द पुरवाई में मेरी दो लघुकथाएँ रावण का चेहरा तथा दंगे की जड़ प्रकाशित हुई हैं।
द पुरवाई पर इन्हें यहाँ क्लिक/टैप कर पढा जा सकता है।
द पुरवाई पर इन्हें यहाँ क्लिक/टैप कर पढा जा सकता है।
ये दोनों लघुकथाएं लघुकथा दुनिया पर भी उपलब्ध हैं, निम्न लिंक पर क्लिक / टैप कर यहाँ भी पढ़ सकते हैं।
दशहरा विशेष दो लघुकथाएं | डॉ० चंद्रेश कुमार छतलानी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-10-2019) को "सूखे कलम-दवात" (चर्चा अंक- 3489) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत-बहुत आभार आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'जी सर।
हटाएंनये सृजन पर जानकारी देती पोस्ट।
जवाब देंहटाएंसादर ।