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सोमवार, 5 मई 2025

आलेख: हिंदी लघुकथा-साहित्य में मधुदीप गुप्ता का योगदान | डॉ. चंद्रेश कुमार छ्तलानी


परिचय

हिंदी लघुकथा के समकालीन परिदृश्य में ऐसे अनेक रचनाकार हुए हैं जिन्होंने इस अल्परूप को गंभीरता, प्रासंगिकता और कलात्मक ऊँचाई प्रदान की है। उनमें मधुदीप गुप्ता का स्थान विशिष्ट है। न केवल उनकी सौंदर्यबोध से परिपूर्ण गद्य-रचनाएँ पठनीय हैं, बल्कि उन्होंने लघुकथा की सैद्धांतिक खोज और उसके साहित्यिक मानदंडों को भी ठोस आकार दिया।

1. लघुकथा की सजग चेतना

मधुदीप गुप्ता की कृतियाँ सामाजिक यथार्थ से गहरा मेल खाती हैं। उनके पात्र हाशिये पर जीते आम मानव, पितृ-स्नेह, पुत्रमोह, परिवारगत द्वंद्व, आर्थिक विषमताएँ—सभी को सौम्य एवं मार्मिक बनावट में जीते-जी लेते हैं। वे किसी विशेष घटना पर सीधे प्रहार नहीं करते, बल्कि साधारण दृश्यों के भीतर पनपी विषमताओं को प्रतीकों और सूक्ष्म संकेतों से उजागर करते हैं।

2. शैलीगत विशेषता

लघुकथाओं में प्रत्येक शब्द को उन्होंने ‘वज्र’ की तरह निखारा है—बिना अतिशयोक्ति के, पूर्णता में। उनकी अधिकतर लघुकथाएँ अंत में अचानक ‘शॉक एलिमेंट’ नहीं देतीं, बल्कि धीरे-धीरे पाठक के मन में एक अंतर्नाद उत्पन्न कर छोड़ती हैं। एक हल्की-सी व्यंग्यपूर्ण मुस्कान, जो चुपचाप सोचने पर भी मजबूर करती है।

3. संपादकीय एवं आलोचनात्मक योगदान

मधुदीप ने लघुकथा-संग्रहों एवं विशेषांकों का संपादन कर नए लेखकों को मंच दिया। उन्होंने विषयगत, विचारगत और शिल्पगत समीक्षा-लेख लिखकर लघुकथा को ‘साहित्यशास्त्र’ के दायरे में स्थापित किया। उनके लेख भारत के प्रमुख साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए, जिनमें विधा की परिभाषा, रूप, और लक्ष्य पर ठोस विमर्श मिलता है। पड़ाव और पड़ताल जैसी महत्वपूर्ण श्रंखला उनके बेहतरीन कार्यों में से एक है।

4. प्रतिनिधि लघुकथाएँ एवं संक्षिप्त परिचय

1. तुम इतना चुप क्यों हो दोस्त

विषय: कॉफी हाउस की पृष्ठभूमि में ‘मौन स्वीकृति’ पर तीखा व्यंग्य।

स्रोत: मूल संग्रह

2. सन्नाटों का प्रकाशपर्व

विषय: भीड़-एकाकीपन तथा मनोवैज्ञानिक दरारों का प्रतीकात्मक चित्रण।

स्रोत: मूल संग्रह

3. पुत्रमोह

विषय: वृद्ध पिता-पुत्र संबंधों में उपजी अन्ध आस्था और कोमल क्षण।

स्रोत: भारत दर्शन (https://bharatdarshan.co.nz/magazine/articles/1229/putra-moh-laghukatha.html)

4. हिस्से का दूध

विषय: पारिवारिक स्वार्थ एवं मानवता के टकराव की मार्मिक कथा।

स्रोत: भारत दर्शन (https://bharatdarshan.co.nz/hindi-sahitya/1688/hissey-ka-doodh-laghukatha)

5. नियति

विषय: जीवन-निराशा, संघर्षों और नियति की स्वीकार्यता का संवेदनशील अन्वेषण।

स्रोत: यूट्यूब वर्णन (https://www.youtube.com/watch?v=io03qfj78L0)

6. नमिता सिंह

विषय: एक नारी कितनी शक्तिशाली हो सकती है और उसे स्वाभिमानी भी रहना चाहिए, वह इस लघुकथा में बहुत अच्छी तरह दर्शाया गया है।

स्रोत: लघुकथा दुनिया (https://laghukathaduniya.blogspot.com/2019/12/blog-post_13.html)

5. निष्कर्ष

मधुदीप गुप्ता ने हिंदी लघुकथा को ‘हल्की-फुल्की’ पारंपरिक कल्पना से ऊपर उठाकर गंभीर साहित्यिक विमर्श का विषय बनाया। उनकी रचनाएँ यह प्रमाणित करती हैं कि लघुकथा कितने गहरे सामाजिक और वैश्विक प्रश्न उठा सकती है, मनुष्य की आंतरिक पीड़ा और बची-खुची आशाओं को उजागर कर सकती है, और शिल्पगत दृष्टि से पूर्ण परिपक्व हो सकती है।

उनके संपादकीय एवं आलोचनात्मक लेखन ने लघुकथा को नई और व्यापक दृष्टि दी, जिससे यह विधा आज पाठकों और शिक्षाविदों दोनों में समकक्ष सम्मानित हुई है।

संदर्भ

1. भारत दर्शन:

https://bharatdarshan.co.nz/hindi-sahitya/1688/hissey-ka-doodh-laghukatha

2. यूट्यूब: 

https://www.youtube.com/watch?v=io03qfj78L0

3. लघुकथा दुनिया: 

https://laghukathaduniya.blogspot.com/2019/12/blog-post_13.html


- डॉ. चंद्रेश कुमार छ्तलानी, उदयपुर - राजस्थान. 9928544749

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