संदीप तोमर एक अच्छे लेखक ही नहीं बल्कि बढ़िया समीक्षक भी हैं। आप द्वारा समय-समय पर लघुकथाकारों को टिप्स भी दी जाती है। उनकी एक पोस्ट, जो उन्होंने फेसबुक पर शेयर की थी, लघुकथा विधा में अच्छे लेखन का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। पोस्ट निम्न है:-
लघुकथा पर ज्यादा कुछ न कहकर मात्र तीन लोगों की कही बातों पर अमल कर लिया जाए, यकीन मानिए बेहतर लघुकथा कहने का सलीका आ जायेगा।
लघुकथा पर ज्यादा कुछ न कहकर मात्र तीन लोगों की कही बातों पर अमल कर लिया जाए, यकीन मानिए बेहतर लघुकथा कहने का सलीका आ जायेगा।
"लघुकथा एक एकांगी-इकहरी लघु आकार की एक गद्य बानगी है जिसमे विस्तार की अधिक गुंजाइश नहीं हैI" - योगराज प्रभाकर
"'समकालीन-लघुकथा' मानवीय संवेदना की वह गद्यात्मक प्रस्तुति है जिसकी तुलना वीणा के तारों से की जा सकती है। तार जितने ढीले होंगे वीणा वादन उतना ही बेसुरा होगा।"
- बलराम अग्रवाल
"लघुकथा सुई की नोंक जैसी विधा।"
- डॉ सतीश दुबे
नवलेखन में इन बातों का समावेश हो तो मज़ा आ जाये। पढ़कर मैं भी सीखने का प्रयास कर रहा हूँ। आप भी कीजिये।
- सन्दीप तोमर
बहुत आभार
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