शनिवार, 9 फ़रवरी 2019

लघुकथा वीडियो: बिखरने से पहले - शोभना श्याम

"बिखरने से पहले कुछ दिन और एक-दूसरे की पंखुड़ियों को संभाल लिया जाये।" - इस वीडियो से 

बिखरने से पहले फूल एक-दूसरे की पंखुड़ियाँ संभाल नहीं सकते, लेकिन ईश्वर ने हम इन्सानों को तो उन अहसासों से समृद्ध किया है जहां हम दूसरों को अपने साथ से ही बिखरने से रोक सकते हैं। उम्र की लंबाई नापती हुई जिंदगी के हाथों से स्केल छीन कर पेंसिल ही पकड़ा दी जाये तो कितनी ही बार दिल को टटोलता हुआ स्टेस्थेस्कोप गले के लय से लय मिलाकर गाना भी शुरू कर सकता है

कुछ ऐसे ही भावों के साथ रची यह लघु फिल्म शोभना श्याम जी की लघुकथा "बिखरने से पहले" पर आधारित है। इसे एक बार ज़रूर देखिये और समझिए भी। इस रचना का विस्तार केवल बुजुर्गों तक या उनके अकेलेपन तक ही नहीं बल्कि हम मे से अधिकतर के अंदर कहीं न कहीं छिपे खालीपन तक भी है।

- चंद्रेश कुमार छतलानी




5 टिप्‍पणियां:

  1. खूबसूरत लघुकथा। खासकर संगीत ने तो कथा में जान ही डाल दी ।

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  2. एक माँ की भावनाओं को उसका बेटा भी न समझ पाया परंतु बहु ने समझ लिया।किसी के प्रोत्साहन,प्रशंसा से जवानी में कुचली हुई प्रतिभा को उभरने का अवसर मिला।स्त्री-पुरुष के बीच मे समाज द्वारा गाड़ा गया खूंटा वृद्धावस्था तक गड़ा रहता है।स्वाभाविक चित्रण,संगीतमय प्रस्तुति के साथ प्रश्न करती सुन्दर लघुकथा।

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  3. //उम्र की लंबाई नापती हुई जिंदगी के हाथों से स्केल छीन कर पेंसिल ही पकड़ा दी जाये तो कितनी ही बार दिल को टटोलता हुआ स्टेस्थेस्कोप गले के लय से लय मिलाकर गाना भी शुरू कर सकता है।// अच्छी लघुकथा और अच्छी फिल्म पर अच्छी टिप्पणी। सभी को बधाई।

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