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रविवार, 15 सितंबर 2024

लघुकथाओं में वैश्विक मुद्दों की आवश्यकता । भाग 1

नेतराम भारती जी के महती कार्य "लघुकथा: चिंतन और चुनौतियां" में एक प्रश्न

"लघुकथा के ऐसे कौन-से क्षेत्र हैं जिन्हें देखकर आपको लगता है कि अभी भी इनपर और काम करने की आवश्यकता है?

का मेरा उत्तर कुछ इस प्रकार से शुरू हुआ था, 

"विषय। सबसे पहले सामयिक विषयों पर ध्यान देना आवश्यक है। ग्लोबल वॉर्मिंग, पेयजल में हो रही कमी, सड़क सुरक्षा, वित्त या अर्थव्यवस्था सम्बंधित, साइबर सुरक्षा, गामीण विकास, ऑर्गेनिक खेती, सांस्कृतिक परिवर्तन आदि ऐसे विषय हैं, जिन पर लेखन न के बराबर हो रहा है।..."

आगे कुछ और भी था, बहरहाल, कुल मिलाकर मेरा यह विचार है कि लघुकथा में 'उचित सामयिक विषयों' का कुछ तो अभाव है ही। 

अतः कुछ समकालीन वैश्विक चुनौतियाँ, जितनी मुझे समझ है, को आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं।

साथियों,

संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2015 में 2030 तक के लिए 17 लक्ष्य रखे हैं। ये सभी मानवता और धरती के समक्ष सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियां हैं और इन सभी पर रचनाकर्म करना साहित्यकारों का दायित्व है। 

हमारी धरती की रक्षा करने और सभी के लिए समृद्धि व कल्याण सुनिश्चित करने के लिए ये 17 एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य Sustainable Development Goals) एक सार्वभौमिक आह्वान है। आप इन पर कार्य कर सकते हैं, ये सभी ज्वलंत वैश्विक मुद्दे हैं।

पहला लक्ष्य है गरीबी उन्मूलन:

2030 तक हर जगह फैली गरीबी को समाप्त करना।

दूसरा है शून्य भूख:

कोई भूखा न रहे, खाद्य सुरक्षा मिले, उचित पोषण प्राप्त हो और आर्गेनिक कृषि हो।

3, बेहतर स्वास्थ्य:

सभी आयु के लोगों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित हो।

4, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा:

समावेशी, समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित हो और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसर हों।

5, लैंगिक समानता:

हर स्थान पर लैंगिक समानता हो और सभी ओर महिला सशक्तिकरण हो।

6, स्वच्छ जल और स्वच्छता:

सभी के लिए स्वच्छ जल की उपलब्धता और जल का सही और सस्टेनेबल मैनेजमेंट सुनिश्चित हो।

7, सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा:

सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक सभी पहुँच सुनिश्चित हो।

8, रोजगार और आर्थिक विकास:

सभी के लिए सतत, समावेशी आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार के साथ प्राप्त हो।

9, उद्योग, नवाचार और इंफ्रास्ट्रक्चर:

फ्लेक्सिबल इंफ्रास्ट्रक्चर हो, टिकाऊ औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दें और नवाचार को बढ़ावा मिले।

10, असमानता में कमी:

सभी देशों के भीतर और उनके बीच असमानता ना हो, चाहे वह आर्थिक दृष्टि से हो, सामाजिक या अन्य कोई भी।

11, स्थायी व सुरक्षित शहर:

शहरों का निर्माण ऐसा हो जो समावेशी, सुरक्षित, लचीला और टिकाऊ हो। हमारे यहाँ स्मार्ट सिटी की अवधारणा है।

12, दायित्वपूर्ण उत्पादन और उपभोग:

उत्पादन के अनुसार उपभोग दायित्व पूर्ण हो और उपभोग के अनुसार उत्पादन।

13, जलवायु:

जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्यवाहियों की आवश्यकता है।

14, पानी के नीचे जीवन:

महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों, जीवों का संरक्षण करते हुए उनका उपयोग करें।

15, भूमि पर जीवन:

धरती की पारिस्थितिकी प्रणालियों के सरंक्षण, पुनर्स्थापना को बढ़ावा मिले, वनों का उचित प्रबंधन हो, मरुस्थलीकरण से लड़ें और जैव विविधता की हानि को रोका जाए।

16, शांति, न्याय और सशक्त संस्थान:

शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा मिले, सभी के लिए न्याय तक पहुँच हो और प्रभावी, जवाबदेह संस्थानों का निर्माण हो।

17, लक्ष्यों के लिए भागीदारी:

कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत करना और सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करना। 

मित्रों,

एसडीजी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे आज हमारी पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले कुछ सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित कर रहे हैं। 

इनके अतिरिक्त आप प्रदूषण, सड़क सुरक्षा, युद्ध, साइबर क्राइम, जैसे अन्य मुद्दों पर भी कार्य कर सकते हैं। लघुकथाकार होते हुए अपने साहित्यकार होने के दायित्व का निर्वहन ज़रूर करें।

सादर, 

चंद्रेश कुमार छतलानी

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