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मंगलवार, 9 नवंबर 2021

क्षितिज संवादात्मक लघुकथा अंक

सतीश राठी जी और दीपक गिरकर जी के सम्पादन में क्षितिज का संवादात्मक लघुकथा अंक प्राप्त हुआ। पढ़ना प्रारम्भ किया है। मेरी एक लघुकथा भी इसमें सम्मिलित है।



एक औरत / लघुकथा / डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

"काजल लगाने के बाद तुम्हारी आँखें कितनी सुंदर हो जाती हैं?"
"जी, मेरे बॉस भी यही कहते हैं।"
"अच्छा, तुम्हारे कपड़ों का चयन भी बहुत अच्छा है, तुम पर एकदम फिट!"
"बॉस को भी यही लगता है"
"ओह, तुम जो मेकअप करती हो उससे तुम्हारा रूप कितना खिल उठता है।"
"बॉस भी बिलकुल यही शब्द कहते हैं..."
"उफ़.... तुम्हारा पति मैं हूँ या बॉस?"
"आपकी नज़रें पति जैसी नहीं, बॉस जैसी हैं। वर्ना इस सुंदरता के पीछे एक औरत भी है।"
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12 टिप्‍पणियां:

  1. गूढ़ बात, जो सबको समझ नहीं आएगी।
    उम्दा लघुकथा।

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