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सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

लघुकथा समाचार

प्रज्ञा साहित्यिक मंच ने की लघुकथा गोष्ठी
Danik Jagran | Rohtak | 08 Oct 2018


प्रज्ञा साहित्यिक मंच और हरियाणा प्रदेश लघुकथा मंच ने सोमवार को शहीद दीपक शर्मा पार्क स्थित सार्वजनिक पुस्तकालय में संयुक्त रूप से लघुकथा गोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम में प्रो. श्यामलाल कौशल के काव्य संकलन ए ¨जदगी का लोकार्पण हुआ। इस मौके पर डा. मधुकांत ने बताया कि काव्य संकलन में आम आदमी के जीवन से रूबरू कराती कविताएं हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा स्टडी सेंटर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की निदेशिका डा. अंजना गर्ग ने की व मंच संचालन वंदना ने किया। इस मौके पर पवन मित्तल ने लघुकथा कीमत, रामकिशन राठी ने कविता, राजगुरू ने एक बेटी का पिता, विजय ने कल्पना, विजय लक्ष्मी ने अंतरद्वंद्व, डा. मधुकांत ने हिस्से का टूक, डा. अंजना शर्मा ने अनाथ आश्रम, स्नेहा बंसल ने पति परमेश्वर, शाम लाल कौशल ने सभ्य आदमी, स्पनिल ने रक्तदान, डा. रमाकांत ने हीरा, आशा अत्री ने विस्फोट आदि रचनाएं पढ़ी। इसके अतिरिक्त वंदना मलिक, राजल गुप्ता, कविल कौशिक, जेपी गौड़ ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया।

News Source:
https://www.jagran.com/haryana/rohtak-pradnya-literary-platform-short-story-geshthi-18514902.html

शनिवार, 6 अक्तूबर 2018

लघुकथा समाचार

दिल की गहराइयों को छू जाती है सिमर सदोष की लघु कथाएं: जेबी गोयल
साहित्यकार सिमर सदोष की लघुकथा संग्रह एक मुट्ठी आसमां का पंजाबी अनुवाद ‘आटे दा दीवा’ का विमोचन
Amar Ujala | Jalandhar  | 06 Oct 2018


साहित्यकार सिमर सदोष की लघुकथाएं दिल को छू जाती हैं। उनकी हर कथा में सामाजिक कुरीति पर जबरदस्त प्रहार किया गया हैं, जो उनकी कल्पना शक्ति की ताकत बयान करता है। यह कहना था लेखक और जालंधर के पूर्व कमिश्नर जंग बहादुर गोयल का। गोयल वरिष्ठ साहित्यकार सिमर सदोष के लघु कथा संग्रह ‘एक मुट्ठी आसमां’ के पंजाबी अनुवाद ‘आटे दा दीवा’ का लोकार्पण कर रहे थे।

साहित्यकार सिमर सदोष के लघु कथा संग्रह एक मुट्ठी आसमां को युवा पत्रकार और लेखक दीपक शर्मा चनारथल ने पंजाबी में अनुवाद किया हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता पंजाब कला परिषद के महासचिव डॉ. लखविंदर सिंह सोहल ने की। पुस्तक रिलीज के दौरान लेखक दीपक चनारथल ने कहा कि सिमर सदोष की लघु कथाएं अपने आप में संपूर्ण है। पत्रकारिता के क्षेत्र में सिमर ने जितना अहम योगदान दिया है, उतना ही योगदान साहित्य में भी है।

मुख्य मेहमान जंग बहादुर गोयल व डॉ. लखविंदर जोहल ने कहा कि लघु कहानियां साहित्य की सबसे सुंदर विधा है। उन्होंने हिंदी कहानियों को पंजाब के लोगों तक पंजाबी में पहुंचाने का आभार प्रकट किया। साहित्यकार सिमर सदोष ने दीपक चनारथल का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उनके लघु कथा संग्रह को पंजाबी में अनुवाद कर उन्होंने पंजाब के लोगों को तोहफा दिया हैं। कार्यक्रम का संचालन भूपेंद्र मालिक ने किया और सभा के प्रधान बलकार सिद्धू ने मेहमानों का आभार प्रकट किया। इस मौके पर मोहन सपरा, अजय शर्मा, प्रेम विज, मनजीत कौर मीत, राकेश शर्मा पाल अजनबी, डॉ. अवतार सिंह, संजीव शारदा, अशोक सिंह मौजूद थे।

News Source:
https://www.amarujala.com/punjab/jalandhar/121538843995-jalandhar-news

बुधवार, 3 अक्तूबर 2018

लघुकथा वीडियो


लघुकथा वीडियो 
लेखक: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी | वाचन: राजेंद्र भट्ट 


जानवरीयत- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी / Rajendera Bhatt





गर्व (हीनभावना)- डा. चंद्रेश कुमार छतलानी/ Rajendra Bhatt


पश्चाताप- डा. चंद्रेश कुमार छतलानी/ Rajendra Bhatt





मृत्युदंड - डा. चंद्रेश कुमार छतलानी/ Rajendra Bhatt/ क्यूँ मिला श्री कृष्ण को मृत्युदंड ?






ख़ज़ाना- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी/ Rajendera Bhatt




अदृश्य जीत-डॉ चंद्रेश कुमार छतलानी/ Rajendra bhatt



शह की सन्तान- डा. चंद्रेश कुमार छतलानी/ Rajendera Bhatt





शनिवार, 1 सितंबर 2018

मेच फिक्सिंग (लघुकथा)

"सबूतों और गवाहों के बयानों से यह सिद्ध हो चुका है कि वादी द्वारा की गयी 'मेच फिक्सिंग' की शिकायत सत्य है, फिर भी यदि प्रतिवादी अपने पक्ष में कुछ कहना चाहता है तो न्यायालय उसे अपनी बात रखने का अधिकार देता है।" न्यायाधीश ने अंतिम पंक्ति को जोर देते हुए कहा।

"मैं कुछ दिखाना चाहता हूँ।" प्रतिवादी ने कहा

"क्या?"

उसने कुछ चित्र और एक समाचार पत्र न्यायाधीश के सम्मुख रख दिये।

पहला चित्र एक छोटे बच्चे का था, जो अपने माता-पिता के साथ हँस रहा था।

दूसरे चित्र में वो छोटा बच्चा थोड़ा बड़ा हो गया था, और एक विशेष खेल को खेल रहा था।

तीसरे चित्र में वो राष्ट्र के लिए खेल रहा था, और सबसे आगे था।

चौथे चित्र में वो देश के प्रधानमंत्री से सम्मानित हो रहा था।

पांचवे चित्र में उसी के कारण उसके खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित किया जा रहा था।

और अंतिम चित्र में वो बहुत बीमार था, उसके आसपास कोई दवाई नहीं थी केवल कई पदक थे।

इसके बाद उसने देश के सबसे बड़े समाचार पत्र का बहुत पुराना अंक प्रस्तुत किया, जिसका मुख्य समाचार था, "दवाइयां न खरीद पाने के कारण हॉकी का जादूगर नहीं रहा।"

न्यायाधीश के हृदय में करुणा जागी लेकिन जैसे ही उसने कानून की देवी की मूर्ती की तरफ देखा, स्वयं की आँखें भी बंद कर ली।

- - डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी 

बुधवार, 29 अगस्त 2018

लघुकथा समाचार

संस्कृत सप्ताह प्रतियोगिता-लघुकथा में उत्साह
Dainik Bhaskar | Aug 29, 2018 | Chittorgarh


संस्कृत सप्ताह में भाषण प्रतियोगिता व लघुकथा कथन का आयोजन राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय चेचट किया गया। संस्कृत भारती चित्तौड़ प्रांत की शाखा चेचट के द्वारा संस्कृत सप्ताह में भाषण प्रतियोगिता व लघुकथा कथन का आयोजन हुआ।

मुख्य अतिथि स्थानीय संकुल के प्रभारी दिनेश चंद्र मीणा रहे अध्यक्षता स्थानीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक अग्निमित्र शास्त्री ने की विशिष्ट अतिथि मिनर्वा विद्यालय के निदेशक चंदशेखर शर्मा रहे। मुख्य अतिथि ने कहा संस्कृत भाषा निश्चित रूप से पुनः लोक विनोद व आम बोलचाल की भाषा बनेंगी संस्कृत भाषा वैज्ञानिक भाषा का ही प्रारूप है। शास्त्री ने कहा कि अभी संस्कृत भाषा तकनीकी भाषा में प्रयोग हो रहीं हैं एक बैंक के एटीएम व आधुनिक मोबाइल में भी संस्कृत भाषा का प्रयोग हो रहा है। प्रतियोगिता वरिष्ठ वर्ग व कनिष्ठ वर्ग में आयोजित हुई। वरिष्ठ वर्ग में भाषण प्रतियोगिता का विषय संस्कृत भाषा का महत्व रहा। जिसमें वरिष्ठ उपाध्याय चेचट की निशा कुशवाहा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया इसी विद्यालय के दीपक मेहर ने द्वितीय स्थान व निखिल नावरिया खेड़ा रूदा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। कनिष्ठ वर्ग में लघुकथा कथन में स्थानीय विद्यालय के छात्र कौशल रायका व द्वितीय स्थान पर संयुक्त विजेता के रूप में स्थानीय विद्यालय से मनीष शाक्यवाल, प्रतापपुरा खनन क्षेत्र से प्रवीन बानो रहीं। यूपीएस अरलाई से शुभम अहीर तृतीय स्थान पर रहे। कार्यक्रम के संयोजक व्याख्याता पवन शर्मा ने अपने विचार रखे। इसमें राजपुरा के प्रधानाध्यापक भैरूलाल परमार यूपीएस अरलाई प्रदीप शर्मा, वरिष्ठ अध्यापक सत्येन्द्र यादव व स्थानीय विद्यालय के अध्यापकों की गरिमा उपस्थित रहीं। संस्कृत सप्ताह का समापन समारोह मिनर्वा वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय में बुधवार को 12 बजे आयोजित होगा।

News Source:
https://www.bhaskar.com/rajasthan/chechat/news/latest-chechat-news-023506-2576307.html

गुरुवार, 23 अगस्त 2018

लघुकथा समाचार

शहर में आज : दिल की आवाज़ भी सुन / लघुकथा संगोष्ठी
Dainik Bhaskar | Aug 23, 2018 | Indore

लघुकथा संगोष्ठी

समय : शाम 4 बजे से
कहां : लोकमान्य नगर
प्रवेश : सभी के लिए

डिटेल : लघुकथा संगोष्ठी में लघुकथाओं का पाठ होगा। क्षितिज की इस गोष्ठी में डॉ. वसुधा गाडगिल ,सतीश राठी, अंतरा करवडे, विनीता शर्मा, डॉ लीला मोरे, नयना कानिटकर, राममूरत राही, जितेंद्र गुप्ता, बी आर रामटेके, सुरेश बजाज, अखिलेश शर्मा, शारदा गुप्ता, ज्योति जैन, पदमा राजेंद्र, दीपा व्यास, अश्विनी कुमार दुबे, गरिमा दुबे, रश्मि वागले पाठ करेंगे। इसकी अध्यक्षता भोपाल की कथा लेखिका डॉ. मालती बसंत करेंगी।

News Source:
https://www.bhaskar.com/mp/indore/news/city-event-23-august-mp-5943386.html

बुधवार, 15 अगस्त 2018

निर्भर आज़ादी (लघुकथा)

देश के स्वाधीनता दिवस पर एक नेता अपने भाषण के बाद कबूतरों को खुले आसमान में छोड़ रहा था। 

उसने एक सफ़ेद कबूतर उठाया और उसे आकाश में उड़ा दिया, श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट से मंच गूँज उठा, तभी आसमान में विपरीत दिशा से एक काला कबूतर उड़ता हुआ आया, उसके पैर से एक कागज़ लटका हुआ था, जिस पर लिखा था ‘अंग्रेजी शिक्षा’। काले कबूतर को देख तालियाँ और अधिक ज़ोर से बज उठीं।

नेता ने उसे नज़रंदाज़ कर एक और सफ़ेद कबूतर को आसमान में उड़ाया, लेकिन फिर एक और काला कबूतर उड़ता हुआ आया, उसके भी पैर से कागज़ लटका था, उस पर ‘विदेशी खान-पान’ लिखा था।

नेता ने संयत रहकर तीसरा कबूतर भी आकाश की तरफ छोड़ा, सामने से फिर एक और काला कबूतर आया, जिसके पैरों से बंधे कागज़ पर ‘विदेशी वेशभूषा’ लिखा था।

नेता परेशान हो उठा, तभी दो काले कबूतर और उड़ते हुए आ गये, एक के पैरों से लटके कागज पर लिखा था, ‘विदेशी चिकित्सा’ और दूसरे के ‘विदेशी तकनीक’।

वहां खड़े कुछ लोग उस व्यक्ति को ढूँढने चले गये जो काले कबूतर उड़ा रहा था, नेता कुछ सोच रहा था।

इतने में बहुत से काले कबूतर उड़ते हुए दिखाई देने लगे, उनके पैरों से लटके कागजों पर अलग-अलग समस्याएं लिखी थीं - ‘आर्थिक गुलामी’, ‘न्याय में देरी’, ‘बालश्रम’, ‘आतंकवाद’, ‘लिंग-भेद’, ‘महंगाई’, ‘भ्रष्टाचार’, ‘देश का बंटवारा’, ‘अकर्मण्यता’ और ‘धर्म-जाति वाद’।

आसमान उन काले कबूतरों से ढक सा गया।

नेता ने एक बड़े कागज़ पर कुछ लिखकर, दो अपेक्षाकृत दुर्बल सफ़ेद कबूतरों के पैरों से लटकाया और उन्हें उड़ा दिया, दोनों कबूतर एक साथ काले कबूतरों के नीचे उड़ने लगे, सभी दर्शकों ने सिर उठा कर देखा, कागज़ पर लिखा था,
‘कबूतर उड़ाने की आज़ादी’


-  डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी