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गुरुवार, 7 मार्च 2019

लघुकथा: पर्दा | राजकुमार कांदु

"अरे-अरे... रुको! कहाँ जा रहे हो? जानते नहीं अब घर में नइकी बहुरिया आ गई है।"
सुशीला ने घर के अंदर के कमरे में जा रहे रामखेलावन को आगे बढ़ने से रोका।

"अरे वही बहुरिया है न गोपाल की अम्मा जो ब्याह के पहले स्टेज पर गोपाल के बगल वाली कुर्सी पर बैठी रही...? अब उसमें का बदल गया है कि हम उसको देख नहीं सकते और उ हमरे सामने नहीं आ सकती?" रामखेलावन ने कहा।


राजकुमार कांदु
मुम्बई

शोध पत्र: श्री सत्यप्रकाश भारद्वाज कृत 'लुटेरे छोटे छोटे’ लघुकथा संग्रह में व्यक्त परिवार एवं राजनीति | सुमन बाला

International Journal of Advanced Research and Development | ISSN: 2455-4030 | VOL. 1, ISSUE 11| PP 61-63 | 



















































Source:
http://www.advancedjournal.com/download/396/2-4-92-897.pdf

बुधवार, 6 मार्च 2019

शोध पत्र: हिन्दी लघुकथा: राष्ट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिकता के सन्दर्भ में | खेमकरण

International Journal of Advanced Research and Development ISSN: 2455-4030 Vol. 3, Issue 3 (2018) PP: 100-105  


Abstract: समाजिक और साँस्कृतिक बहुलता, भारत की बड़ी उपलब्धि है। इन्हीं उपलब्धियों के कारण जीवन जीवन्त और राष्ट्रीय एकता मजबूत है। यह भारत की मूलभूत पहचान है जो सदा ही गौरवान्वित करती रही है परन्तु, चिन्ताजनक बिन्दु यह भी है कि साम्प्रदायिक ताकतें, विभिन्न धर्मों के बीच धार्मिक, जातिगत खाईयाँ पैदाकर, जन-मानस को छिन्न-भिन्न, और दंगे करवाकर अपने नापाक उद्देश्य में सफल होती रही हैं। इनका कार्य है अपने धर्म, जाति को सर्वोपरि मानकर, दूसरे धर्म की आलोचना करना और धार्मिक विवाद को बढ़ावा देकर, मानव-मानवता का खून बहाना। इस प्रकार साम्प्रदायिक सोच देश की एकता, अखण्डता को खतरे में डालती है। इन खतरों को हिन्दी कथाकारों ने अपनी लघुकथाओं के माध्यम से रेखांकित किया है। साँझा विरासत के कथाकार मंटो के अतिरिक्त समकालीन हिन्दी लघुकथा के वरिष्ठ हस्ताक्षर असगर वजाहत, मधुदीप, डाॅ0 सतीश दुबे, पारस दासोत, सुकेश साहनी, भगीरथ, महेन्द्र सिंह महलान, हबीब कैफी, बलराम अग्रवाल, कमलेश भारतीय, डाॅ श्याम सुन्दर दीप्ति, श्यामबिहारी श्यामल, डाॅ0 दामोदर खड़से, डाॅ0 कमल चोपड़ा, बलराम, माधव नागदा, कस्तूरीलाल तागरा और संतोष सुपेकर आदि कथाकारों की लघुकथाओं में राष्ट्रीय एकता के तत्व प्रमुखता से मिलते हैं। वहीं, इन कथाकारों की लघुकथाएँ, यह भेद भी खोलती है कि साम्प्रदायिक दंगों के पीछे निम्न स्तर की राजनीति, राजनीतिक पार्टियाँ और कट्टरपंथी नेता हैं, जिनके शिकार प्रायः आमजन ही होते हैं। सैकड़ों दंगे-फसाद, हिंसक-शर्मनाक घटनाएँ इनसान होने पर प्रश्न चिह्न हैं। हिन्दी लघुकथा इन सबकी प्रत्यक्षदर्शी रही है। प्रस्तुत शोध-पत्र इन्हीं विषयों पर केन्द्रित है।









Source:
http://www.advancedjournal.com/download/1555/3-3-97-803.pdf

मंगलवार, 5 मार्च 2019

शोध पत्र: संस्कृत लघु कथाओं में आधुनिक विषय - डॉ. सुरचना त्रिवेदी

(मानवीय सम्बन्धों के विशेष संदर्भ में)
National Journal of Hindi & Sanskrit Research; ISSN: 2454-9177;  2017; 1(13): 68-71



Source:

http://www.sanskritarticle.com/admin/upload/22(13)Dr.Surachna-Trivedi.pdf

सोमवार, 4 मार्च 2019

समीक्षा: "लघुकथा वृत्त" का जनवरी 2019 अंक | डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

लघुकथा का इकलौता मासिक समाचार पत्र "लघुकथा वृत्त" का जनवरी 2019 का अंक कल प्राप्त हुआ। एक पंक्ति में कहूँ तो यह अंक लघुकथा संबंधी बहुत सी विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण चीज़ें समेटे हुए है। गणित के अनुसार किसी भी वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात के बराबर जो संख्या होती है, उसका शुद्ध मान कभी भी ज्ञात नहीं किया जा सकता। इस अपरिमित संख्या को π  (पाई) कहा गया, जो 22/7 के बराबर होता है। आप सोच रहे होंगे कि कहाँ साहित्य और कहाँ गणित? लेकिन वृत्त तो है ही गणितीय शब्द। इसके अलावा जब पहली बार लघुकथा वृत्त का नाम पढ़ा था, तब पढ़ते ही दिमाग में सबसे पहले "वृत्त" ही गूंजा और उस वक्त वरिष्ठ लघुकथाकार श्री योगराज प्रभाकर द्वारा कही गयी एक बात भी याद आई थी कि "लघुकथा लेखक की दृष्टि 360 डिग्री की होनी चाहिए।" चूंकि वृत्त भी तो विभिन्न भागों से मिलकर 360 डिग्री का ही होता है। लघुकथा वृत्त भी लघुकथा के विभिन्न तत्व, समाचार, लेख, देसी-विदेशी लघुकथाएं आदि को एक साथ रखते हुए 360 डिग्री का समाचार पत्र है। यह तो खैर एक बात हुई, दूसरी बात है वृत्त की परिधि, π आदि की। परिधि का अर्थ है एक वृत्त का पूरा चक्कर लगाने पर जितनी दूरी हम तय करते हैं। इसके द्वारा हम वृत्त के बाहरी स्वरूप को जान पाते हैं। इसे समाचार पत्र से जोड़ें तो, किसी भी समाचार पत्र को पढ़ने के दो तरीके होते हैं, एक तो उसकी हेडलाइन्स को पढ़ लेना और दूसरे समाचारों, लेखों, संपादकीय आदि को पूरा पढ़ना। लघुकथा वृत्त के इस अंक की परिधि अर्थात हेडलाइन्स में आर्य स्मृति साहित्य सम्मान, रचनाकार डॉट ऑर्ग द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता, संपादकीय, इंडो-नेपाल लघुकथा सम्मेलन, लघुकथा शोध केंद्र द्वारा आयोजित लघुकथा गोष्ठी, डॉ. अशोक भाटिया और श्रीमती कांता रॉय को मिला सम्मान, मध्य प्रदेश की लघुकथाएं, धरोहर रूपी लघुकथाएं, विशिष्ट लघुकथा परिंदे में ज्योत्सना सिंह, लघुकथाएं विदेश से, श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय द्वारा लिखित "कलयुग का बेटा" पर आधारित फिल्म की शूटिंग पूर्ण, डॉ. उपमा शर्मा की दो पसंदीदा लघुकथाएं, मॉरीशस में लघुकथाएं, आंचलिक लघुकथाएं, स्व. श्री पारस दासोत द्वारा कहा गया लघुकथा का महत्व, वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. बलराम अग्रवाल का साक्षात्कार, वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. अशोक भाटिया कृत "परिंदे पूछते हैं" पुस्तक की श्री बद्री सिंह भाटिया द्वारा समीक्षा, डॉ. अशोक भाटिया द्वारा "समग्र" लघुकथा विशेषांक की समीक्षा, अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन (सिरसा) का प्रतिवेदन, श्री त्रिलोक सिंह ठकुरेला कृत समसामयिक हिन्दी लघुकथा की सुश्री भूपिंदर कौर द्वारा समीक्षा, श्री सदाशिव कौतुक कृत "संकल्प और सपने" की डॉ. विनीता राहुरिका द्वारा समीक्षा, सुश्री सुधा भार्गव कृत "टकराती रेत" पुस्तक की श्रीमती कांता रॉय द्वारा समीक्षा सहित कई अन्य समाचार और लेख मौजूद हैं।

निःसन्देह इस वृत्त की परिधि रोचक है – महत्वपूर्ण भी है, लेकिन केवल परिधि को ज्ञात करना ही वृत्त का उद्देश्य नहीं क्योंकि जिस किसी भी कारण से कोई भी वृत्त बनाया जाता है उसके पूर्ण क्षेत्रफल को मापना बहुत ज़रूरी है, तब कहीं जाकर वृत्त की संपूर्णता जान सकते हैं। क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए वृत्त की त्रिज्या, व्यास को भी मापने की जरूरत होती है जिसके लिए आपको वृत्त के केंद्र बिन्दु तक जाना होगा। इस लघुकथा वृत्त को पूरा पढ़ने हेतु आपको इसके केंद्र बिन्दु इसकी प्रधान संपादक श्रीमती कांता रॉय से संपर्क करना होगा। आपकी सुविधा के लिए उनका ईमेल आईडी बता देता हूँ - roy.kanta69@gmail.com

अब यदि बात करें π (पाई) की, जो कि साहित्य को गणित से जोड़ देती है। वैसे तो लघुकथाकार का कार्य ही पाई-पाई के हिसाब अर्थात लघुत्तम के महत्व को उभार कर दर्शाना है, π का यह आधारभूत मानक साहित्य के विकास की तरह ही अपरिमित है और लघुकथा में नित नए हो रहे प्रयोगों को इंगित कर रहा है। शायद इसे ही ध्यान में रखते हुए अपने संपादकीय में श्रीमती कांता रॉय ने कहा भी है कि "साहित्य नए दृष्टिकोण देते हुए जीवन मूल्यों का सृजन करता है।" तथा "नव निर्माण और नव चेतना जागृत करना भी लघुकथा लेखन का एक उद्देश्य हो।"

यह समाचार पत्र मासिक है अर्थात वर्ष में 12 बार आप इसका लुत्फ उठा सकते हैं। एक (वृत्तनुमा) घड़ी के 30-30 डिग्री के 12 अंश इसे 360 डिग्री का पूर्णत्व प्रदान करते हैं। यानी कि वर्ष के बारह अंकों में पाठक यह उम्मीद रख सकते हैं कि लघुकथा के लगभग सभी मुख्य भागों को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाएगा। उम्मीद यह भी है कि लघुकथा वृत्त के अगले 330 डिग्री के अंक भी 30 डिग्री के इसी अंक की तरह ही रोचक होंगे।


- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

रविवार, 3 मार्च 2019

लघुकथा समाचार: अखिल भारतीय महिला साहित्य समागम


इंदौर: अ.भा.महिला साहित्य समागम कल से | Indore: Akhil Bhartiya mahila Sahitya Samagam held from 4 march

इंदौर: देश में संभवतः पहली बार महिला साहित्यकारों का ‘अखिल भारतीय समागम’ आयोजित किया जा रहा है। इंदौर में 4 व 5 मार्च को जाल सभागृह में होने जा रहे इस आयोजन में देश की कई विख्यात साहित्यकार बतौर अतिथि और वक्ता शामिल होंगी। वहीं प्रदेश और देश के अनेक हिस्सों से समागम में प्रतिभागी के रूप में शामिल होने के लिए लेखिकाएं, कवियत्री, लघुकथाकार, व्यंग्यकार और कहानीकार आ रही हैं। ’वामा साहित्य मंच’ इंदौर और हिंदी न्यूज पोर्टल Ghamasan.com द्वारा इस समागम का आयोजन किया जा रहा है।

आयोजन समिति की चेयरपर्सन श्रीमती पद्मा राजेंद्र, अध्यक्ष श्रीमती शिवानी राठौर और सचिव श्रीमती ज्योति जैन ने बताया कि समागम का उद्घाटन समारोह 4 मार्च की सुबह 10 बजे होगा मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती उषा किरण खान जी, (पटना) रहेंगी। सत्र की अतिथि वक्ता वरिष्ठ साहित्कार श्रीमती कृष्णा अग्निहोत्री होंगी।

पहला साहित्यिक सत्र 4 मार्च को सुबह 11:30 बजे से 1 बजे तक चलेगा जिसमें लघुकथाओं में नारी पात्र के सकारात्मक तेवर विषय पर चर्चा होगी। इसमें बीज वक्तव्य मिथिलेश जी दीक्षित (लखनऊ) का रहेगा। चर्चाकार लता जी अग्रवाल (भोपाल), अनघा जी जोगलेकर (गुरूग्राम) रहेंगी। सहभागियों द्वारा लघुकथा पाठ किया जाएगा।

दूसरा साहित्यिक सत्र 4 मार्च को दोपहर 02:30 बजे से 04 बजे तक चलेगा, जिसमें काव्य अभिव्यक्ति के बदलते प्रतिमान पर चर्चा होगी। बीज वक्तव्य : रति जी सक्सेना (त्रिवेंद्रम) रहेगा। चर्चाकार शोभना जी श्याम (गुरुग्राम), शशि जी पुरवार (पुणे) रहेंगी।

तीसरा साहित्यिक सत्र 4 मार्च शाम 4:30 बजे से 6 बजे तक चलेगा। ​जिसमें साहित्य में आधुनिकता की परिभाषा परिपक्वता या खुलापन विषय पर टॉक शो होगा। अतिथि वक्ता गीता श्री जी (दिल्ली), कुमकुम जी कपूर (अलवर), मीनाक्षी जी जोशी (इंदौर), नीलिमा जी टिक्कू (जयपुर) रहेंगी। संचालन श्रुति जी अग्रवाल (इंदौर) करेंगी। उसके बाद शाम 7:00 बजे से 8:15 तक अक्षर पर्व का आयोजन होगा।

5 मार्च को पहला साहित्यिक सत्र सुबह 10:00 बजे से 11:30 बजे तक चलेगा, जिसमें आंचलिक भाषाओं का स्वर माधुर्य ठेठपन व विलुप्त हो रहे लोकोक्तियां, कहावतें व मुहावरे पर चर्चा होगी। बीज वक्तव्य सरला जी शर्मा (दुर्ग) रखेंगी। चर्चाकार रचना जी निगम (बड़ौदा), सु​रभि जी बेहेरा (भुवनेश्वर) रहेंगी।

5 मार्च को समापन सत्र दोपहर 11:30 बजे से 01:00 बजे होगा। इसमें विषय होगा बेटियों की कलम में बसी पिता की साहित्यिक विरासत। मुख्य अतिथि सुधा जी अरोड़ा (मुंबई) रहेंगी सत्र अध्यक्षता अचला जी नागर (मुंबई) करेंगी। अतिथि वक्ता नेहा जी शरद (मुंबई) और निर्मला जी भुराड़िया (इंदौर) होंंगी। इसी सत्र में देवास की ऋचा कर्पे को देवी​अहिल्या शक्ति सम्मान दिया जाएगा।


Source:
https://ghamasan.com/indore-akhil-bhartiya-mahila-sahitya-samagam-held-in-indore/

शुक्रवार, 1 मार्च 2019