कमल कपूर जी की फेसबुक वॉल से
21 अप्रेल रविवार को फ़रीदाबाद के इन्विटेशन सभागार में नारी अभिव्यक्ति मंच पहचान एवं नई दिशाएँ हेल्पलाइन के तत्वावधान में अखिल भारतीय माँ शकुन्तला कपूर स्मृति सम्मान समारोह संपन्न हुआ। हमारा परम सौभाग्य कि साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित यशसिद्धा मेरी गुरु दीदी माँ सुश्री चित्रा मुद्गल जी समारोह की मुख्य अतिथि रहीं, लघुकथा पुरोधा डॉ सतीशराज पुष्करणा जी विशिष्ट अतिथि थे और अध्यक्षता पद परम विदुषी डॉ सुदर्शन रत्नाकर जी ने संभाला। सुमधुर मंच संचालन संस्था की महासचिव डॉ इंदुशेखर गुप्ता ने किया तथा सरस्वती वंदना कोकिल कंठी बेबी संस्कृति गौड़ ने की। संयोजक-आयोजक कमल कपूर एवं डॉ अंजु दुआ जैमिनी थे। समारोह में लगभग ४० लधुकधाकारों ने लघुकथा-पाठ किया । २०१८-१९ में आयोजित अखिल भारतीय माँ शकुन्तला कपूर स्मृति लघुकथा प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित मंच द्वारा पुरस्कृत किया गया। साथ ही पहचान की वरिष्ठ सदस्या स्व. शोभा कुक्कल स्मृति सम्मान भी प्रदान किये गये। उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिये ये सम्मान बिजनौर की साहित्यकार डॉ नीरज सुधांशु तथा गुरुग्राम की सुधी साहित्यकार डॉ सविता स्याल को प्रदान किये गये। लघुकथा पुरस्कार क्रमश: भोपाल की डॉ विनीता राहुरिकर (प्रथम), गुरुग्राम की अनघा जोगलेकर (द्वितीय),गुरुग्राम की ही सविता इन्द्र गुप्ता (तृतीय) प्रदान किए गए। इनके अतिरिक्त असि श्रेष्ठ एवं श्रेष्ठ लघुकथा पुरस्कार क्रम से फ़रीदाबाद की डॉ अंजु दुआ, खटीमा के डॉ जगदीश पंत कुमुद इंदौर के श्री राम मूर्त राही, फ़रीदाबाद की आशमा क़ौल तथा डॉ इंदुशेखर गुप्ता, गुरुग्राम की लाड़ों कटारिया एवं नागपुर से पधारे श्री जय प्रकाश सूर्यवंशी जी को दिये गये।
हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक सरल सौम्य डॉ मुक्ता मदान जी के सम्मानित आगमन ने समारोह की गरिमा को बढ़ा दिया ग़ाज़ियाबाद दिल्ली और गुरुग्राम से पधारे अपने सहृदय साहित्यकार बंधुओं के प्रति साभार कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ। समारोह में जहाँ सतीश राज पुष्करणा जी के लघुकथा विषयक सारगर्भित वक्तव्य ने समा बाँधा वहीं सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र था माननीय चित्रा दीदी सौम्य सरल सरस मधुर उदबोधन जिसकी प्रतीक्षा में सुधी श्रोता सधैर्य 4 घंटे बैठे रहे। समारोह डॉ सुदर्शन रत्नाकर जी के सारगर्भित संक्षिप्त अध्यक्षीय वक्त्व्य के साथ समापित हुआ। ध्यात्व्य हो कि डॉ॰ सतीश राज पुष्करणा जी तथा डॉ॰ सुदर्शन रत्नाकर जी प्रतियोगिता के निर्णायक भी थे।