बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

लघुकथा समाचार: सुक्ष्म, तीक्ष्ण व संवेदनशील विधा है लघुकथा : अवधेश प्रीत

दर्पण समाचार 


मधुदीप द्वारा संपादित ” विश्व हिंदी लघुकथाकार निर्देशिका ” का हुआ लोकार्पण

 लघुकथा पाठ से गुंजायमान हुआ मंगल तालाब पन्नालाल मुक्ताकाश मंच


सुप्रसिद्ध कथाका अवधेश प्रीत ने कहा है कि लघु कथा एक ऐसी सुक्ष्म, तीक्ष्ण, मारक और संवेदनशील विधा है जिसका प्रभाव श्रोताओं के दिल दिमाग को वर्षों उद्वेलित करता है बशर्ते लघुकथाकार ने उसे संवेदना और अनुभव के बेहतर तालमेल के साथ लिखा हो।
वे रविवार को पटना सिटी मंगल तालाब स्थित पन्नालाल मुक्ताकाश प्रेक्षागृह में ”  विश्व हिंदी लघुकथाकार निर्देशिका ”  के लोकार्पण के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच और स्वरांजलि के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लघुकथा मंच के महासचिव  डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि विश्व हिंदी लघुकथाकार निर्देशिका के प्रकाशन से देशभर के लघुकथाकारों से संपर्क करना अब बहुत आसान हो गया है। उन्होंने इस सराहनीय कार्य के लिए इसके संपादक मधुदीप को बधाई दी।

 इस अवसर पर प्रसिद्ध कथाकार- उपन्यासकार डॉ संतोष दीक्षित ने कहा कि वस्तुतः साहित्य समाज का सापेक्ष है और लघुकथाएं प्रभावगामी होती हैं। ” सिकुड़े तो आशिक – फैले तो जमाना ”  लघुकथा पर बहुत ही सटीक है।
इस मौके पर डेढ़ दर्जन लघुकथाकारों ने अपनी – अपनी लघुकथाओं का पाठ किया।
इन लघुकथाओं की समीक्षा करते हुए जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा की प्रोफेसर  समोलचक डॉ अनीता राकेश ने कहा कि सभी रचनाएं समाज की विसंगतियों से हर रोज जूझते लोगों की मनोदशा व उनके मानसिक संघर्ष और द्वंद्ध को दर्शाती हैं। उन्होंने विशेष तौर पर प्रभात धवन, आलोक चोपड़ा, पंकज प्रियम, दयाशंकर प्रसाद,  शंकर शरण आर्य, संजू शरण, रिचा वर्मा, डॉ  मीना कुमारी परिहार, सूरज देव सिंह और गौरीशंकर राजहंस की लघु कथाओं का उल्लेख किया।
वरिष्ठ लेखक डॉ राधाकृष्ण सिंह ने लघुकथा मंच के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि लघुकथा का रूप भले छोटा हो लेकिन उसकी पहुंच बहुत दूर तक है। लघुकथा के बारे में ” देखन में छोटन लगे – घाव करे गंभीर”  पूर्णता सत्य है।
कार्यक्रम का संचालन स्वरांजलि के संयोजक अनिल रश्मि ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन ए आर हाशमी ने किया।
जिन लघुकथाकारों ने अपनी रचनाएं पढ़ी , उनमें प्रभात कुमार धवन, संजू शरण,  आलोक चोपड़ा, ए आर हाशमी, पंकज प्रियम, गौरीशंकर राजहंस, सूरज देव सिंह, शंकर शरण आर्य, दया शंकर प्रसाद, प्रो अनीता राकेश, अनिल रश्मि, डा ध्रुव कुमार, रिचा वर्मा और डॉ मीना कुमारी परिहार शामिल थीं।

Source:
http://www.darpansamachar.com/?p=23513&fbclid=IwAR0QJI-ICY0AdrhW9AnYpmFbj7BV5TCMFsjPs-KampmczAZeUbzVnZtVw5o


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