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गुरुवार, 10 अक्तूबर 2024

वैश्विक सरोकार की लघुकथाएं । भाग 4 । स्वास्थ्य पर लघुकथा सर्जन

आदरणीय मित्रों,

वैश्विक सरोकार की लघुकथाओं के भाग 4 में स्वास्थ्य पर ध्यानाकर्षण का प्रयास किया है। स्वास्थ्य का वैश्विक मुद्दा वर्षों से तो क्या बल्कि जीवोत्पत्ति से ही एक गंभीर चुनौती बना हुआ है, जो विकसित और विकासशील दोनों ही प्रकार के देशों को प्रभावित कर रहा है। गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच, गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) का बढ़ना और कोविड-19 जैसी संक्रामक बीमारियों के प्रसार ने दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों की कमज़ोरी को उजागर किया है। कम आय वाले देशों में अपर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर, डॉक्टर्स व नर्सिंग स्टाफ की कमी और धन की कमी, आम आदमी की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में बाधक हैं। उदाहरण के लिए, नाइजीरिया और बांग्लादेश जैसे देश सीमित स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण उच्च मातृ मृत्यु दर का सामना कर रहे हैं, जबकि भारत कुपोषण और बढ़ते मधुमेह के मामलों से जूझ रहा है। इस बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे उच्च आय वाले देश भी स्वास्थ्य सेवाओं में असमानताओं से जूझ रहे हैं, वहाँ वंचित समुदायों के लिए उत्तम चिकित्सा की कमी है। इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए परम्परागत असमानताओं और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के तरीके में बड़े बदलाव की तत्काल आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 3 को प्राप्त करने के लिए, जिसका उद्देश्य उत्तम स्वास्थ्य सुनिश्चित करना है, एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सरकारों को स्वास्थ्य कवरेज को प्राथमिकता देने की ज़रूरत है, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी को, हर तरह की सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाले को, आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हों। ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा के इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश महत्वपूर्ण है। रोग निवारण कार्यक्रमों को अधिक सशक्त करना, स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना और स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों, जैसे गरीबी, शिक्षा और स्वच्छता को संबोधित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सीमित संसाधनों वाले देशों की सहायता करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जैसे वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समर्थन महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, घाना और न्यूजीलैंड जैसे देशों में देखी गई COVID-19 महामारी के दौरान वैक्सीन वितरण की सफलता, स्वास्थ्य संकटों पर काबू पाने में वैश्विक साझेदारी के महत्व को उजागर करती है। सामूहिक प्रयासों के माध्यम से, हम 2030 तक SDG 3 लक्ष्य को प्राप्त करने वाली लचीली स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं।

मानवों के साथ-साथ अन्य जीवों का स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण है। मेडिकल ट्यूरिज्म पर भी कार्य किया जा सकता है।

किन देशों में किस तरह की बीमारियां अधिक हैं, उनका एक सामान्य चित्रण निम्नानुसार है:

1. भारत:

  • तपेदिक (टीबी): भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा टीबी रोगियों वाले देशों में से एक है।
  • मधुमेह: देश में मधुमेह महामारी बढ़ रही है, खास तौर पर टाइप 2 के रोगी।
  • हृदय रोग (सीवीडी): जीवनशैली में बदलाव के कारण उच्च रक्तचाप और हृदय रोग बढ़ रहे हैं।
  • कुपोषण: आर्थिक विकास के बावजूद, कुपोषण एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है, खासकर बच्चों में।
  • जीर्ण श्वसन रोग: अस्थमा और जीर्ण प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग (सीओपीडी) आम हैं, जो प्रदूषण के कारण और भी बढ़ गए हैं।

2. संयुक्त राज्य अमेरिका:

  • हृदय रोग: मृत्यु का प्रमुख कारण, मोटापा, खराब आहार और व्यायाम की कमी से जुड़ा हुआ है।
  • कैंसर: आम रूपों में स्तन, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर शामिल हैं।
  • मधुमेह: मोटापे और गतिहीन जीवनशैली के कारण टाइप 2 मधुमेह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
  • जीर्ण श्वसन रोग: सीओपीडी, वातस्फीति और जीर्ण ब्रोंकाइटिस आम हैं, जो अक्सर धूम्रपान से संबंधित होते हैं।
  • ओपियोइड नशे की लत: यह एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल में बदल गया है।

3. नाइजीरिया:

  • मलेरिया: बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण, विशेष रूप से बच्चों में।
  • एचआईवी/एड्स: नाइजीरिया में दुनिया की सबसे बड़ी एचआईवी महामारी है।
  • डायरिया संबंधी रोग: खराब जल गुणवत्ता और स्वच्छता के कारण बाल मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण।
  • तपेदिक: टीबी की उच्च घटना, जिसे अक्सर एचआईवी/एड्स से जोड़ा जाता है।
  • लासा बुखार: एक स्थानिक वायरल रक्तस्रावी बीमारी।

4. चीन:

  • हृदय रोग: मृत्यु के प्रमुख कारण, धूम्रपान और वायु प्रदूषण से बढ़ जाते हैं।
  • स्ट्रोक: बहुत अधिक प्रचलन, अक्सर उच्च रक्तचाप से जुड़ा होता है।
  • फेफड़ों का कैंसर: अत्यधिक तम्बाकू के उपयोग और खराब वायु गुणवत्ता के कारण।
  • मधुमेह: मोटापे की बढ़ती दरों के कारण बढ़ती चिंता।
  • क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी): वायु प्रदूषण एक महत्वपूर्ण योगदान कारक है।

5. ब्राज़ील:

  • ज़ीका वायरस: हाल के वर्षों में प्रकोप के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है।
  • डेंगू बुखार: मच्छर जनित संक्रमण के कारण बार-बार होने वाला मुद्दा।
  • हृदय रोग: हृदय रोग और स्ट्रोक मृत्यु के प्रमुख कारणों में से हैं।
  • जीर्ण श्वसन रोग: श्वसन संक्रमण और अस्थमा जैसी स्थितियाँ आम हैं।
  • एचआईवी/एड्स: हालाँकि मामले बेहतर नियंत्रण में हैं, लेकिन यह बीमारी कुछ आबादी में चिंता का विषय बनी हुई है।

6. दक्षिण अफ़्रीका:

  • एचआईवी/एड्स: दुनिया भर में सबसे ज़्यादा एचआईवी संक्रमण दरों में से एक।
  • तपेदिक: एचआईवी महामारी से निकटता से जुड़ा हुआ है।
  • मधुमेह: जीवनशैली में बदलाव के कारण बढ़ती घटनाएँ।
  • हृदय रोग: आबादी की उम्र बढ़ने और जीवनशैली के अधिक गतिहीन होने के साथ बढ़ रहे हैं।
  • श्वसन संक्रमण: निमोनिया और अन्य श्वसन रोग बीमारी के प्रमुख कारण हैं।

7. जापान:

  • स्ट्रोक: मृत्यु का एक प्रमुख कारण, विशेष रूप से बुज़ुर्गों में।
  • कैंसर: विशेष रूप से पेट, यकृत और फेफड़ों के कैंसर।
  • अल्जाइमर रोग: जापान की बढ़ती उम्र की आबादी के लिए एक बढ़ती चिंता।
  • मधुमेह: आहार और जीवनशैली में बदलाव के कारण टाइप 2 मधुमेह बढ़ रहा है।
  • उच्च रक्तचाप: हृदय संबंधी समस्याओं और स्ट्रोक का एक प्रमुख कारण।

8. कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC):

  • मलेरिया: बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण, विशेष रूप से बच्चों में।
  • इबोला: इस क्षेत्र में स्थानिक, हाल ही में कई प्रकोपों के साथ।
  • एचआईवी/एड्स: एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती।
  • खसरा: कम टीकाकरण दरों के कारण बार-बार प्रकोप।
  • हैजा: खराब जल और स्वच्छता बुनियादी ढांचे के कारण नियमित प्रकोप।

9. ऑस्ट्रेलिया:

  • त्वचा कैंसर: उच्च यूवी (Ultra Voilet) जोखिम के कारण दुनिया में त्वचा कैंसर की सबसे अधिक दर।
  • हृदय रोग: मृत्यु का एक प्रमुख कारण।
  • मानसिक स्वास्थ्य विकार: अवसाद और चिंता तेजी से प्रचलित हो रहे हैं, विशेष रूप से युवा आबादी में।
  • टाइप 2 मधुमेह: मोटापे और जीवनशैली कारकों से जुड़ी घटनाओं में वृद्धि।
  • श्वसन रोग: अस्थमा विशेष रूप से आम है, आंशिक रूप से पर्यावरणीय कारकों के कारण।

10. रूस:

  • हृदय रोग: धूम्रपान और शराब के सेवन की उच्च दर के कारण मृत्यु का प्रमुख कारण।
  • शराब से संबंधित रोग: लीवर सिरोसिस और शराब से संबंधित अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ व्यापक हैं।
  • तपेदिक: एमडीआर-टीबी (मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस) एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
  • एचआईवी/एड्स: विशेष रूप से कुछ उच्च जोखिम वाली आबादी के बीच तेजी से बढ़ती महामारी।
  • फेफड़ों का कैंसर: धूम्रपान की उच्च दर फेफड़ों के कैंसर के उच्च प्रसार में योगदान करती है।

11. यूनाइटेड किंगडम:

  • हृदय रोग: आहार और जीवनशैली से जुड़ी मृत्यु का एक प्रमुख कारण।
  • मनोभ्रंश (Dementia): बढ़ती उम्र के साथ अल्जाइमर और अन्य प्रकार के मनोभ्रंश बढ़ रहे हैं।
  • कैंसर: स्तन, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर की उच्च दर।
  • मधुमेह: टाइप 2 मधुमेह एक बढ़ती हुई समस्या है, जिसमें मोटापे की दर भी बढ़ रही है।
  • मानसिक स्वास्थ्य विकार: चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की व्यापक रूप से रिपोर्ट की जाती है, खासकर महामारी के बाद।

WHO के विश्व स्वास्थ्य सांख्यिकी 2024 और स्वास्थ्य मीट्रिक और मूल्यांकन संस्थान (IHME) के सन्दर्भ के अनुसार नवीनतम स्वास्थ्य डेटा 2024 में हृदय संबंधी रोग मृत्यु का प्रमुख कारण बने हुए हैं, जो वैश्विक मृत्यु दर के 28% हैं, विशेष रूप से उच्च रक्तचाप और खराब आहार के कारण। हालाँकि, गलत आहार रोका जा सकता है। इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को सशक्त करना, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, महत्वपूर्ण है। RSV और इन्फ्लूएंजा सहित निचले श्वसन संक्रमण भी COVID-19 महामारी के दौरान गिरावट के बाद फिर से उभर रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य प्रणालियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है।

जलवायु परिवर्तन एक और बढ़ती चिंता है, जो चरम मौसम की घटनाओं, खाद्य असुरक्षा और वायु प्रदूषण के माध्यम से स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा रहा है, जो वैश्विक मृत्युओं के 8% के लिए जिम्मेदार है। गरीबी स्वास्थ्य असमानताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, कम आय वाले देशों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध और हिंसा जैसे कारकों के कारण समय से पहले मृत्यु की दर बहुत अधिक है।

आदरणीयजनों,

इन सभी समस्याओं और एक सीमा तक हम समाधानों पर भी अपने विचार रख ही सकते हैं। सिगरेट, ड्रग्स आदि नशे की लत से दूर जाना। डॉक्टर्स का कम फीस लेकर सही इलाज कर देना, बहुत और मुद्दे हैं, जो आपके दिमाग में दस्तक देंगे। 

हालांकि इस विषय पर बहुत लघुकथाएं आपने पढ़ी होंगी, रचनाकर्म भी किया होगा। मैं यहां एक ऐसी रचना बता रहा हूं, जो मुझे बहुत पसंद है। एक मरीज़ से कैसे बर्ताव किया जाए।

सकारात्मकता से ओतप्रोत आदरणीया ( Chitra Mudgal ) चित्रा मुद्गल दी की यह रचना मेरे लिए इसलिए भी बहुत विशिष्ट है क्योंकि, चिकित्सा जैसे गंभीर मुद्दे पर ऐसी कलम चलाना सभी के बस की तो बात नहीं। 

आइए पढ़ते हैं,

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रिश्ता / चित्रा मुद्गल

लगभग बाईस दिनों तक ‘कॉमा’ में रहने के बाद जेब उसे होश आया था तो जिस जीवनदायिनी को उसने अपने करीब, बहुत निकट पाया था, वे थीं मारथा मम्मी। अस्पताल के अन्य मरीजों के लिए सिस्टर मारथा। वह पूना जा रहा था......खंडाला घाट की चढ़ाई पर अचानक वह दुर्घटाग्रस्त हो गया। जख्मी अवस्था में नौ घंटे तक पड़े रहने के बाद एक यात्री ने अपनी गाड़ी से उसे सुसान अस्पताल में दाखिल करवाया.....पूरे चार महीने बाद वह अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। चलते समय वह मारथा मम्मी से लिपटकर बच्चे की तरह रोया। उन्होंने उसके माथे पर ममत्व के सैकड़ों चुंबन टाँक दिए। ‘गॉड ब्लेस यू माय चाइल्ड....’ डॉ0 कोठारी से उसने कहा भी था, ‘‘डॉ0 साहब! आज अगर इस अस्पताल से मैं जिंदा लौट रहा हूँ तो आपकी दवाइयों और इंजेक्शनों के बल पर नहीं, मारथा मम्मी के प्यार के बल पर।’’

उस रोज वे उसे गेट तक छोड़ने आई थीं और जब तक उसकी गाड़ी अस्पताल के गेट से बाहर नहीं हो गई, वे अपलक खड़ी विदाई में हाथ हिलाती रही थीं....

वही मारथा मम्मी....आज जब अरसे बाद वह उनसे वार्ड में मिलने पहुँचा तो उन्हें देखकर खुशी से पगला उठा। वे एक मरीज के पलंग से सटी उसकी कलाई थामे धड़कनों का अंदाजा लगा रही थी। उन्होंने मरीज की कलाई हौले से बिस्तर पर टिकाई कि उसने उन्हें अचानक पीछे से बाजुओं में उठा लिया।

‘‘अरे,अरे, क्या करता है तुम....इडियट....छोड़ो मेरे को! ये अस्पताल है ना।’’

वह सकपका उठा। उन्हें फर्श पर खड़ा करते हुए उसने अचरज से मारथा मम्मी को देखा। ‘‘मैं आपका बेटा अशोक, मम्मी? पहचाना नहीं आपने मुझे....!’’

‘‘पेचाना, पेचाना....पन अभी मेरे को टाइम नई.....डियूटी पर ऐसा नई आने का मिलने कू। अब्बी जाओ तुम...देखता नई पेशेन्ट तकलीफ में हय....’’उन्होंने उसे तिक्त स्वर में झिड़का।

वह उनके अनपेक्षित व्यवहार से स्तब्ध हो उठा, तिलमिलाया–खिसियाया सा फौरन मुड़ने लगा कि तभी उसी मरीज की प्राणलेवा कराह सुनकर क्षणांश को ठिठक गया। मरीज के पपडि़याये होंठ पीड़ा से बिलबिलाते बुनबुदा रहे थे, ‘‘माँ....ओ....माँ....हा....आ....’’

‘‘माय चाइल्ड, आॅय अंम विद यू। हैव पेशन्स...हैव पेशन्स...’’ उसकी मारथा मम्मी अत्यन्त स्नेहिल स्वर में उस मरीज का सीना सहला रही थी....’’

वह मुड़ा और तेजी से वार्ड से बाहर हो गया।

-चित्रा मुद्गल

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प्रगति त्रिपाठी जी की एक लघुकथा भी प्रस्तुत है, जो आज के हालात बयां कर रही है।

इंस्टेंट / प्रगति त्रिपाठी

होश आते ही, अपने आपको अस्पताल की बेड पर लेटे हुए, हाथ में सलाइन की बोतल लगी हुई, पास में पापा और मम्मी को चिंतित देखकर मनोज घबड़ा गया।

"मुझे क्या हो गया था? मैं तो ठीक ही था। रोज की तरह जिम कर रहा था।" आशंकित मनु सवाल पर सवाल करता जा रहा था।

डाॅक्टर साहब ने कहा "घबड़ाने की कोई बात नहीं, अब आप खतरे से बाहर है। "

"लेकिन मुझे क्या हुआ था डाॅक्टर साहब? मैं तो बिलकुल फिट हूं। मुझे कोई बीमारी नहीं है।"

"आपको माइनर हार्ट अटैक आया था।"

"क्या??" इतना सुनते ही मनोज भौंचक्का रह गया।

"यह बाॅडी बनाने के लिए जो सप्लीमेंट आप ले रहे थे ये उसी का परिणाम है। सप्लीमेंट्स और प्रोटीन पाउडर का ज्यादा सेवन करने से ब्लड फ्लो प्रभावित होता है। जिसकी वजह से हार्ट स्ट्रोक और अटैक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है।"

"लेकिन वो तो जिम ट्रेनर के कहने पर ही ले रहा था। उन्होंने कहा था ये दवाएं आजमाए हुए हैं, इसका कोई नुकसान नहीं है।"

"आजकल सबको इंस्टेंट सफलता चाहिए। आपको भी, आपके जिम ट्रेनर को भी।" चिंतित स्वर में डाॅक्टर ने कहा।

- प्रगति त्रिपाठी, बैंगलुरू

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सच है कि ,लघुकथा में जागरूकता की शक्ति है, वो बात और है कि, बहुत सारे कारणों से, फिलवक्त हम उसका प्रयोग कर तो रहे हैं, लेकिन पूरी तरह नहीं।

सादर

- चंद्रेश कुमार छ्तलानी

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