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सोमवार, 29 अप्रैल 2019

लघुकथा समाचार: लघुकथा एक विधा है, शैली नहीं : राजेंद्र शर्मा

Bhaskar News Network Apr 28, 2019

सिटी रिपोर्टर | मानस भवन में शनिवार को लघुकथा शोध केंद्र भोपाल की मासिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर साहित्यकार राजेंद्र शर्मा ने कहा कि लघुकथा एक विधा है, शैली नहीं। इसकी भेदन क्षमता ऐसी है जो दिल के आर-पार हो जाती है। इस दौरान अशोक जैन द्वारा संपादित दृष्टि साहित्यिक लघुकथा पत्रिका पर प्रकाश डालते हुए कांता रॉय ने कहा कि यह किताब के रूप में एक पत्रिका है, जो समकालीन लघुकथाकारों का स्वाभावात्मक आलेख प्रस्तुत करती है। मालती बसंत की रचनाएं 45 वर्ष पूर्व इसमें प्रकाशित हो चुकी हैं। तब यह समग्र अंक के रूप में जानी जाती थीं।

Source:
https://www.bhaskar.com/mp/bhopal/news/mp-news-short-story-is-a-genre-not-style-rajendra-sharma-062058-4440222.html

रविवार, 28 अप्रैल 2019

लघुकथा समाचार: आत्म मु्ग्ध होना छोड़कर आलोचकों का आश्रय लें साहित्यकार...

Patrika Hindi News: 27 April 2019
ताज नगरी में हुआ विश्व मैत्री मंच व साहित्य साधिका समिति का सातवां राष्ट्रीय हिंदी साहित्य सम्मेलन


आगरा। विश्व मैत्री मंच, भारत एवं साहित्य साधिका समिति, आगरा के संयुक्त बैनर तले शनिवार को मदिया कटरा स्थित होटल वैभव पैलेस में 7 वां राष्ट्रीय हिंदी साहित्य सम्मेलन आयोजित किया गया। देश भर से 75 महिला-पुरुष कवि- साहित्यकारों ने सहभागिता की। इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ ओंकार नाथ द्विवेदी ने कहा कि साहित्यिक विधाएं बदलते दौर में महत्तम से लघुत्तम हो रही हैं। अब साहित्यकार बिंदु में ही सिंधु के दर्शन करना चाहता है। बिना साहित्यिक प्रतिभा के लोग ठेल ठाल के आगे बढ़ रहे हैं। गंभीर साहित्य साधकों को स्थान नहीं मिल पा रहा। ऐसे में जरूरी है कि साहित्यकार आत्म मुग्ध होना छोड़कर आलोचकों का आश्रय लें, ताकि सृजन का श्रेष्ठ तत्व सामने आ सके।

इस तरह बनते बेहतर साहित्यकार

अध्यक्षीय उद्बोधन में रविंद्र प्रभात ने कहा कि बोलना, सुनना, स्पर्श करना, महसूस करना, रोना, हंसना और प्यार करना जीवन के सात आश्चर्य हैं, इन सातों को आत्मसात कर के ही बेहतर साहित्यकार बनता है। स्वतंत्रता सेनानी रानी सरोज गौरिहार ने साहित्य के उत्सवों के यूं ही गतिमान बने रहने का आशीर्वाद दिया। अनुपमा यादव ने एकल नाट्य मीराबाई का मंचन कर दिल जीता। विश्व मैत्री मंच की संस्थापक संतोष श्रीवास्तव ने स्वागत उद्बोधन दिया। साहित्य साधिका समिति की संस्थापक डॉ सुषमा सिंह ने शारदे वंदना की व दोनों आयोजक संस्थाओं का परिचय दिया। साहित्य साधिका समिति की अध्यक्ष माला गुप्ता ने आभार व्यक्त किया। कवि रमेश पंडित ने उद्घाटन सत्र का संचालन किया। विशिष्ट अतिथि डॉ राजेश श्रीवास्तव ने रामायण के विभिन्न पहलुओं का शोध परक विवेचन किया। इन्हें मिला सम्मानइलाहाबाद की सरस दरबारी को राधा अवधेश स्मृति पांडुलिपि सम्मान, लखनऊ की डॉ मिथिलेश दीक्षित को हेमंत स्मृति विशिष्ट हिंदी सेवी सम्मान व आगरा की पूजा आहूजा कालरा को द्वारिका प्रसाद सक्सेना स्मृति साहित्य गरिमा सम्मान प्रदान किया गया। मंचस्थ महानुभावों को मनीषी सम्मान व शेष सभी साहित्यकारों को सारस्वत सम्मान प्रदान किया गया।

इनका हुआ लोकार्पण

समारोह में कई कृतियों का लोकार्पण किया गया। इनमें अलका अग्रवाल की बोलते चित्र, क्षमा सिसोदिया की कथा सीपिका, निवेदिता श्रीवास्तव की कथांजली, महिमा श्रीवास्तव वर्मा की आदम बोनसाई, डॉ मिथिलेश दीक्षित की हिंदी लघु कथा पुस्तक और डॉ प्रभा गुप्ता की सन्नाटे को चीरती आवाज शामिल है।

विमर्श में छाई लघु कथा


सम्मेलन के द्वितीय सत्र में लघु कथा की संवेदना और शिल्प विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता करते हुए डॉ मिथिलेश दीक्षित ने कहा कि लघुकथा के सृजन में अब कोरी कल्पना का अंधेरा छंट चुका है। लघु कथाकार समय गत परिवेश को अपने भीतर जीता है और महसूस करता है। सरस दरबारी ने कहा कि लघु कथा में उसकी भाषा, शब्द संयोजन, प्रतीक और बिंब का विशेष महत्व होता है। सविता चड्ढा ने कहा कि लघुकथा प्राचीन विधा है जो विश्व का कल्याण करने में सक्षम रही है। विषय प्रवर्तन करते हुए निवेदिता श्रीवास्तव लखनऊ ने कहा कि लघुकथा क्षण में छिपे जीवन के विराट प्रभाव की अभिव्यक्ति है. यह जीवन की विसंगतियों से उपजे तीखे तेवर वाली सुई की नोक जैसी विधा है। जया केतकी, नितिन सेठी व यशोधरा यादव यशो ने भी विचार रखे. अलका अग्रवाल ने इस सत्र का संचालन किया। तृतीय सत्र में महिमा वर्मा की अध्यक्षता में रचनाकारों ने लघु कथाओं व ग़ज़ल कार अशोक रावत की अध्यक्षता में कविताओं की प्रस्तुति कर सबको भाव विभोर कर दिया. तृतीय सत्र का संचालन रमा वर्मा व नूतन अग्रवाल ज्योति ने किया।

प्रदर्शनी ने मन मोहा

सम्मेलन में डॉ. रेखा कक्कड़ व पूनम भार्गव जाकिर द्वारा बनाए गए आकर्षक चित्रों की प्रदर्शनी ने सबका मन मोह लिया। प्रदर्शनी का उद्घाटन रानी सरोज गौरिहार ने किया। सम्मेलन में झांसी से निहाल चंद शिवहरे, साकेत सुमन चतुर्वेदी, दिल्ली से उर्मिला माधव, ग्वालियर से सीमा जैन, नासिक से डॉक्टर आराधना भास्कर, गाजियाबाद से सीमा सिंह, अलीगढ़ से अनीता पोरवाल, लखनऊ से सत्या सिंह, दिल्ली से डॉ श्याम सिंह शशि, आगरा आकाशवाणी की निदेशक डॉक्टर राज्यश्री बनर्जी, माया अशोक, आभा चतुर्वेदी, सर्वज्ञ शेखर गुप्ता, विद्या तिवारी, प्रेमलता मिश्रा, रमा रश्मि, अंकिता कुलश्रेष्ठ, रश्मि शर्मा, रीता शर्मा, पूनम तिवारी, कमला सैनी और कुमार ललित भी शामिल रहे।


Source:
https://www.patrika.com/agra-news/7th-national-hindi-sahitya-sammelan-in-agra-4488923/

सोमवार, 22 अप्रैल 2019

लघुकथा समाचार: लघुकथा संग्रह 'शब्द इतिहास लिखेंगे' का लोकार्पण

नवभारत टाइम्स | Apr 22, 2019


मुंबई: साहित्यिक संस्था 'खारघर चौपाल' और 'साहित्य सफर' के तत्वावधान में आरके पब्लिकेशंस से प्रकाशित व सेवा सदन प्रसाद एवं डिंपल गौड़ 'अनन्या' के साझा लघुकथा संग्रह 'शब्द इतिहास लिखेंगे' का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम डॉ. सतीश शुक्ला की अध्यक्षता तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. पुरुषोत्तम दुबे (इंदौर) व लेखक रमेश यादव के मुख्य आतिथ्य में आयोजित हुआ। संचालन व्यंग्यकार डॉ. अनंत श्रीमाली ने किया। इस मौके पर मनोहर अभय, अरविंद राही, राम कुमार, गंगा शरण, नगरसेविका हर्षदा उपाध्याय, राजेश श्रीवास्तव, अलका पांडे, अमर उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।

Source:
https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/mumbai/other-news/todays-city-brief/articleshow/68980909.cms

लघुकथा समाचार: अखिल भारतीय माँ शकुन्तला कपूर स्मृति सम्मान समारोह 2018-19

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कमल कपूर जी की फेसबुक वॉल से

21 अप्रेल रविवार को फ़रीदाबाद के इन्विटेशन सभागार में नारी अभिव्यक्ति मंच पहचान एवं नई दिशाएँ हेल्पलाइन के तत्वावधान में अखिल भारतीय माँ शकुन्तला कपूर स्मृति सम्मान समारोह संपन्न हुआ। हमारा परम सौभाग्य कि साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित यशसिद्धा मेरी गुरु दीदी माँ सुश्री चित्रा मुद्गल जी समारोह की मुख्य अतिथि रहीं, लघुकथा पुरोधा डॉ सतीशराज पुष्करणा जी विशिष्ट अतिथि थे और अध्यक्षता पद परम विदुषी डॉ सुदर्शन रत्नाकर जी ने संभाला। सुमधुर मंच संचालन संस्था की महासचिव डॉ इंदुशेखर गुप्ता ने किया तथा सरस्वती वंदना कोकिल कंठी बेबी संस्कृति गौड़ ने की। संयोजक-आयोजक कमल कपूर एवं डॉ अंजु दुआ जैमिनी थे। समारोह में लगभग ४० लधुकधाकारों ने लघुकथा-पाठ किया । २०१८-१९ में आयोजित अखिल भारतीय माँ शकुन्तला कपूर स्मृति लघुकथा प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित मंच द्वारा पुरस्कृत किया गया। साथ ही पहचान की वरिष्ठ सदस्या स्व. शोभा कुक्कल स्मृति सम्मान भी प्रदान किये गये। उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिये ये सम्मान बिजनौर की साहित्यकार डॉ नीरज सुधांशु तथा गुरुग्राम की सुधी साहित्यकार डॉ सविता स्याल को प्रदान किये गये। लघुकथा पुरस्कार क्रमश: भोपाल की डॉ विनीता राहुरिकर (प्रथम), गुरुग्राम की अनघा जोगलेकर (द्वितीय),गुरुग्राम की ही सविता इन्द्र गुप्ता (तृतीय) प्रदान किए गए। इनके अतिरिक्त असि श्रेष्ठ एवं श्रेष्ठ लघुकथा पुरस्कार क्रम से फ़रीदाबाद की डॉ अंजु दुआ, खटीमा के डॉ जगदीश पंत कुमुद इंदौर के श्री राम मूर्त राही, फ़रीदाबाद की आशमा क़ौल तथा डॉ इंदुशेखर गुप्ता, गुरुग्राम की लाड़ों कटारिया एवं नागपुर से पधारे श्री जय प्रकाश सूर्यवंशी जी को दिये गये। 

हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक सरल सौम्य डॉ मुक्ता मदान जी के सम्मानित आगमन ने समारोह की गरिमा को बढ़ा दिया ग़ाज़ियाबाद दिल्ली और गुरुग्राम से पधारे अपने सहृदय साहित्यकार बंधुओं के प्रति साभार कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ। समारोह में जहाँ सतीश राज पुष्करणा जी के लघुकथा विषयक सारगर्भित वक्तव्य ने समा बाँधा वहीं सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र था माननीय चित्रा दीदी सौम्य सरल सरस मधुर उदबोधन जिसकी प्रतीक्षा में सुधी श्रोता सधैर्य 4 घंटे बैठे रहे। समारोह डॉ सुदर्शन रत्नाकर जी के सारगर्भित संक्षिप्त अध्यक्षीय वक्त्व्य के साथ समापित हुआ। ध्यात्व्य हो कि डॉ॰ सतीश राज पुष्करणा जी तथा डॉ॰ सुदर्शन रत्नाकर जी प्रतियोगिता के निर्णायक भी थे।

रविवार, 31 मार्च 2019

लघुकथा समाचार: लेखिका डॉ. चंद्रा सायता के लघुकथा संग्रह \'माटी कहे कुम्हार से\' पर चर्चा संगोष्ठी

Indore News - दैनिक भास्कर।

लेखिका डॉ. चंद्रा सायता के लघुकथा संग्रह 'माटी कहे कुम्हार से' पर चर्चा संगोष्ठी देवी अहिल्या केंद्रीय लाइब्रेरी में 31 मार्च को दोपहर 3.30 बजे से होगी। क्षितिज की इस संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकार सूर्यकांत नागर करेंगे। नंदकिशोर बर्वे, सतीश राठी, अंतरा करवड़े इस पुस्तक पर चर्चा करेंगे। संचालन गरिमा दुबे करेंगी। इस अवसर पर क्षितिज में नए सदस्यों के रूप में जुड़े कुछ सदस्य भी अपनी रचना पाठ करेंगे। कार्यक्रम में समस्त साहित्य प्रेमी सादर साग्रह आमंत्रित हैं।


source:
https://www.bhaskar.com/mp/indore/news/mp-news-today-seminar-on-quotmoti-khey-kumhar-sequot-025135-4233847.html

रविवार, 24 मार्च 2019

लघुकथा समाचार: साझा लघुकथा संग्रह 'कथांजलि' का विमोचन

नवभारत टाइम्स | Updated:Mar 23, 2019, 06:30AM IST

एनबीटी, लखनऊ : काव्या साहित्यिक संस्था की ओर से साझा काव्य संग्रह 'काव्या' और साझा लघु कथा संग्रह 'कथांजलि' का शुक्रवार को विमोचन हुआ। निशातगंज स्थित कैफी आजमी अकादमी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान काव्य गोष्ठी भी हुई। निवेदिता श्रीवास्तव और विजय राज श्रीवास्तव के संयोजन में हुए आयोजन की अध्यक्षता मिथिलेश दीक्षित ने की। इस मौके पर कोलकाता से आई निशा कोठारी, अलका प्रमोद, मंजुल मंजर, दीप्ति भारती, मीतू मिश्रा, कविता गुप्ता, भूपेन्द्र दीक्षित, मुकेश कुमार मिश्र ने अपनी रचनाएं सुनाईं। इस मौके पर मुख्य अतिथि अमिता दुबे और विशिष्ट अतिथि ओम नीरव, चंद्रशेखर वर्मा, शिव मंगल सिंह, विजयराज श्रीवास्तव मौजूद रहे।



Source:
https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/other-news/released-kaavi-and-kathanjali/articleshow/68528478.cms

मंगलवार, 19 मार्च 2019

लघुकथा समाचार: प्रज्ञा साहित्यिक मंच ने लघु कथा की विधा पर किए विचार साझा

Rohtak News - Bhaskar News Network Mar 19, 2019

रोहतक। शहीद दीपक पार्क में प्रज्ञा साहित्यिक मंच की ओर से सोमवार को लेखक से मिलिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली से लेखक मधुदीप गुप्ता तथा अध्यक्ष पंचकूला से लाजपत राय गर्ग रहे। मंच का संचालन आशा खत्री ने किया। कार्यक्रम में लघुकथा विधा पर गहराई से विचार विमर्श किया गया। डॉ. मधुकांत और अनूप बंसल ने प्रज्ञा साहित्यिक मंच की तरफ से मधुदीप गुप्ता एवं लाजपत राय गर्ग को शाल व स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर श्यामलाल कौशल, डॉ. चंद्रदत्त शर्मा, डॉ. रमाकांता शर्मा, सुनीता बहल,अर्चना कोचर, विजय विभोर मौजूद रहे।


source:
https://www.bhaskar.com/haryana/rohtak/news/haryana-news-pragya39s-literary-platform-shared-views-on-the-story-of-short-stories-033608-4159137.html

शनिवार, 16 मार्च 2019

लघुकथा समाचार: शहर के लेखक की लघुकथाओं पर बनाई टेली फिल्मों का प्रदर्शन 18 मार्च को

Bhaskar News Network Mar 16, 2019

इंदौर। शहर के साहित्यकार सदाशिव कौतुक की दो लघुकथा परिंदे और चल जमूरे पर बनाई गई दो टेलीफिल्मों का प्रदर्शनी 18 मार्च को जाल सभागृह में शाम 6 बजे किया जाएगा। ये फिल्में इंदौर की लोकेशंस पर फिल्माई गई हैं और इसमें इंदौर-उज्जैन के कलाकारों ने काम किया है। इसमें गृहमंत्री बाला बच्चन और उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी मुख्य अतिथि होंगे। साहित्यकार राकेश शर्मा उद्बोधन देंगे।


source:
https://www.bhaskar.com/mp/indore/news/mp-news-performing-tele-films-on-the-short-stories-of-the-city39s-author-on-march-18-025157-4133773.html

सोमवार, 11 मार्च 2019

लघुकथा समाचार: सुमन चौधरी के लघुकथा संग्रह का विमोचन

अमर उजाला | मेरठ ब्यूरो | 10 Mar 2019


बिजनौर। समकालीन महिला साहित्य मंच मेरठ की ओर से चैंबर ऑफ कॉमर्स में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बिजनौर की साहित्यकार सुमन चौधरी सुमन को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए प्रतीक चिन्ह और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उनकी नवीनतम लघुकथा संग्रह ‘वह मेरी कोई नहीं थी’ का विमोचन किया गया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में जिले की प्रसिद्ध साहित्यकार सुमन चौधरी सुमन को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। प्रसिद्ध साहित्यकार ममता नागरैया, डा. स्वर्णलता कदम, रश्मि अग्रवाल, सुरेंद्र, मुकेश नादान ने संयुक्त रूप से किताब का विमोचन किया। इससे पूर्व भी सुमन चौधरी सुमन को अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।


Source:
https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/bijnor/161552242144-bijnor-news

रविवार, 3 मार्च 2019

लघुकथा समाचार: अखिल भारतीय महिला साहित्य समागम


इंदौर: अ.भा.महिला साहित्य समागम कल से | Indore: Akhil Bhartiya mahila Sahitya Samagam held from 4 march

इंदौर: देश में संभवतः पहली बार महिला साहित्यकारों का ‘अखिल भारतीय समागम’ आयोजित किया जा रहा है। इंदौर में 4 व 5 मार्च को जाल सभागृह में होने जा रहे इस आयोजन में देश की कई विख्यात साहित्यकार बतौर अतिथि और वक्ता शामिल होंगी। वहीं प्रदेश और देश के अनेक हिस्सों से समागम में प्रतिभागी के रूप में शामिल होने के लिए लेखिकाएं, कवियत्री, लघुकथाकार, व्यंग्यकार और कहानीकार आ रही हैं। ’वामा साहित्य मंच’ इंदौर और हिंदी न्यूज पोर्टल Ghamasan.com द्वारा इस समागम का आयोजन किया जा रहा है।

आयोजन समिति की चेयरपर्सन श्रीमती पद्मा राजेंद्र, अध्यक्ष श्रीमती शिवानी राठौर और सचिव श्रीमती ज्योति जैन ने बताया कि समागम का उद्घाटन समारोह 4 मार्च की सुबह 10 बजे होगा मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती उषा किरण खान जी, (पटना) रहेंगी। सत्र की अतिथि वक्ता वरिष्ठ साहित्कार श्रीमती कृष्णा अग्निहोत्री होंगी।

पहला साहित्यिक सत्र 4 मार्च को सुबह 11:30 बजे से 1 बजे तक चलेगा जिसमें लघुकथाओं में नारी पात्र के सकारात्मक तेवर विषय पर चर्चा होगी। इसमें बीज वक्तव्य मिथिलेश जी दीक्षित (लखनऊ) का रहेगा। चर्चाकार लता जी अग्रवाल (भोपाल), अनघा जी जोगलेकर (गुरूग्राम) रहेंगी। सहभागियों द्वारा लघुकथा पाठ किया जाएगा।

दूसरा साहित्यिक सत्र 4 मार्च को दोपहर 02:30 बजे से 04 बजे तक चलेगा, जिसमें काव्य अभिव्यक्ति के बदलते प्रतिमान पर चर्चा होगी। बीज वक्तव्य : रति जी सक्सेना (त्रिवेंद्रम) रहेगा। चर्चाकार शोभना जी श्याम (गुरुग्राम), शशि जी पुरवार (पुणे) रहेंगी।

तीसरा साहित्यिक सत्र 4 मार्च शाम 4:30 बजे से 6 बजे तक चलेगा। ​जिसमें साहित्य में आधुनिकता की परिभाषा परिपक्वता या खुलापन विषय पर टॉक शो होगा। अतिथि वक्ता गीता श्री जी (दिल्ली), कुमकुम जी कपूर (अलवर), मीनाक्षी जी जोशी (इंदौर), नीलिमा जी टिक्कू (जयपुर) रहेंगी। संचालन श्रुति जी अग्रवाल (इंदौर) करेंगी। उसके बाद शाम 7:00 बजे से 8:15 तक अक्षर पर्व का आयोजन होगा।

5 मार्च को पहला साहित्यिक सत्र सुबह 10:00 बजे से 11:30 बजे तक चलेगा, जिसमें आंचलिक भाषाओं का स्वर माधुर्य ठेठपन व विलुप्त हो रहे लोकोक्तियां, कहावतें व मुहावरे पर चर्चा होगी। बीज वक्तव्य सरला जी शर्मा (दुर्ग) रखेंगी। चर्चाकार रचना जी निगम (बड़ौदा), सु​रभि जी बेहेरा (भुवनेश्वर) रहेंगी।

5 मार्च को समापन सत्र दोपहर 11:30 बजे से 01:00 बजे होगा। इसमें विषय होगा बेटियों की कलम में बसी पिता की साहित्यिक विरासत। मुख्य अतिथि सुधा जी अरोड़ा (मुंबई) रहेंगी सत्र अध्यक्षता अचला जी नागर (मुंबई) करेंगी। अतिथि वक्ता नेहा जी शरद (मुंबई) और निर्मला जी भुराड़िया (इंदौर) होंंगी। इसी सत्र में देवास की ऋचा कर्पे को देवी​अहिल्या शक्ति सम्मान दिया जाएगा।


Source:
https://ghamasan.com/indore-akhil-bhartiya-mahila-sahitya-samagam-held-in-indore/

सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

लघुकथा समाचार: साहित्य सभा कैथल एवं हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच की कैथल इकाई के संयुक्त तत्वावधान में लघुकथा गोष्ठी

Dainik Bhaskar | Feb 18, 2019

आरकेएसडी कॉलेज शिक्षण महाविद्यालय में आज साहित्य सभा कैथल एवं हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच की कैथल इकाई के संयुक्त तत्वावधान में एक कविता एवं लघुकथा गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें सिरसा से पधारे साहित्यकार रूप देवगुण ने बतौर मुख्य अतिथि, कुरुक्षेत्र से पधारे साहित्यकार रामकुमार अत्रे ने अध्यक्ष रूप में एवं डॉ कमलेश संधू ने विशिष्ट अतिथि की भूमिका निभाई। गोष्ठी का संचालन रिसाल जांगड़ा एवं डॉ प्रदुम्न भल्ला ने संयुक्त रूप से किया। साहित्य की सशक्त विधा लघुकथा एवं कविता को समर्पित इस गोष्ठी में 12 लघुकथा लेखकों ने अपनी लघुकथाओं का पाठ किया। जिन पर वरिष्ठ समीक्षक रूप देवगुण, रामकुमार आत्रेय, अमृत लाल मदान ने संक्षिप्त टिप्पणियां की। इनके अतिरिक्त रूप देवगुण की दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। जिसमें एक पुस्तक उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित, रूप देवगुण को जैसा हमने जाना एवं दूसरी पुस्तक हरियाणा की प्रतिनिधि लघु कविता, संपादन रूप देवगुण शामिल थी। काव्य गोष्ठी का आरंभ राजेश भारती की कविता मां जादूगर से हुआ। रामफल गौड़ ने अपनी पंक्तियों के माध्यम से सबका ध्यान खींचा, चाल है हर दम नारी, फिर भी जीना से लाचारी जीना से लाचारी। शमशेर कैंदल ने कहा, राजनीति विकराल हो गई, जोड़-तोड़ का जंजाल हो गई। गुहला से पधारे चेतन चौहान ने कहा हमको यही सिला मिला है बातचीत का, ताबूत फिर आ गया है घर पे मीत का। डा. प्रदुम्न भल्ला ने कहा नहीं भूलती हैं तुम्हारी वफाएं, बख्शी हैं तुमने हमारी खताएं। रामकुमार अत्रे के शब्द कुछ यूं रहे, लड़कियां अंधेरे तहखानों में खुलती खिड़कियां होती हैं। डा. कमलेश संधू ने कहा सरहदों की आंधी, चिरागों को बुझा रही है।

News Source:
https://www.bhaskar.com/harayana/kaithal/news/haryana-news-39we-have-got-this-bag-the-coffin-of-the-conversation-has-come-again39-024053-3928610.html

रविवार, 3 फ़रवरी 2019

लघुकथा समाचार: सरल काव्यांजलि की इंदौर में गोष्ठी आयोजित




उज्जैन 2 फरवरी 2019 

संस्था सरल काव्यांजलि द्वारा एक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन इंदौर में किया गया। अध्यक्षता साहित्यकार श्री पुरुषोत्तम दुबे ने की।

अतिथि उपन्यासकार अश्विनी कुमार दुबे थे। कार्यक्रम में सतीश राठी द्वारा परिवर्तन एवं ठोकर नाम की लघुकथाएं प्रस्तुत की गईं। राम मूरत राही ने भूमि एवं तरक्की लघुकथाएं, संतोष सुपेकर द्वारा लघुकथा नया नारा,दीपक गिरकर ने तफ्तीश जारी ह नामक लघुकथा प्रस्तुत किया।

अशोक शर्मा भारती ने कविता आकलन एवं मार्मिक कविता बसंत प्रस्तुत की। अश्विनी कुमार दुबे ने अपनी व्यंग्य रचना शैतान के दिलचस्प कारनामे प्रस्तुत की। संचालन सतीश राठी ने किया। आभार संतोष सुपेकर ने माना।

News Source:
http://avnews.in/%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%BF-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B0-%E0%A4%AE/

मंगलवार, 29 जनवरी 2019

लघुकथा समाचार: अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच और बिहार आर्ट थियेटर की ओर से लघुकथा कलश के तृतीय महाविशेषांक का लोकार्पण


Patna News - deepa is working on small stories in bihar

Dainik Bhaskar| Jan 28, 2019 | Patna News

अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच और बिहार आर्ट थियेटर की ओर से लघुकथा कलश के तृतीय महाविशेषांक का लोकार्पण रविवार को कालिदास रंगालय में किया गया। इस अवसर पर विचार गोष्ठी भी हुई। वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. सतीश राज पुष्करणा, लघु कथा मंच के महासचिव डॉ. ध्रुव कुमार, बिहार आर्ट थियेटर के सचिव कुमार अनुपम, समीक्षक डॉ. अनिता राकेश व विभा रानी श्रीवास्तव ने लोकार्पण किया।

कार्यक्रम में डॉ. सतीश राज ने कहा कि लघुकथा एक लंबा सफर तय कर बहस के चौराहे से उठकर चर्चा के चौपाल तक आ पहुंची है, लेकिन इस विद्या के लिए अभी बहुत काम बाकी है। ऐसे में लघुकथा कलश का प्रकाशन एक सार्थक प्रयास है। डॉ. ध्रुव कुमार ने लघुकथा कलश के संपादक योगराज प्रभाकर और संपादकीय टीम को बधाई देते हुए कहा कि बिहार में लघुकथा को लेकर गहराई से काम हो रहा है। कुमार अनुपम ने लघुकथा को एक महत्वपूर्ण साहित्यिक विद्या बताया।

कार्यक्रम में डॉ. अनीता राकेश, डॉ. मेहता नागेंद्र, विभा रानी, अनिल रश्मि, प्रभात, सिद्धेश्वर, विदेश्वरी प्रसाद, आलोक चोपड़ा, घनश्याम, पुष्पा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

News Source:
https://www.bhaskar.com/bihar/patna/news/deepa-is-working-on-small-stories-in-bihar-043131-3760435.html


सोमवार, 28 जनवरी 2019

लघुकथा समाचार: 25वीं अखिल भारतीय हिन्दी लघुकथा प्रतियोगिता - 2019 (जैमिनी अकादमी द्वारा आयोजित)


जैमिनी अकादमी
द्वारा आयोजित
25 वीं
अखिल भारतीय हिन्दी लघुकथा प्रतियोगिता - 2019


प्रथम पुरस्कार : 1100/- रु नगद
द्वितीय पुरस्कार : 551/- रु नगद
तृतीय पुरस्कार : 251 /- रु नगद
तीन सांत्वना पुरस्कार : प्रत्येक को 51/- रु नगद

नियम :-

1.       प्रत्येक लघुकथाकार को अपनी मौलिक कम से कम दो लघुकथा भेजना आवश्यक है ।
2.       प्रतियोगिता में प्रवेश नि:शुल्क है ।
3.       लघुकथा के साथ एक जवाबी लिफाफा डांक टिकट सहित भेजना आवश्यक है ।
4.       अपना पासपोर्ट साईज का फोटों भी भेजें ।
5.       जैमिनी अकादमी का निर्णय अन्तिम व सर्वमान्य होगा ।
6.       उपरोक्त साम्रग्री रजिस्टर डांक या कोरियर से ही भेजें अथवा प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जाऐगा।
7.       अन्तिम तिथि : 31 मार्च 2019

रजिस्टर्ड  डाक / कोरियर भेजने का पता

प्रतियोगिता सम्पादक
अखिल भारतीय हिन्दी लघुकथा प्रतियोगिता - 2019
हिन्दी भवन , 554- सी , सैक्टर -6
हाऊसिंग बोर्ड कालोनी
पानीपत - 132103
हरियाणा

शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

लघुकथा समाचार



सआदत हसन मंटो की पुण्‍यतिथि आज
January 18, 2019 | LegendNews

11 मई 1912 को जन्‍मे उर्दू के लेखक सआदत हसन मंटो का इंतकाल 18 जनवरी 1955 को हुआ था. सआदत हसन मंटो अपनी लघुकथाओं - बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए.
Image result for मंटोअपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने बाइस लघु कथा संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पांच संग्रह, रचनाओं के तीन संग्रह और व्यक्तिगत रेखाचित्र के दो संग्रह प्रकाशित किए.

कहानियों में अश्लीलता के आरोप की वजह से मंटो को छह बार अदालत जाना पड़ा था, जिसमें से तीन बार पाकिस्तान बनने से पहले और तीन बार पाकिस्‍तान बनने के बाद, लेकिन एक भी बार मामला साबित नहीं हो पाया। इनके कुछ कार्यों का दूसरी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है.

दक्षिण एशिया में सआदत हसन मंटो और फैज़ अहमद फैज़ सब से ज़्यादा पढ़े जाने वाले लेखक थे.
पिछले सत्तर साल में मंटो की किताबों की मांग लगातार रही है. एक तरह से वह घर-घर में जाना जाने वाला नाम बन गया है.

उनके सम्पूर्ण लेखन की किताबों की जिल्दें लगातार छपती रहती हैं, बार-बार छपती हैं और बिक जाती हैं.
यह भी सचाई है कि मंटो और पाबंदियों का चोली-दमन का साथ रहा है. हर बार उन पर अश्लील होने का इल्ज़ाम लगता रहा है और पाबंदियां लगाई जाती हैं.

‘ठंडा ग़ोश्त’, ‘काली सलवार’ और ‘बू’ नाम की कहानियों पर पाबंदिया लगाई गई. उनकी कहानियों को पाबंदियों ने और भी मक़बूल किया. मंटो को बतौर कहानीकार पाबंदियों का फ़ायदा हुआ. मंटो की कहानियों पर पांच बार पाबंदी लगी पर उन्हें कभी दोषी क़रार नहीं दिया गया.

अब एक तरफ नंदिता दास की नई फिल्म ‘मंटो पर पाकिस्तान में पाबंदी लगाई गई है और दूसरी तरफ लाहौर के सांस्कृतिक केंद्र अलहमरा ने ‘मंटो मेला’ पर पाबंदी लगा दी है.

13 जनवरी को लाहौर आर्ट्स कॉउन्सिल-अलहमरा ने अपने फेसबुक पन्ने पर नेशन अख़बार की ख़बर साझा की है जिसके मुताबिक ‘मंटो मेला’ फरवरी के बीच वाले हफ्ते में होने वाला था.

इस पाबंदी का कारण मंटो की कहानियों का ‘बोल्ड नेचर’ सुनने में आया है.

यह भी चर्चा है कि इस पाबंदी का कारण मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर में मजहबी इंतहापसंदों का प्रभाव है. उनका मानना है कि लेखक की कृतियां लचरता फ़ैलाने का कारण है.

लोगों के दवाब के कारण अलहमरा ने इस मेले को पाबन्दी लगाने की बजाए सिर्फ़ आगे बढ़ाने की दलील दी है लेकिन अभी तक किसी तारीख का ऐलान नहीं हुआ.

इस मंटो मेले पर चार नाटक मंडलियों द्वारा नाटक किए जाने थे जिनमें पाकिस्तान का विश्व ख्याति प्राप्त ‘अजोका थिएटर’ है. यह सारी नाटक मंडलियां कई दिनों से मंच अभ्यास कर रही थीं.

नंदिता दास की फ़िल्म पर पाबंदी लगाने के बारे में यही दलील सामने आई है कि बोर्ड को कोई एतराज़ नहीं था पर फ़िल्म में हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे का ‘सही चित्रण’ नहीं है. अब फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर मौजूद है और इसे कोई भी देख सकता है.

पाबंदी का विरोध

इस फ़िल्म पर पाबंदी के ख़िलाफ़ लाहौर, पेशावर और मुलतान में विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

लाहौर में विरोध प्रदर्शन मंटो मेमोरियल सोसाइटी के प्रधान सईद अहमद और दूसरे बुद्धिजीवियों ने साथ मिलकर किया. उन्होंने बीते सप्ताह में एकअदबी समागम मंटो फ़िल्म के लिए ही किया था.

इस समागम में शिरकत करते हुए इतिहासकार आयशा जलाल ने अहम मुद्दे रखे. आयशा जलाल मशहूर इतिहासकार हैं और उनकी कई किताबें बहुत अहम मानी जाती हैं.

आयशा मंटो की रिश्तेदार भी हैं और उन्होंने मंटो और भारत -पाक बंटवारे के बारे में किताब भी लिखी है. उनसे पूछा गया कि सत्तर साल में क्या बदला है क्योंकि तब भी मंटो पर विवाद था और अब भी है.

फ़िल्म के बारे में बात करते हुए उन्होंने पाकिस्तान में बनाई गई सरमद खूसट की फ़िल्म की भी बात की और कहा कि नंदिता दास की फ़िल्म इतिहास के हिसाब से बेहतर है. उन्होंने कहा कि बेशक फ़िल्म पर पाबंदी लगाई गई है पर यह नेट पर उपलब्ध है तो पाबंदी की कोई तुक नहीं बनती.

आयशा जलाल ने कहा कि बंटवारे की सामाजिक आलोचना इससे अलग मामला है. अगर किसी को आलोचना बर्दाश्त नहीं है तो इसमें मंटो का कोई कसूर नहीं है.

बल्कि यह उनका मामला है या उनकी साहित्य के बारे में समझ का मामला है.

आयशा का कहना है कि अभी का प्रसंग बिलकुल अलग है पर मंटो पर कई बार इल्ज़ाम लगे हैं पर उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा कुछ जुर्माना ही हुआ है.

उस समागम में यह भी बात हुई कि मंटो को नाखुश दिखाया गया है और उसका पाकिस्तान में आने का अनुभव भी अच्छा नहीं था.

आयशा ने कहा कि जो भी हो पर यहां आ जाने के लिए सहमत हो जाने के बावजूद उनको शिकायत थी और उनके वजूद को कभी साफ़ तौर पर माना नहीं गया. एक दिन उनको सब से बढ़िया कहानीकार मान लिया जाता है और अगले दिन उनको कहा जाता है कि फ्लैट खाली करो.

यही सब कुछ नंदिता की फ़िल्म में है पर यह फ़िल्म एक भारतीय फ़िल्मकार ने बनाई है और एतराज़ यह है कि एक भारतीय हमें कैसे बता सकता है कि जो बंदा पाकिस्तान आया वह नाखुश था.

उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया पर पाबंदी लगाने का प्रयास ही हमारी नाकामयाबी की निशानी है. हम जितने नाकामयाब हुए हैं उतने ही फिजुल कानून बनाये जा रहे हैं.

लगता तो यह है कि पिछले सत्तर साल में कुछ नहीं बदला है. अगर अन्याय करने वालों, ज़ुल्म कमाने वालों, कब्ज़े करने वालों और जबर्दस्तियाँ करने वालों, से डर लगता है तो फिर मंटो भी नहीं बदला.

मंटो वैसा ही है और ज़िंदा है. वो बहुत सारी मिट्टी के नीचे दफ़न नहीं है बल्कि हमारे साथ बैठ कर हंस रहा है कि वह बड़ा अफ़सानानिगार है या खुदा.
-एजेंसियां


courtesy:LegendNews
URL:
http://legendnews.in/todays-death-anniversary-of-controversial-urdu-writer-saadat-hasan-manto/

सोमवार, 7 जनवरी 2019

लघुकथा समाचार

जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली व नागौर के मूल निवासी लघुकथाकारों हेतु एक संकलन की योजना 

जोधपुर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास) जोधपुर की ओर से राजभाषा के प्रति जागरूकता व इसे बढ़ावा देने में विशिष्ट योगदान देने वाले स्थानीय व प्रादेशिक साहित्यकारों से उनकी गद्य, पद्य और कथेतर रचनाओं का संकलन प्रकाशित किया जाएगा। इस साझा पुस्तक का विमोचन देश के विख्यात साहित्यकारों की मौजूदगी में वार्षिक राजभाषा समारोह जून में किया जाएगा। नराकास के अध्यक्ष केसी पाठक के अनुसार इस पुस्तक में अपनी रचनाएं प्रकाशित कराने के इच्छुक साहित्यकार 20 जनवरी तक ईमेल से tolic.bobjodhpur@gmail.com पर भेज सकते हैं। समिति की संयोजक बैंक ऑफ बड़ौदा है। पाठक के अनुसार रचनाकार अपनी गद्य कहानी या लघुकथा को अधिकतम 4 पृष्ठ में दो हजार शब्द, पद्य कविता अधिकतम एक पृष्ठ पर 300 शब्द और कथेतर निबंध, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, यात्रावृत्त एवं डायरी अधिकतम तीन पृष्ठ में 1500 शब्द की सीमा में भेज सकते हैं। रचनाएं भेजने वाले साहित्यकार जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली व नागौर के मूल निवासी होने चाहिए। रचनाएं और परिचय एक ही फाइल में भेजनी होगी। अधिक जानकारी के लिए बैंक नराकास सचिव ओमप्रकाश बैरवा से संपर्क किया जा सकता है।

News Source:
https://www.bhaskar.com/rajasthan/jodhpur/news/the-compositions-are-invited-for-publication-in-39contemporary-creation39-book-044032-3572351.html

बुधवार, 2 जनवरी 2019

लघुकथा समाचार: मुकेश तिवारी जी के लघुकथा संग्रह "प्रथम पुष्प' का लोकार्पण



मुकेश तिवारी जी के लघुकथा संग्रह "प्रथम पुष्प' का लोकार्पण 

Indore News - five litterateur of the city honoredसाहित्यकार डॉ एस.एन. तिवारी की स्मृति में श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में इंदौर के पांच साहित्यकारों का सम्मान किया गया। इसमें पदमा राजेंद्र, सुषमा दुबे, देवेंद्रसिंह सिसौदिया, डॉ. दीपा व्यास और विजयसिंह चौहान शामिल हैं। दैनिक भास्कर के पत्रकार विकास सिंह राठौर का भी सम्मान किया गया। लेखक मुकेश तिवारी के लघुकथा संग्रह "प्रथम पुष्प' का लोकार्पण भी किया गया। अध्यक्षता साहित्यकार डॉ. योगेंद्रनाथ शुक्ल ने की। मुख्य अतिथि प्रो. कमल दीक्षित और विशेष अतिथि डॉ. वंदना अग्निहोत्री थे। डॉ. योगेंद्रनाथ शुक्ल ने कहा कि वर्तमान युग तकनीकी का है और इस युग में लोगों को लंबे-लंबे ग्रंथ पढ़ने का समय नहीं है, ऐसे में लघुकथाएं गागर में सागर का काम करती हैं। एक अच्छी लघुकथा पाठक के दिमाग पर प्रहार करती हैं और कहानी पढ़ने के बाद घंटों सोचने पर मजबूर कर देती है। संचालन नियोति दुबे ने किया। 

कार्यक्रम में पदमा राजेंद्र, सुषमा दुबे, देवेंद्रसिंह सिसौदिया, डॉ. दीपा व्यास और विजयसिंह चौहान को सम्मानित किया गया। 

News Source:

https://www.bhaskar.com/mp/indore/news/five-litterateur-of-the-city-honored-033117-3554250.html

रविवार, 16 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

देवी नागरानी के दो जुड़ाव संग्रहों का विमोचन
“गंगा बहती रही” (लघुकथा संग्रह)

दिनांक १५ दिसम्बर २०१८, हैदराबाद में कवियित्री विनीता शर्मा जी के निवास स्थान पर देवी नागरानी के दो जुड़ाव संग्रहों का विमोचन डॉक्टर देवेंद्र शर्मा जी के हाथों सम्पन्न हुआ. डॉक्टर शर्मा ख़ुद एक दस्तावेज़ी साहित्यकार हैं, जिनका एक अंग्रेज़ी संग्रह (philosophy & theology-an intellectual odyssey) मुझे हासिल हुई है. इस संग्रह में अनेक धर्मों के बारे में विशेष ज्ञान पूरक तत्वों का ख़ुलासा हुआ है.

डॉक्टर देवेंद्र शर्मा जी के हाथों “माँ ने कहा था” “(काव्य) एवं “गंगा बहती रही” (लघुकथा संग्रह) का विमोचन हुआ. मौक़े पर हाज़िर साहित्यकार रहे श्रीमती विनीता शर्मा, जो ख़ुद एक बेहतरीन रचनाकार है, देवी नागरानी, मीरा बालानी, मोना हैदराबादी, सुनिता लूल्ला, ज्योति कनेटकर और पद्मज आयंगर . पद्मजा जी एक चर्चित साहित्यकार व Amraavati Poetic Prism 2018 की संपादिका है , व मोना जी एक जानी मानी ग़ज़लकारा. सुनिता जी भी ग़ज़ल की परिधि में आगे बढ़ रही हैं.

News Source:
https://ajmernama.com/national/306115/

मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

परमिन्दर शाह के लघुकथा संग्रह "अर्श" और गिरीश चावला के लघुकथा संग्रह "शमा" का लोकार्पण



आठ दिसम्बर 2018 को नई दिल्ली के हिंदी भवन में के.बी.एस. प्रकाशन द्वारा प्रकाशित लेखक श्री परमिन्दर शाह के लघुकथा संग्रह "अर्श" और लेखक श्री गिरीश चावला के लघुकथा संग्रह "शमा" के लोकार्पण, परिचर्चा, सम्मान समारोह एवं ग़ज़ल गायन का आयोजन अनेक सुधि साहित्यकारों, पत्रकारों और कलाकर्मियों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री धीरेन्द शुक्ल  ने की, मुख्य अतिथि डॉ कमल किशोर गोयनका रहे और विशिष्ट अतिथि श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी,  श्री सुभाष चंदर , श्री आर.सी. वर्मा 'साहिल', श्री अमित टंडन , डॉक्टर आशीष कंधवे  श्री राजेश बब्बर  रहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ व सरस्वती वंदना कुमारी नीतिका सिसोदिया ने मधुर वाणी में प्रस्तुत किया। इसके पश्चात केबीएस प्रकाशन परिवार की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत किया गया, साथ ही इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ग्लोबल बुक ऑफ रिकॉर्ड से सम्मानित ट्रू मीडिया का के.बी.एस. प्रकाशन द्वारा सम्मान किया गया । इसके पश्चात श्री परमिन्दर शाह  एवं श्री गिरीश चावला  के लघुकथा–संग्रह "अर्श" व "शमा" का लोकार्पण, समारोह के अतिथियों के करकमलों से संपन्न हुआ। लोकार्पण के उपरांत के.बी.एस. प्रकाशन ने दोनों लेखकों का सम्मान किया।

समारोह के दौरान पुस्तक पर चर्चा में भाग लेते हुए सभी अतिथियों ने उपर्युक्त संग्रहों की खूबियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये दोनों संग्रह बहुत ही महत्वपूर्ण रूप से सामाजिक जीवन का लेखा जोखा प्रस्तुत करते है। उन्होंने लघुकथा के महत्त्व को बताते हुए संग्रहों के हर पक्ष को उजागर किया। साथ ही लेखकों को साहित्य जगत में पदार्पण के लिए बधाई दी और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी किया। लेखक श्री परमिन्दर शाह  एवं श्री गिरीश चावला  ने अपनी पुस्तक के कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर अपने अनुभव सबसे साझा किये और अपनी रचना यात्रा के सूत्र खोले।

के.बी.एस. प्रकाशन के प्रकाशक श्री संजय शाफ़ी  ने लेखक को बधाई दी और प्रकाशन की ओर से निःस्वार्थ भाव से सामाजिक कार्य कर रहे देश के अलग-अलग राज्य से आये विभूतियों को सम्मानित किया गया।

सभी अतिथियों के आशीर्वाद के पश्चात समारोह अध्यक्ष श्री धीरेन्द शुक्ल  ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आयोजन की सराहना करते हुए सभी सम्मानित साहित्यकारों और कलाकर्मियों को अपनी शुभकामनायें दीं और लेखकों का साहित्य जगत में स्वागत किया साथ ही लेखकों को निरंतर साहित्य साधना में रत रहते हुए देश और समाज के हित में रचना कर्म करते रहने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इन संग्रहों की सभी लघुकथायें जीवंत हैं। उन्होंने सभी साहित्य प्रेमी, श्रोताओं को भी आयोजन का हिस्सा बनकर उसे सफल बनाने के लिए बधाई दी।  श्रीमती भावना शर्मा  ने कार्यक्रम का सुगठित एवं बेहतरीन संचालन कर समा बांधा । लेखक श्री परमिन्दर शाह  की ग़ज़लों का गायन मशहूर ग़ज़लकार जनाब रमेश चंद निश्चल ने किया।

Source:
https://www.youtube.com/watch?v=XF3J1vYe2WI

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

लघुकथा समाचार

मासिक काव्य गोष्ठी में मधु गोयल के लघुकथा संग्रह थरथराती बूंद का विमोचन 
Dainik Jagaran |  10 Dec 2018 

कैथल/10 Dec 2018: साहित्य सभा की मासिक काव्य गोष्ठी साहित्यकार हरिकृष्ण द्विवेदी की अध्यक्षता में आरकेएसडी कॉलेज में हुई। संचालन रिसाल जांगड़ा ने किया। गोष्ठी शुरू करने से पहले साहित्यकार डॉ. ते¨जद्र के शोध प्रबंध ¨हदी गजल एवं अन्य काव्य विधाएं, प्रो. अमृत लाल मदान के उपन्यास एक और त्रासदी व मधु गोयल के लघुकथा संग्रह थरथराती बूंद का विमोचन किया गया। इसके साथ-साथ महेंद्र पाल सारस्वत की भजनोपदेश माला, सदाबहार श्रीमद भागवत गीता व हरीश झंडई के काव्य संग्रह ढलते सूरज की किरणें का भी विमोचन किया गया। इसके बाद गोष्ठी शुरू करते हुए र¨वद्र रवि ने कहा कि फैंक दो दरिया के बीचों बीच मुझको, मैं अपने बाजू आजमाना चाहता हूं। सतपाल शर्मा शास्त्री ने कहा कि आप्पे जे ना सुधरैगा तू, जीवन व्यर्थ गुजारैगा तू। रामफल गौड़ ने कहा कि के औकात बता माणस की, पत्थर न भी होसै घिसणा। इसके अलावा कमलेश शर्मा, डॉ. प्रद्युम्न भल्ला, रिसाल जांगड़ा, शमशेर ¨सह कैंदल, सतबीर जागलान, उषा गर्ग व चंद्रकांता ने विचार प्रस्तुत किए।

News Source:
https://www.jagran.com/haryana/kaithal-release-of-literary-works-done-at-monthly-poetry-symposium-18732724.html