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सोमवार, 27 सितंबर 2021

लघुकथा समाचार: लघुकथा समकालीन समय की संवेदना के साथ करती है - नरहरी पटेल

 


लघुकथा में संवेदना , रिश्ते , साहित्य को समझना आवश्यक है।  लघुकथाकार लघुकथा के माध्यम से समकालीन समय की संवेदना के साथ बातचीत करती है। " उपरोक्त विचार नगर की साहित्यिक संस्था 'क्षितिज' द्वारा आयोजित तृतीय अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन में श्री नरहरि पटेल के द्वारा व्यक्त किए गए।श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में आयोजित कार्यक्रम में साहित्य अकादमी के निदेशक श्री विकास दवे ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि , " साहित्य जगत में और अलक्ष्य कलमों को रेखांकित किया जाना आवश्यक है। जिस तरह  संयुक्त परिवार में दादा- दादी एवं अन्य वरिष्ठ सदस्यों के साथ नाती- पोते भी रहते हैं लेकिन नाती पोतियों की धमाल सबसे ज्यादा आकर्षित करती है , उसी तरह इन दिनों साहित्य जगत लघुकथा की लोकप्रियता इस धमाल के स्तर की ही है। साहित्य में लघुकथा के क्षेत्र में बहुत काम हो रहा है ,इसमें  साक्षात्कार विशेषां क जैसा उपक्रम निकलना चाहिए ।अनुवाद विधा से लघुकथा को समृद्ध किया जा सकता है। महर्षि अरविंद , महर्षि दयानंद सरस्वती के अवदान को अनुवाद में रेखांकित किया जाना आवश्यक है। " 

आयोजन में डॉ. कमल चोपड़ा दिल्ली , डॉ रामकुमार घोटड, चूरू , राजस्थान को क्षितिज लघुकथा शिखर सम्मान , डॉ पुरुषोत्तम दुबे को लघुकथा समालोचना सम्मान , डॉ योगेंद्र नाथ शुक्ला , ज्योति जैन को लघुकथा समग्र सम्मान , दिव्या राकेश शर्मा गुरुग्राम , अंजू निगम देहरादून को लघुकथा नवलेखन सम्मान प्रदान किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजन के साथ हुआ।  सरस्वती वंदना विनीता द्वारा शर्मा द्वारा प्रस्तुत की गई ।  संस्था अध्यक्ष श्री सतीश राठी के स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । सम्मान समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरहरी पटेल ने अध्यक्षीय उद्बोधन में , साहित्य मनीषी श्यामसुंदर दास , सुमनजी , सतीश दुबेजी का पुण्यस्मरण भी किया ।


इस प्रसंग पर साहित्यिक अवदान हेतु श्री नरहरि पटेल को क्षितिज मालव गौरव सम्मान , श्री शरद पगारे एवं श्री सत्यनारायण व्यास को क्षितिज समग्र जीवन साहित्यिक अवदान सम्मान , डॉ विकास दवे को साहित्य गौरव सम्मान , डॉ अर्पण जैन को भाषा सारथी सम्मान प्रदान किए गए। श्री राज नारायण बोहरे , नंदकिशोर बर्वे , चरण सिंह अमी ,अंतरा करवड़े डॉ वसुधा गाडगिल को भी विशिष्ट सम्मानों से सम्मानित किया गया । इसी श्रृंखला में क्षितिज की अनुवाद उपक्रम संस्था ,भाषा सखी द्वारा श्री सतीश राठी , श्री अश्विनी कुमार दुबे , श्री दीपक गिरकर , श्री राम मूरत राही को भी सम्मान प्रदान किए गए।

  इसके पश्चात क्षितिज संस्था के द्वारा प्रकाशित संवादात्मक लघुकथा अंक एवं विभिन्न विधाओं में लिखी गई कुछ पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ। सत्र का यशस्वी संचालन हिंदी सेवी ,अंतरा करवड़े ने किया। सत्र का कृतज्ञता ज्ञापन श्री सतीश राठी ने किया।

सम्मान सत्र के पश्चात लघुकथा पर केंद्रित तीन सत्रों का आयोजन किया गया ,जिसमें द्वितीय सत्र " लघुकथाओं के परिप्रेक्ष्य में भाषा साहित्य और आधुनिक तकनीक की भूमिका " पर परिचर्चा का आयोजन किया गया । इसमें वरिष्ठ साहित्यकार श्री राज नारायण बोहरे अध्यक्ष थे। कांता राय ( भोपाल ),अंतरा करवड़े( इंदौर) चर्चाकार थी। मॉडरेटर डॉक्टर वसुधा गाडगिल थी। इस चर्चा में लघुकथा के माध्यम से देवनागरी लिपि और हिंदी भाषा  को अंतरराष्ट्रीय  फलक तक पहुंचाने पर विचार व्यक्त किए गए।

तृतीय सत्र " आपदा कालीन साहित्य सृजन का दूरगामी प्रभाव " विषय पर था जिसमें अध्यक्ष चूरु राजस्थान से पधारे डॉ. राम कुमार घोटड थे , मूर्धन्य साहित्यकार श्री संतोष सुपेकर उज्जैन नंदकिशोर बर्वे श्रीमती सीमा व्यास इंदौर से थे। इस सत्र में आपदाकालीन साहित्य सर्जना और आगामी पीढ़ी पर प्रभाव को लेकर विचाराभिव्यक्ति की गई। सत्र का संचालन अदिति सिंह भदोरिया ने किया।

चौथे सत्र में विभिन्न विषयों पर केंद्रित चयनित लघुकथाओं का वाचन किया गया । इस सत्र का संचालन विनीता शर्मा ने किया । समूचे आयोजन का आभार  सचिव श्री दीपक गिरकर ने किया। सम्मेलन में संतोष सुपेकर , राममूरत राही , उमेश कुमार नीमा ,दिलीप जैन , ज्योति जैन का उल्लेखनीय सहयोग रहा। इस तरह अत्यंत गरिमामय आयोजन में लघुकथा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक तक ले जाने , पोषित- पल्लवित करने के लिए मूर्धन्य लघुकथाकारो द्वारा विचार- मंथन , साधक- बाधक चर्चा कर लघुकथा विधा को समृद्ध करने का सार्थक आयोजन संपन्न हुआ ।

बुधवार, 15 सितंबर 2021

अविरामवाणी । समकालीन लघुकथा स्वर्ण जयंती पुस्तक चर्चा

श्री उमेश महदोषी की फेसबुक वॉल से

अविरामवाणी पर कार्यक्रम 'समकालीन लघुकथा स्वर्ण जयंती पुस्तक चर्चा' में- सुश्री प्रेरणा गुप्ता जी के लघुकथा संग्रह 'सूरज डूबने से पहले' पर ज्योत्स्ना कपिल द्वारा चर्चा।

      'अविरामवाणी' के यूट्यूब चैनल का सामान्य लिंक यह है- https://m.youtube.com/channel/UCS6jNm7DyGvN5u638mwfv1Q)

     



मंगलवार, 14 सितंबर 2021

कमज़ोर लघुकथाओं की ई-पुस्तक । विश्व भाषा अकादमी (रजि.)

 सम्माननीय मित्रों,

सादर नमस्कार।


विश्व भाषा अकादमी (रजि.) की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष द्वारा लघुकथाओं पर शोध कार्य किया जा रहा है। इनमें से एक शोध 'कमज़ोर लघुकथाओं' पर पिछले वर्ष प्रारम्भ किया गया था। उस समय 40 लघुकथाकारों द्वारा अपनी कमज़ोर लघुकथा और उस पर लेखकीय वक्तव्य प्राप्त हुआ और उन पर एक शोध पत्र भी लिख लिया गया है।


अब विश्व भाषा अकादमी (रजि.) द्वारा इस कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है।  इसे एक ई-पुस्तक का रूप देने का प्रयास है।


पूर्व के अतिरिक्त अन्य लघुकथाकार भी इस कार्य में जुड़ना चाहें तो स्वागत है। यह प्रयास कुछ इस प्रकार हैः


1. 'मेरी कमज़ोर लघुकथा' नामक यह योजना वरिष्ठ तथा नवोदित दोनों के लिए ही है।


2. इस कार्य में लघुकथा लेखकों से उनकी स्वयं की एक ऐसी रचना देने का निवेदन है जो उनके अनुसार लघुकथा के किसी न किसी (एक अथवा अधिक) पक्ष/पक्षों में कमज़ोर है और जिसे उसी (उन्हीं) कमज़ोरी (कमज़ोरियों) की वजह से प्रकाशित होने नहीं भेजा। उस रचना विशेष को किस वर्ष में लिखने का प्रयास किया गया, यह भी साथ में देवें।


3. रचना के साथ लेखक से एक वक्तव्य भी लिख कर देने का निवेदन है, जिसमें वे अपनी उस लघुकथा की कमज़ोरी/कमजोरियों को इंगित करें। इस हेतु शब्द सीमा आदि लेखक स्वयं ही निर्धारित करें।


4. वरिष्ठ लेखकों से इसमें जुड़ने का विशेष आग्रह है क्योंकि मेरे संज्ञान में अब तक इस विषय पर कार्य नहीं हुआ है, अतः वरिष्ठ लेखकों के अनुभव का लाभ प्राप्त हो तो अति उत्तम।



कार्य का उद्देश्यः

इस कार्य का मुख्य उद्देश्य यह ज्ञात करना है कि लघुकथा लेखन के समय किस तरह की ऐसी कमियां हैं, जो रह जाएं तो रचना को प्रकाशन हेतु नहीं भेजना चाहिये।


समय सीमा:


आपकी रचनाएं और वक्तव्य आपके संक्षिप्त परिचय (साहित्यिक परिचय, संपर्क विवरण (डाक का पता, चलभाष (मोबाइल) नंबर, ईमेल आईडी) व चित्र) के साथ 21 सितम्बर 2021 तक  vba.rajls@gmail.com, vbaindia01@gmail.com  पर ईमेल करने का कष्ट करें। ईमेल में विषय "मेरी कमज़ोर लघुकथा" ही रखें। ईमेल निम्न प्रारूप में भेजिए:


नाम (हिंदी और अंग्रेजी में):


संक्षिप्त साहित्यिक परिचय:


संपर्क विवरण


डाक का पता:


चलभाष (मोबाइल) नंबर:


ईमेल आईडी:


रचना का वर्ष: 


रचना (शीर्षक सहित):


वक्तव्य (रचना की कमज़ोरियाँ):


 साभार,

डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी

कमज़ोर लघुकथाओं पर एक शोध कार्य पूर्ण


वरिष्ठ व नवोदित लघुकथाकारों के महती सहयोग से 40 कमज़ोर लघुकथाओं पर एक शोध पत्र लिख लिया है। इसे प्रकाशन को अब भेजूंगा। इस हेतु सादर आभार सर्वआदरणीय


अंजली खेर जी, अंजू खरबंदा जी, अनिल नानकराम मकारिया जी भाई, अर्चना तिवारी जी, अर्विना जी, आशीष दलाल जी, उदय श्री ताम्हणे जी, ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' जी, कनक हरलालका जी, कमल कपूर दी, कविता वर्मा जी, चेतना भाटी जी, जगदीश राय कुलरियाँ जी, डॉ. अंजु लता सिंह जी, डॉ. इंदु गुप्ता जी, डॉ. कुमारसम्भव जोशी जी, डॉ. शैल चन्द्रा जी, डॉ. संध्या तिवारी जी, डॉ. सरला सिंह स्निग्धा जी, पम्मी सिंह ‘तृप्ति’जी, पूनम झा जी, पूनम सिंह जी, प्रतिभा श्रीवास्तव अंश जी, माधव नागदा जी सर, मिन्नी मिश्रा जी, मीरा जैन जी, मृणाल आशुतोष जी, योगराज प्रभाकर जी सर, राहिला आसिफ़ खान जी, वन्दना पुणतांबेकर जी, विरेंदर 'वीर' मेहता भाई जी, शशि बंसल गोयल जी, शील कौशिक जी, शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी, सत्या शर्मा ' कीर्ति ' जी, सारिका भूषण जी, सीमा भाटिया जी, सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा जी।


इस कार्य को अब विश्व भाषा अकादमी द्वारा आगे बढा कर एक ई-पुस्तक प्रकाशन का प्रयास किया जा रहा है। उपरोक्त रचनाकार तो हैं ही, उनके अतरिक्त भी कोई अन्य लघुकथाकार चाहें तो सहर्ष जुड़ सकते हैं, आप सभी का स्वागत है। पूर्ण जानकारी निम्न लिंक पर उपलब्ध है:


 https://www.facebook.com/102898151368935/posts/379098470415567/


- डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी