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मंगलवार, 25 जून 2019

प्रेरणा अंशु जून 2019 में प्रकाशित मेरी लघुकथा : धार्मिक पुस्तक




























लघुकथा: धार्मिक पुस्तक

वह बहुत धार्मिक था, हर कार्य अपने सम्प्रदाय के नियमों के अनुसार करता। रोज़ पूजा-पाठ, सात्विक भोजन, शरीर-मन की साफ़-सफाई, भजन सुनना उसकी दिनचर्या के मुख्य अंग थे। आज भी रोज़ की तरह स्नान-ध्यान कर, एक धार्मिक पुस्तक को अपने हाथ में लिए, वह अपनी ही धुन में सड़क पर चला जा रहा था, कि सामने से सड़क साफ़ करते-करते एक सफाईकर्मी अपना झाड़ू फैंक उसके सामने दौड़कर आया।

वह चिल्लाया, "अरे शूद्र! दूर रह....."

लेकिन वह सफाईकर्मी रुका नहीं और उसके कंधे को पकड़ कर नीचे गिरा दिया, वो सफाईकर्मी के साथ धम्म से सड़क पर गिर गया।

अगले ही क्षण उसके पीछे से एक कार तीव्र गति से आई और उस सफाईकर्मी के एक पैर को कुचलती हुई निकल गयी।

वह अचंभित था, भीड़ इकट्ठी हो गयी, और सफाईकर्मी को अस्पताल ले जाने के लिए एक गाड़ी में बैठा दिया, वह भी दौड़ कर उस गाड़ी के अंदर चला गया और उस सफाईकर्मी का सिर अपनी गोद में रख दिया।

सफाईकर्मी ने अपना सिर उसकी गोद से हटाने का असफल प्रयत्न कर, कराहते हुए कहा, "आप के... पैर.... गंदे हो जायेंगे।"

उसकी आँखों में आँसू आ गए और चेहरे पर कृतज्ञता के भाव। उसने प्रयास किया पर वह कुछ बोल नहीं पाया, केवल उस सफाईकर्मी के सिर पर हाथ रख, गर्दन ना में घुमा दी।

सफाईकर्मी ने फिर पूछा, "आपकी किताब.... वहीँ गिरी रह गयी...?"

"नहीं, मेरी गोद में है।" अब उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी।

- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (26-06-2019) को "करो पश्चिमी पथ का त्याग" (चर्चा अंक- 3378) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी सर।

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  2. पढ़ कर मज़ा आ गया। क्या खूब लिखा है।

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