प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी लघुकथाओं का पाठ किया। वहीं अमन स्टूडियो और लेख्य-मंजूषा ने भविष्य में शार्ट फ़िल्म बनाने की बात कही। इस मौके पर भोजपुरी फ़िल्म ‘माई’ के स्क्रिप्ट राइटर मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन शायर नसीम अख्तर ने किया।
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